एट्रोसिटी एक्ट क्या है | Atrocity Act In Hindi

हरिजन एक्ट क्या है | एट्रोसिटी एक्ट क्या है | एट्रोसिटी एक्ट 89 क्या है | एससी एसटी एक्ट कब लगता है | SC ST एक्ट क्या है | अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989 क्या है | एट्रोसिटी एक्ट का धारा

भारत 1947 में आज हुआ लेकिन सविधान लागू होने के बाद भी कुछ लोगो को यानी दलित, अति पिछड़े वर्ग के लोग जिनको समानता का अधिकार मिलने के बाद भी आज भी इन्हे भेदभाव का सामना करना पड़ता है। अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो को लगातार प्रभावशाली लोगो के द्वारा डराने, दबाने, धमकाने, अपमानित करना इत्यादि किया जाता रहा है। ऐसे में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो की सामाजिक आर्थिक स्थिति मे सुधार के लिए सरकार को एट्रोसिटी एक्ट को लाना पड़ा।

एट्रोसिटी एक्ट क्या होता है, एट्रोसिटी एक्ट कब लागू हुआ,  एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं क्या क्या है इन समस्त जानकारी के ऊपर आज हम इस लेख के माध्यम से चर्चा करेंगे। एट्रोसिटी एक्ट की पूरी जानकारी हेतु इस लेख को आखरी तक पूरा अवश्य पढ़े। आशा करते है आपके समस्त सवालों के जवाब यहां जरूर मिलेंगे।

एट्रोसिटी एक्ट क्या है (Atrocity Act In Hindi)

एट्रोसिटी एक्ट क्या है | Atrocity Act In Hindi

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो की सामाजिक आर्थिक स्थिति मे बहुत सुधार करने की कोशिश की गई थी। लेकिन उनकी स्थिति पहले से बेहतर नहीं हो सकी। उनको लगातार भेदभाव का सामना करना पड़ता है। प्रभावशाली लोगो द्वारा कई तरह के अपमान और अत्याचार का सामना करना पड़ रहा है। इससे एसटी एससी समुदाय इन उत्पीड़न से बेहद पीड़ित है। ऐसी स्थितियों में सिविल राइट एक्ट 1955 और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) 1860 के तहत किए गए प्रावधान एसटी एससी वर्ग को न्याय दिलाने में सही प्रकार से सक्षम नहीं है यानी ये कही न कही कमजोर पड़ रहे थे। ऐसे में जरूरत थी एक ऐसे कानून की जिसके तहत एसटी एससी वर्ग के लोगो को सुरक्षा प्रदान कर सके और साथ ही उनके साथ अत्याचार करने वाले लोगो को कड़ी सजा मिल सके।

इससे संज्ञान लेते हुए संसद में इन दलीलों के आधार पर केंद सरकार ने एक विधेयक पास किया जिसका नाम एट्रोसिटी एक्ट यानी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम, 1989 दिया गया। एट्रोसिटी एक्ट को हरिजन एक्ट, एससी एसटी एक्ट (SC ST Act) और एट्रोसिटी एक्ट 89 के नाम से भी जाना जाता है।

एट्रोसिटी एक्ट कब लागू हुआ

एट्रोसिटी एक्ट 30 जनवरी 1990 को संसद से पास होने के बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही लागू किया गया। पहले जम्मू-कश्मीर को छोड़कर केंद सरकार द्वारा पूरे देश में यह एक्ट लागू किया गया था। अब जब जम्मू-कश्मीर भी केंद्र शासित हो चुका है तो जम्मू-कश्मीर सहित पूरे देश में एट्रोसिटी एक्ट को लागू कर दिया गया है। कुछ संशोधन अप्रैल 2016 में किए गए थे। इन्ही संशोधन बाद 14 अप्रैल 2016 को इसे फिर से लागू किया गया था।

एट्रोसिटी एक्ट कब लगता है

एट्रोसिटी एक्ट एससी एसटी पर किए जाने वाले अत्याचारों या लिए गए उत्पीड़नो यानी अपराधों के लिए लागू होता है। किस किस अपराध पर यह एट्रोसिटी एक्ट लागू होता है? इसकी जानकारी नीचे निम्नलिखित है:–

  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को अपमानित करना जैसे कि उन्हें जबरन मल, मूत्र खिलाना इत्यादि दुर्व्यवहार करना अपराध की श्रेणी में आता है।
  • SC ST के किसी सदस्य का सामाजिक बहिष्कार करना, उनके साथ कारोबार करने से मना करना।
  • नौकरी देने या काम देने से मना करना क्यों की वह एससी एसटी वर्ग का है।
  • किसी भी तरह की सुविधा या सेवा देने से मना करना।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के परिवार को अपमानित करना, उनसे मारपीट करना या परेशान करना।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के चेहरे पर कालिख पोतना या कपड़े उतार कर उन्हे अपमानित करना।
  • एससी एसटी समुदाय के गैरकानूनी तरीके से जमीन को हड़पना या उसपर कब्जा करना।
  • बंधुआ मजदूरी करवाना भी अपराध के श्रेणी में आएगा।
  • किसी खास जन को वोट करने के लिए मजबूर करना
  • एससी एसटी समुदाय के महिलाओं को अपमानित करने पर।
  • अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग को सार्वजनिक जगह पर जाने से मना करना।
  • अपना मकान या जमीन को छोड़ने पर मजबूर करना या उन्हें जबरन बाहर निकालना।

इन अपराधों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत कारवाई की जाती है। लेकिन अगर ये अपराध किसी एससी एसटी समुदाय के साथ ऊपर लिखे गए किसी अपराध को अंजाम दिया जाता है तो उसमें भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की अलग-अलग धाराओं के साथ अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक)  अधिनियम, 1989 के तहत भी कार्रवाई की जाती है।

एट्रोसिटी एक्ट में सहायता राशि

अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगो पर प्रभावशाली लोगो द्वारा किए गए उत्पीड़न के लिए एट्रोसिटी एक्ट के साथ साथ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के अलग अलग धाराओं के तहत कानूनी कारवाई यानी सजा मिलती है। इसके साथ पीड़ित द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के बाद अपराध सिद्ध होने पर अलग अलग अपराध के लिए 75 हजार से 8 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता राशि पीड़ित को प्रदान की जाती है।

एट्रोसिटी एक्ट की धारा

अध्यायधाराविवरण
1- प्रारंभिकधारा-1संक्षिप्त नाम – अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम 1989
विस्तार – J&K छोड़ कर संम्पूर्ण भारत में
लागू- 11sep 1989 30 jan 1990 से लागू
धारा-2परिभाषाएँ – (क) अत्याचार धारा-3
(ख) संहिता- CRPC
(ग) SC / ST 366 (24) (25)

(क) विशेष लोक अभियोजन धारा 15

(क) विशेष न्यायालय धारा-14
2- अत्याचार के अपराधधारा-3अत्याचारों के लिए दण्ड- (1) प्रत्यक्ष कोई भी व्यक्ति जो ST/ST का नहीं है वह अपराध करता है- 6माह 5वर्ष + जुर्माना (2) अप्रत्यक्ष कोई भी व्यक्ति जो ST/ST का नहीं है वह अपराध करता है 1वर्ष से 7 वर्ष/मृत्युदण्ड
धारा-4कर्तव्यों की उपेक्षा के लिए दण्ड जान बूझ कर लेट लतीफ करना (6माह से 1वर्ष) कर्तव्य-धारा-4 (2)
धारा-5पश्चातवर्ती दोष सिध्द के लिए दण्ड बार बार अपराध दोहराना (कम से कम 1वर्ष) अधिकतम जो सजा निर्धारित है
धारा-6भारतीय एण्ड संहिता के कतिपय उपबंधों का लागू होना जो परिभाषा नहीं है वह CRPC/IPC से ली जाएगी
धारा-7कतिपय व्यक्तियों की सम्पत्ती का समपहरण
धारा-8अपराधों के बारे में उपधारण proof न करने पर दोषी
धारा-9शक्तियों का प्रदान किया जाना पुलिस अधिकारी को
3- निस्कासनधारा-10ऐसे व्यक्ति को हटाया जाना जिसके द्वारा अपराध किए जाने की संभावना है 3वर्ष के लिए हट जाना
धारा-11किसी व्यक्ति के द्वारा संबंधित क्षेत्र से न हटने पर प्रकिया
धारा-12ऐसे व्यक्ति जिसके विरुध धारा-10 के आधीन आदेश दिया गया है फोटो व माप लेना
धारा-13धारा 10 के आधीन आदेश के पालन न करने के लिए सजा (1वर्ष)
4- विशेष न्यायालयधारा-14विशेष न्यायालय राज्य सरकार उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की परामर्श से विशेष न्यायालय की व्यवस्था करेगी।
धारा-15विशेष लोक अभियोजन राज्य सरकार द्वारा वकील जिसे 7 वर्ष का अनुभव हो नियुक्त करेगी
5- प्रकीर्णधारा-16राज्य सरकार की सामूहिक जुर्माना अधिरोपित करने की शक्ति
धारा-17विधि व व्यवस्था तंत्र द्वारा निवारक कार्यवाही DSP/SDM
धारा-18अधिनियम के आधीन अपराध करने वाले शक्तियों पर संहिता की धारा 438 लागू न होना गिरफतारी पूर्व जमानत
धारा-19अधिनियम के आधीन अपराध करने वाले शक्तियों पर संहिता की धारा 360 लागू न होना परवीक्षा अधिनियम के उपवध18+
धारा-20अधिनियम का अन्य विधियों पर अध्यारोही होना जो कानून लागू है उसी के तहत सजा
धारा-21अधिनियम का प्रभावी कियान्वन सुनिश्चित करने का राज्य सरकार का कर्तव्य
धारा-22सदभावना पूर्वक की गई कार्यवाही के लिए संरक्षण
धारा-23नियम बनाने की शक्ति केन्द्र के पास

निष्कर्ष

आज हमने आपको एट्रोसिटी एक्ट क्या होता है, एट्रोसिटी एक्ट कब लागू हुआ, एट्रोसिटी एक्ट की धाराएं क्या क्या है इन समस्त जानकारी को आपके संग साझा किया। अगर ये लेख आपको अच्छा लगा तो इसे अपने मित्रो और परिवार जन के साथ सोशल मीडिया में जरूर साझा करे। अगर इस जानकारी से संबंधित आपके मन में कोई भी सवाल हो या कोई सुझाव तो आप हमे कॉमेंट कर के अपना सवाल पूछ सकते है। ज्यादा जानकारी के लिए SnapHindi के वेबसाइट से अवश्य जुड़े रहे।

FAQs

प्रश्न: एट्रोसिटी कानून क्या है?

उत्तर: ऐसा कानून जिसके तहत एसटी एससी वर्ग के लोगो को सुरक्षा प्रदान कर सके और साथ ही उनके साथ अत्याचार करने वाले लोगो को कड़ी सजा मिल सके।

प्रश्न: हरिजन एक्ट क्या है?

उत्तर: एट्रोसिटी एक्ट को हरिजन एक्ट, एससी एसटी एक्ट (SC ST Act) और एट्रोसिटी एक्ट 89 के नाम से भी जाना जाता है।

प्रश्न: हरिजन एक्ट का पैसा कितना मिलता है?

उत्तर: पीड़ित द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के बाद अपराध सिद्ध होने पर अलग अलग अपराध के लिए 75 हजार से 8 लाख 50 हजार रुपए तक की सहायता राशि पीड़ित को प्रदान की जाती है।

प्रश्न: एससी एसटी एक्ट कब लगता है?

उत्तर: अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों को अपमानित करना जैसे कि उन्हें जबरन मल, मूत्र खिलाना इत्यादि दुर्व्यवहार करना अपराध की श्रेणी में आता है।