पीत पत्रकारिता क्या है – शुरुआत कैसे हुई और जानिए इसकी पूरी जानकारी 

दोस्तों जैसे कि आप सब जानते हैं कि पत्रकारिता अलग-अलग प्रकार से की जाती है। क्योंकि जर्नलिज्म एक अलग ही तरह की पत्रकारिता करने में विश्वास रखते हैं। उन्हीं में से एक पीत पत्रकारिता होती है। आपने पीत पत्रकारिता का नाम शायद ही सुना हो या सुना होगा। लेकिन आपको इसके तथ्यों के बारे में विस्तार में जानकारी नहीं होगी। 

आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में पीत पत्रकारिता क्या है, पीत पत्रकारिता के जनक कौन है, पीत पत्रकारिता से संबंधित जानकारी से अवगत करवाएंगे। अगर आप भी पीत पत्रकारिता के बारे में जानना चाहते हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें। जिससे आप हमारे द्वारा बताये गई जानकारी से पीत पत्रकारिता के बारे में संपूर्ण जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

पीत पत्रकारिता क्या है

पीत पत्रकारिता क्या है (Peet Journalism In Hindi)

दोस्तों पत्रकारिता करने के अपने आप में ही एक अलग गुण होते हैं। जिसके तहत पत्रकारिता की जाती है। ऐसे ही एक पीत पत्रकारिता है। पीत पत्रकारिता को हम आसान भाषा में समझे तो समाचार पत्रों के ऊपर आप लोगों ने एडिंग लिखी हुई देखी होगी। जिससे छापा जाता है और उनसे सनीसनी खबर के रूप में मान कर सनसनी फैला दी जाती है।

पत्रकार ऐसी खबरों को जरूरत से ज्यादा बढ़ा चढ़ा कर समाचार पत्रों के ऊपर लिखते हैं या छापते हैं। वह ऐसी सनसनी फैलाने वाली खबरों को होने का दावा करते हैं। इसी संदर्भ में वह समाचार पत्रों के ऊपर या टेलीविजन के माध्यम से न्यूज़ को फ्लैश-लाइट करते हैं। उसे हम पीत पत्रकारिता के रूप में मान सकते हैं।

पीत पत्रकारिता की शुरुआत

दुनिया के दो समाचार पत्रों के मालिक विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट और जोसेफ पुलित्जर ने अपने अखबारों की बिक्री करने के लिए सनसनी जैसी खबरों को छापना शुरू किया था। जिसमें उन्होंने प्रतिस्पर्धा करते हुए तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर अपने अखबारों के बीच में छापा। ताकि वह अपने अखबारों की अधिक से अधिक बिक्री की जा सके।

पीत पत्रकारिता को 1890 ईस्वी में पुलित्जर ने लोकप्रिय न्यू यॉर्क वर्ल्ड कॉमिक से “होगन्स एले” नामक एक शब्द लिया गया। जिसे येलो जर्नलिज्म कह कर संबोधित किया गया। इस कॉमिक्स में “द येलो किड”  नामक एक पीले रंग के चित्र को अंकित किया गया था। “येलो किड्स” सनसनीखेज प्रेस के बीच प्रतियोगिता बन गई। जिसके बाद पत्रकारिता को एक पीली पत्रकारिता के रूप में संदर्भ किया गया। जिसे पीत पत्रकारिता या येलो जर्नलिज्म कहा गया।

पीत पत्रकारिता का इस्तेमाल

दोस्तों पीत पत्रकारिता का उपयोग या कहें इस्तेमाल ऐसे पत्रकार करते हैं। जो अपनी खबर को सही रूप में संदर्भ करके उसे बढ़ा चढ़ाकर पापुलैरिटी बटोरना चाहते हैं। इसके साथ ही ऐसे लोग भी पीत पत्रकारिता का इस्तेमाल करते हैं जो अपने व्यवसाय को बढ़ाना चाहते हैं। यह एक तरह की पत्रकारिता करने का साधारण माध्यम माना जाता है।  

क्योंकि इस पत्रकारिता में किसी भी विषय के ऊपर जानकारी खोजने का दावा किया जाता है या होने का दावा किया जाता है। लेकिन असल में उस खबर का कोई जोड़ नहीं होता। सिर्फ कुछ समाचार पत्र वाले अपने पत्रों को बेचने के लिए या कहें उनकी अधिक बिक्री करने के लिए इस तरह की पीत पत्रकारिता करते हैं।

पीत पत्रकारिता के जनक

पीत पत्रकारिता को अमेरिका के रहने वाले विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट ने 19वी शताब्दि के आसपास में हर्स्ट कम्युनिकेशन समाचार पत्र की स्थापना की थी। जिन्होंने एक पीत पत्रकारिता के माध्यम से सनसनीखेज खबरों का उल्लेख करना शुरू कर दिया था। जिन्होंने अपने मीडिया व्यवसाय को बढ़ाने के लिए खबरों को उनके तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर जरूरत से ज्यादा बढ़ा चढ़ाकर सनसनीखेज फैलाने के चक्कर में छापना शुरु कर दिया था। 

इसके साथ ही बदलते दौर को देखते हुए और लोगों के मन को पढ़ते हुए। उन्होंने पीत पत्रकारिता के माध्यम से चटपटी और सनसनीखेज जैसी खबरों को छापना शुरू कर दिया। जिससे लोगों का ध्यान इन खबरों की ओर बढ़ने लगा। वह सब इन खबरों को पढ़ने के लिए समाचार पत्रों की खरीदारी करने लगे। इससे साबित होता है कि पीत पत्रकारिता कोई नया शब्दावली का शब्द नहीं है। 

बल्कि यह एक पुराने समय से ही इस्तेमाल किये जाने वाली टेक्निक है। जिसका इस्तेमाल आज के दौर में बखूबी किया जाता है। जिससे खबरों को चटपटी मसाला लगाकर लोगों का ध्यान अपने समाचार पत्र की तरफ आकर्षित करने के लिए छापा जाता है।

पीत पत्रकारिता का दूसरा नाम क्या है

दोस्तों पीत पत्रकारिता का दूसरा नाम गुप्त पत्रकारिता भी माना जाता है। क्योंकि पीत पत्रकारिता में शिर्षक के माध्यम से खबर की सनसनी फैलाई जाती है। मतलब उसमें बड़े-बड़े शीर्षक लिख दिए जाते हैं और उनके अंदर छुपी हुई जानकारी को बढ़ा चढ़ा कर लोगों के समक्ष लाया जाता है। ताकि लोग ऐसी खबरों को जानने के इच्छुक या पढ़ने के इच्छुक होकर उसकी ओर आकर्षित हो जाए और उसे पढ़े कि इस में आगे क्या होगा? लेकिन बाद में इसमें कुछ नहीं पाया जाता। क्योंकि इसमें सारी जानकारी को तोड़ मरोड़ कर पेश किया जाता है अर्थात असली जानकारी गुप्त ही रहती है। इसलिए पीत पत्रकारिता को गुप्त पत्रकारिता भी कहते हैं।

पीत पत्रकारिता के नुकसान

दोस्तो पत्रकारिता के अपने ही कुछ नुकसान होते हैं। आज हम आपको पीत पत्रकारिता के कुछ नुकसान से हम अवगत कराएंगे। जिन्हें हम नीचे विस्तार में लिखेंगे–

  • जहां पर लाइव कैमरे को ले जाना वंचित होता है। लेकिन कुछ चैनल न्यूज़ वाले आज के दौर में कंपटीशन को करते हुए ऐसी गलत खबरें अपने न्यूज़ चैनल पर चला देते हैं। जिन्हें किसी सुरक्षा के कारण दिखाना बिल्कुल भी सही नहीं है। अगर ऐसी ही टीआरपी के लिए न्यूज़ चैनल वाले अनवांटेड वीडियो को प्रसारण करते हैं। तो स्थिति में सुरक्षा से संबंधित के विषय या कहें चूक होने की संभावना अधिक होती है।
  • बॉर्डर से संबंधित खबरें आप न्यूज़ चैनल पर देखते हैं। वहां पर कुछ पत्रकार अपने चैनल की टीआरपी को बढ़ाने के लिए बॉर्डर से संबंधित और सैन्य से संबंधित वीडियो को लाइव टेलीकास्ट करके दुनिया के सामने रख देते हैं। जिस स्थिति में हमारे दुश्मन इस वीडियो के माध्यम से हमारी सेना की हरकत के बारे में अंदाजा लगा लेते हैं। जिससे कोई बड़ी दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है या भविष्य में इससे देश में किसी अनहोनी होने का खतरा रहता है। यह भी एक पीत पत्रकारिता करने का नुकसान है।
  • पीत पत्रकारिता के द्वारा खबरों को दिखाना और उनके बारे में गलत तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश करना इससे जनता के सामने विवाद पैदा हो सकता है।

पीत पत्रकारिता क्या है निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में पीत पत्रकारिता क्या है, पीत पत्रकारिता के जनक कौन है, पीत पत्रकारिता की शुरुआत इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: पीत पत्रकारिता का क्या अर्थ है?

उत्तर: पीत पत्रकारिता को हम आसान भाषा में समझे तो समाचार पत्रों के ऊपर आप लोगों ने एडिंग लिखी हुई देखी होगी। जिससे छापा जाता है और उनसे सनीसनी खबर के रूप में मान कर सनसनी फैला दी जाती है।

प्रश्न: पीत पत्रकारिता की शुरुआत कब हुई?

उत्तर: पीत पत्रकारिता को 1890 ईस्वी में पुलित्जर ने लोकप्रिय न्यू यॉर्क वर्ल्ड कॉमिक से “होगन्स एले” नामक एक शब्द लिया गया।

प्रश्न: पीत पत्रकारिता के जनक कौन है?

उत्तर: पीत पत्रकारिता को अमेरिका के रहने वाले विलियम रैंडोल्फ हर्स्ट ने 19वी शताब्दि के आसपास में हर्स्ट कम्युनिकेशन समाचार पत्र की स्थापना की थी।