Mahar Jati Kya Hai – इतिहास, कार्य, अंबेडकर द्वारा संगठन

दोस्तों महार जाति जो भारत के इतिहास में एक सशक्त और निडर जातियों में से एक मानी जाती है। महार जाति का नाम आप सभी ने बहुत सुना होगा। लेकिन आप में से शायद ही कोई भी महार जाति के इतिहास या उनके कार्यों को जानते होंगे। आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको महार जाति से जुड़े हुए कुछ ऐसे तथ्यों को उजागर करने जा रहे हैं। जिनको जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। 

Mahar Jati Kya Hai, Mahar Jati के लोग भारत के किन-किन राज्यों में देखने को मिलते है, Mahar Jati के लोग मुख्य रूप से क्या कार्य करते थे, Mahar Jati के लोगों के शौर्य और बलिदान के कारण भी उनसे छुआछूत और भेदभाव क्यों किया गया, आखिर ऐसा क्या हुआ कि महार जाति के लोगों ने बौद्ध धर्म को स्वीकार किया इत्यादि ऐसे ही कुछ रहस्य से जुड़े हुए पहलुओं से आज पर्दा उठाएंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। तभी आप महार जाति को अच्छी तरह से समझ सकते हैं।

Mahar Jati Kya Hai

Mahar Jati Kya Hai

दोस्तों महार जाति एक ऐसी विशाल जाति समूह में से एक है। जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र की स्थाई और मूल निवासी है। इसके साथ ही महाराष्ट्र के आसपास के पड़ोसी राज्यों में भी महार जाति से संबंधित आने वाले लोग रहते हैं। जिन्हें महार जाति के अंतर्गत माना जाता है। महार जाति के लोग धर्म से हिंदू है और इनका स्थान हिंदुओं में दलित के रूप में माना जाता है। 

Mahar Jati के लोग भारत के किन-किन राज्य में देखने को मिलते है

आपमें से अधिकतर लोगों ने महार जाति का नाम तो सुना ही होगा। लेकिन महार जाति भारत के किन-किन राज्यों में देखने को मिलते है? इसकी जानकारी अधिक लोगों के पास नहीं होगी। तो हम आपको बताते हैं कि महार जाति,  जिसे आज के दौर में दलित जाति के स्थान पर रखा जाता है। वह सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में पाई जाती है। 

जहां पर महाराष्ट्र की कुल आबादी में 10% आबादी महार जाति के लोगों की ही है। इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, कर्नाटका, पश्चिम बंगाल, गुजरात, उड़ीसा, गोवा, राजस्थान, असम और दमन, दीप, दादर इत्यादि राज्यों में महार जाति के लोग रहते हैं। अलग-अलग राज्यों में रहने के कारण महार जाति के लोग अधिकतर मराठी, वरहादी बोली, हिंदी, अहिरानी, कोंकणी, अंग्रेजी, छत्तीसगढ़ी भाषा का इस्तेमाल करते हैं।

Mahar Jati का इतिहास

  • महार जाति के इतिहास की बात करें तो इन्हें मुख्य रूप से महाराष्ट्र का ही मूलनिवासी माना जाता है। इस कविले के लोगों को मुख्य रूप से काठीवाले” (लाठी वाले पुरुष), बुमिपुटेरा (मिट्टी के पुत्र) और मिरासी के नामों से भी जाना जाता था। इनके पूर्वज जो भूमि पर रहते हुए अलग-अलग बस्तियों में छोटे-छोटे कविलों में रहकर अपने शासक को चलाते थे। महार जाति के लोग बहुत ही ज्यादा वतन प्रेमी थे।
  •  जो अपने वतन के लिए आन, बान, शान और अपनी जान तक को भी नौछावर कर देते थे। समय के साथ बदलाव हुआ और बलुतेदार बन गए। जिनको गांव में छोटे-छोटे काम दिए गए। गांव में रहकर इनकी भक्ति को देखते हुए लोगों ने इन्हें कुछ जमीन का टुकड़ा खेती करने के लिए और रहने के लिए आसरा देना भी शुरू कर दिया था।
  • 17 वीं शताब्दी में मराठा राजा शिवाजी महाराज ने महार जाति के लोगों की बहादुरी को देखते हुए सम्मानित किया था। महार जाति के लोगों की बहादुरी को देखते हुए शिवाजी महाराज ने उन्हें अपनी सेना में भर्ती कर पहरेदारी का कार्य सौंपा था।
  • वर्ष 1795 के आसपास जब पेशवा का शासक चला हुआ था। तब शिदनाक महार ने खरदा की लड़ाई के दौरान “परशु राम भाऊ पटवर्धन” जो कि पेशवा शासनकाल के दौरान सेनापति थे, उनकी जान बचाई थी।
  • आप सबको एक बार जानकर हैरानी होगी कि पेशवा शासनकाल के दौरान ही महार जाति के लोगों पर बहुत से प्रतिबंध लगाए गए थे। उन्हें अछूत की नजर से देखे जाने लगा था। क्योंकि वह गंदगी उठाते थे और मरे हुए जानवरों को उठाते थे। इसीलिए पेशवा शासनकाल में उन पर ऐसे प्रतिबंध लगाए गए थे। जैसे कि गंदगी से मिट्टी के बर्तनों को उठाने पर प्रतिबंध, पैरों के निशान लगने पर प्रतिबंध और गंदगी के कारण उन पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए गए थे।

Mahar Jati के लोग पर इस्लामिक शासक का असर

जब भारत में शुरुआती दौर पर इस्लामिक शासक चला था। तब भारत में अलग-अलग प्रकार की जातियां थी। जिन्हें अलग-अलग प्रकार के काम सौंपा गए थे। उन्हीं में से महार जाति भी थी। जिन्हें मुख्य रूप से गांव की गंदगी का काम सौंपा गया था। इसके साथ ही गांव में किसी गाय की, बछड़े की या फिर भैंसे की मृत्यु हो जाती थी। तो महार जाति के लोगों को ही उनको उठाने का कार्य सौंपा गया था। 

ऐसे में महार जाति के लोग यह कार्य करते थे। कई बार अकाल पड़ने पर या खाने के लिए कुछ अनाज ना होने पर, महार जाति के कुछ लोगों ने गाय का मांस, बछड़े का मांस, भैंस का मांस खाना भी शुरू कर दिया था। इसके साथ ही इस्लामिक शासक का भी अत्याचार उन पर होने लगा। जिसका असर उन पर दिखाई देने लगा। 

उन्हें शिक्षा में भी ज्यादा स्थान नहीं दिया जाने लगा। इस्लामिक शासक के दौरान महार जाति के लोगो को गंदगी उठाने और मांस खाने की वजह से छुआछात की नजर से देखने लगे। लेकिन जब इनमें जागृति आई तो इन्होंने मास खाने का त्याग करना शुरू कर दिया।

Mahar Jati के लोग क्या कार्य करते थे

महार जाति के लोग बहुत ही निडर और साहसी थे। वह गांव के क्षेत्र के बाहर सीमा पर रहते थे। जिससे वह बाहर के आक्रमणों का सामना करते थे। चोरों, लुटेरों और अपराधियों से गांव की सुरक्षा करते थे। महार जाति के लोगों के रूप में किए जाने वाले कार्यों के बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है। जो इस प्रकार हैं–

  • चौकीदारी का काम दिया जाने लगा।
  • एक जगह से दूसरी जगह राज्य काल के दौरान संदेशवाहक के रूप में भी कार्य करते थे।
  • इमारतों की दीवारों को बनाना और उनकी मरम्मत करने का कार्य करते थे।
  • राज्यों की सीमाओं में विवाद उत्पन्न होने में अहम भूमिका का रोल और उन्हें निपटाने का कार्य करते थे।
  • राज्य काल शासक के दौरान गांव की सड़कों की देखभाल और निर्माण और साफ सफाई का कार्य करते थे।
  • गांव के अंदर मरे हुए किसी भी जानवर को उठाकर गांव की सीमा के बाहर ले जाने का कार्य भी महार जाति के लोग ही करते थे।

Mahar Jati के प्रति अंबेडकर द्वारा संगठन

महार जाति के लोगों में जागरूकता को और अधिक पैदा करने के लिए 20वीं शताब्दी के आसपास भीमराव रामजी अंबेडकर जी ने महार जाति के समुदाय के लोगों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था। इनके अंदर जीने की ऐसी लौ जलाई और इनके बच्चों के भविष्य को लेकर चिंता जताई। इसके लिए इन्होंने राजनीतिक आंदोलन का सत्याग्रह भी चलाया। महार जाति के लोगों को उनके अधिकारों के बारे में और अच्छी शिक्षा की ओर ध्यान केंद्रित करने के लिए जागरूकता अभियान छेड़ा डाला।

20वीं शताब्दी के आसपास महार जाति के लोग बहुत ही जागरूक हो गए थे। तब वह गांव से बंधुआ मजदूरी,  चौकीदारी और छुआछूत के कारण भेदभाव होने के बाद धीरे-धीरे शहर की ओर जाने लगे। जहां पर जाकर उन्होंने राजमिस्त्री, औद्योगिक क्षेत्रों में कार्य, मैकेनिकल कार्य, बस ड्राइवर, टैक्सी ड्राइवर, ट्रक चालक और रेल मजदूर इत्यादि के रूप में काम करना शुरू कर दिया था।

फिर एक दौर ऐसा आया जब वर्ष 1965 में अपनी मृत्यु से पहले अंबेडकर जी ने छुआछूत और जाति भेदभाव के कारण अपने लाखो अनुयायियों के साथ मिलकर हिंदू धर्म को छोड़ते हुए बौद्ध धर्म को अपना लिया। इसके बाद अंबेडकर जी बौद्ध धर्म अपनाते हुए जीवन यापन करने लगे। आज भी उनके लाखों अनुयाई उनके नक्शे कदमों पर चलते हुए बौद्ध धर्म को अपना रहे हैं।

Mahar Jati Kya Hai निष्कर्ष

आज हमने इस आर्टिकल में Mahar Jati Kya Hai, Mahar Jati के लोग भारत के किन-किन राज्यों में देखने को मिलते है, Mahar Jati के लोग मुख्य रूप से क्या कार्य करते थे, Mahar Jati के लोगों के शौर्य और बलिदान के कारण भी उनसे छुआछूत और भेदभाव क्यों किया गया इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: महार जाति का मतलब क्या होता है?

उत्तर: महार जाति एक ऐसी विशाल जाति समूह में से एक है। जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र की स्थाई और मूल निवासी है।

प्रश्न: महार जाति कौन से कास्ट में आती है?

उत्तर: महाराष्ट्र के आसपास के पड़ोसी राज्यों में भी महार जाति से संबंधित आने वाले लोग रहते हैं। जिन्हें महार जाति के अंतर्गत माना जाता है। महार जाति के लोग धर्म से हिंदू है और इनका स्थान हिंदुओं में दलित के रूप में माना जाता है। 

प्रश्न: क्या महार और चमार एक ही है?

उत्तर: जैसे पंजाब में जाटों की एक अलग जाति है उसी प्रकार महार भी एक अलग जाति में आते है। महारों को महाराष्ट्र का ही मूलनिवासी माना जाता है। इस कविले के लोगों को मुख्य रूप से काठीवाले” (लाठी वाले पुरुष), बुमिपुटेरा (मिट्टी के पुत्र) और मिरासी के नामों से भी जाना जाता था।