Mesadi Vaisakhadi Kya Hai – मेसादी बैसाखड़ी के दिन क्या करना चाहिए, कब मनाया जाता है

दोस्तों भारत एक ऐसा देश है। जहां पर हर रोज एक नया पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भारत के सभी धर्म के लोग, जातियों के लोग, वन जातियों के लोग मिलकर मनाते हैं। चाहे वह ब्राह्मण हो, शूद्र हो, वैश्य हो या फिर क्षत्रिय हो। क्योंकि भारत एक प्राचीन काल से विद्यमान इस पृथ्वी पर विशाल संस्कृति या कहे ब्रह्मांड का एक विश्व प्रसिद्ध सनातन धर्म से जुड़ा हुआ देश माना जाता है। यहां के कण-कण में आपको भगवान के रहस्यों से जुड़े हुए तथ्य मिलते रहते हैं। इसीलिए यहां पर जितने भी पर्व मनाए जाते हैं। उनका अपने आप में ही एक अलग महत्व होता है। ऐसा ही एक पर्व मसादी बैसाखड़ी का है। 

आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको Mesadi Vaisakhadi Kya Hai, Mesadi Vaisakhadi Meaning In Hindi, Mesadi Vaisakhadi का पर्व 2023 में कब आएगा, Mesadi Vaisakhadi के पर्व के दिन क्या-क्या करना चाहिए इत्यादि इन सब से जुड़ी हुई बातें अपने इस आर्टिकल में विस्तारपूर्वक बताएंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और Mesadi Vaisakhadi के पर्व से जुड़े हुए हर एक पहलुओं को अच्छे से जाने।

mesadi vaisakhadi kya hai

Mesadi Vaisakhadi Kya Hai (Mesadi Vaisakhadi Meaning In Hindi)

मेसादी बैसाखड़ी भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा पर्व है। जो सुख और शांति और नववर्ष की शुरुआत का एक प्रतीक माना जाता है। मसादी को मेशा सक्रांति भी कहा जाता है। जो उपमहाद्वीप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। मसादी बैसाखड़ी को मुख्य रूप से हिंदू और सनातन धर्म से रिश्ता रखने वाले सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। 

आज के दौर में पूरे विश्व में जहां-जहां हिंदू और सिख समुदाय रहते हैं। वह इस त्यौहार को अपने रीति-रिवाज के तहत बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। मसादी बैसाखड़ी पर्व को भारत के अलग-अलग राज्यों में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है।

Mesadi Vaisakhadi पर्व कब मनाया जाता है

मसादी बैसाखड़ी पर्व वैसे तो हर वर्ष हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने में मनाया जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार नववर्ष की शुरुआत को मानते हुए सनातन धर्म से जुड़े हुए लोग इस पर्व को बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व हर वर्ष मार्च या अप्रैल महीने में आता है। इस त्यौहार की शुरुआत चैत्र महीने के दिन की शुरुआत के साथ ही हो जाती है। 

Mesadi Vaisakhadi पर्व 2023 में कब है

मसादी बैसाखड़ी का पर्व साल 2023 में 15 अप्रैल के दिन यानि की शनिवार को मनाया जा रहा है। अगर आप सोच रहे होंगे कि अगले साल भी यानी 2024 में भी इसी दिन यह पर्व आएगा तो आप गलत सोच रहे है। यह त्यौहार ग्रह और नक्षत्रों के अनुकूल हर वर्ष कैलेंडर तारीख में बदलते रहते हैं। साल 2024 में कोई ओर तारीख हो सकती है। लेकिन महीना सनातन धर्म के अनुसार “चैत्र मास” का रहेगा।

Mesadi Vaisakhadi के दिन अवकाश 

हम आपको बताना चाहते हैं कि मसादी बैसाखड़ी पर्व के दिन किसी भी तरह का कोई भी सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है। हां कुछ राज्य इसे अपनी इच्छा से मनाने के लिए छुट्टी दे देते हैं। इसके अलावा जो जरूरी कार्यालय होते हैं, वह अधिकतर खुले होते हैं। भारत के अंदर अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग तरह से इस पर्व को मनाया जाता है। 

इसीलिए उन राज्यों के ऊपर ही इसकी छुट्टी का भी निर्णय लेने का अधिकार होता है। कुछ राज्य कुछ वक्त के लिए इस त्यौहार को मनाने के लिए छुट्टी दे देते हैं। ताकि इस पर्व के दिन वह समाज के साथ थोड़ा समय बिता सकें।

Mesadi Vaisakhadi पर्व को किन-किन राज्यों में मनाया जाता है

दोस्तों मसादी बैसाखड़ी पर्व को भारत के बहुत से प्रांतों में मनाया जाता है। जैसे कि उत्तर पूर्व क्षेत्र के राज्यों में, गुजरात ,उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, बिहार, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान इत्यादि प्रकार के राज्यों में इस पर्व को अपने रीति-रिवाजों के अनुकूल ही मनाया जाता है। 

जैसे कि हमने ऊपर बताया है कि हिंदू रीति रिवाज से संबंध रखने वाले लोग इस पर्व को नववर्ष की शुरुआत के तौर पर मनाते हैं और साथ में ही इस पर्व को फसल कटाई के रूप में भी मनाया जाता है।

Mesadi Vaisakhadi के अन्य नाम और भाषा

मसादी बैसाखड़ी को अन्य राज्यों में जिन नामों से पुकारा जाता है। इसके बारे में हमने नीचे विस्तार से बताया है, जो इस प्रकार है–

  • गुड़ी पड़वा के नाम से महाराष्ट्र राज्य में इस पर्व को मनाया जाता है।
  • उगदी के नाम से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश राज्यों में इस पर्व को मनाया जाता है।
  • नव संवत के नाम से राजस्थान और गुजरात राज्यों में इस पर्व को मनाया जाता है।
  • मसादी या मेशा सक्रांति के नाम से इस पर्व को हिंदू नववर्ष की शुरुआत में चैत्र मास के प्रतिक के तौर पर मनाया जाता है।
  • बैसाखड़ी पर्व को सिख समुदाय फसल कटाई के रूप में मनाते हैं।

इसके साथ ही अन्य नाम और स्थानीय भाषाओं में मसादी वैसाखड़ी को निम्नलिखित नामों से भी पुकारा जाता है–

भाषानाम
हिन्दी मेसाडी/सख्ती, बीहू
अंग्रेजीमेसादि/वैसाखड़ी, भागग बिहू, वैसाखड़ी, पुथंडु
नार्वेजियन मसादी/वैशाखड़ी
जर्मनमसादी/वैशाखड़ी

Mesadi Vaisakhadi पर्व का सबंध खासतौर पर सिख समुदाय से

आप सब जानते हैं कि सिख समुदाय एक ऐसा समुदाय है। जो अपनी वीरता और बलिदान के कारण विश्व भर में जाना जाता है। इस समुदाय की स्थापना श्री गुरु नानक देव जी ने आज से तकरीबन 500 वर्ष पहले की थी। उन्होंने सिखों को पंचामृत पिलाकर 5 तत्वों को धारण करने के लिए प्रेरित किया था और इसके साथ ही निर्दोष निर्बल की सहायता और अत्याचारों के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए प्रेरित किया था।

इसी रीत को आगे बढ़ाते हुए सिख समुदाय के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने खालसा पंथ की शुरुआत वर्ष 1699 में की थी। खालसा का मतलब था निर्बल और कमजोर लोगों की सहायता करना और अत्याचारों के खिलाफ एक जुट हो कर लड़ना। ताकि अपने धर्म और दूसर धर्म के लोगों की रक्षा की जाए।

गुरु गोविंद सिंह जी ने बैसाखड़ी पर्व को फसल कटाई के रूप में मनाना शुरू किया। क्योंकि फसल जो कि अन्न है, वह हम मनुष्यों का पेट भरते हैं। इसलिए हमें अन्न को काटने से पहले उसकी पूजा करनी चाहिए और रीति-रिवाज के साथ श्रद्धा भाव को रखते हुए, फिर फसल को काटना चाहिए। तब से सिख समुदाय ने बैसाखड़ी पर्व को फसल कटाई के रूप में बनाना शुरू किया। 

Mesadi Vaisakhadi के दिन पकवान

आप सभी जानते हैं कि भारत एक ऐसा देश है। जहां पर हर त्यौहार को अपने रीतियों के अनुसार मनाते हैं। ऐसा ही यह मसादी बैसाखड़ी का त्यौहार है। जिसे लोग अपनी रीत के अनुसार मनाते हैं। इस त्यौहार को अलग-अलग राज्यों के लोग अलग-अलग जातियों के लोग मिलकर मनाते हैं। 

इस त्यौहार के दिन विशेष रूप से बनाई जाने वाली मिठाइयों में से मुख्य पुलिहोरा, बुरालू, पचड़ी, जलेबी और बोब्बतलू को बनाया जाता हैं। इसके साथ ही देवी-देवताओं को प्रसाद का के रूप में होलीगे, पुरन पोली या बोब्बतलू का भोग लगाया जाता है।

Mesadi Vaisakhadi के पर्व के दिन क्या करना चाहिए

दोस्तों हम आपको बताते हैं कि मसादी बैसाखड़ी के दिन आप सभी को क्या करना चाहिए? जिससे कि आप अच्छे तरीके से मसादी या मेशा सक्रांति बैसाखड़ी को मना सके। इसके बारे में हमने ‘नीचे’ बताया है।

  • आप सभी को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।
  • फिर आप सभी को अच्छे और स्वच्छ कपड़ों को पहनना चाहिए।
  • इसके बाद अपनी रीति के अनुसार अपने देवी-देवताओं को धूपबत्ती करके पूजा अर्चना करनी चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। क्यूंकि सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार किसी भी पर्व के दिन हमें अपने देवी-देवताओं को याद करना चाहिए। उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। जिससे जीवन में सुख, समृद्धि, शांति, वैभव और तरक्की का मार्ग सहज होता चला जाता है और हमेशा देवी देवताओं का हाथ आपके सर पर रहता है।
  • इसके साथ ही उनको होलीगे, पुरन-पोली, मिश्री, जलेबी, लड्डू और बोब्बतलू जैसे पकवानों का भोग लगाना चाहिए।
  • फिर अपने से बड़े बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
  • इसके बाद हिंदू सनातन धर्म के अनुसार नववर्ष की शुरुआत करनी चाहिए। सिख समुदाय के अनुसार इस पर्व के बाद फसल की कटाई के काम को शुभ माना जाता है।

Mesadi Vaisakhadi Kya Hai निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में Mesadi Vaisakhadi Kya Hai, Mesadi Vaisakhadi Meaning In Hindi, Mesadi Vaisakhadi का पर्व 2023 में कब आएगा, Mesadi Vaisakhadi के पर्व के दिन क्या-क्या करना चाहिए इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: मेसादी वैसाखाड़ी से क्या आप समझते है?

उत्तर: मेसादी बैसाखड़ी भारत में मनाया जाने वाला एक ऐसा पर्व है। जो सुख और शांति और नववर्ष की शुरुआत का एक प्रतीक माना जाता है। मसादी को मेशा सक्रांति भी कहा जाता है। जो उपमहाद्वीप में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।

प्रश्न: मसादी बैसाखड़ी के दिन कौन से पकवान बनते है?

उत्तर: इस त्यौहार के दिन विशेष रूप से बनाई जाने वाली मिठाइयों में से मुख्य पुलिहोरा, बुरालू, पचड़ी, जलेबी और बोब्बतलू को बनाया जाता हैं। इसके साथ ही देवी-देवताओं को प्रसाद का के रूप में होलीगे, पुरन पोली या बोब्बतलू का भोग लगाया जाता है।

प्रश्न: क्या मसादी बैसाखड़ी के दिन एक सार्वजनिक अवकाश होता है?

उत्तर: मसादी बैसाखड़ी पर्व के दिन किसी भी तरह का कोई भी सार्वजनिक अवकाश नहीं होता है।