सेला सुरंग क्या है – सेला सुरंग परियोजना का महत्व

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच आए दिन कोई ना कोई झड़प या मुठभेड़ होती ही रहती है। इस तरह के झड़प या मुठभेड़ से मुकाबले के लिए सीमा सड़क संगठन (BRO) ने सेला सुरंग के निर्माण करने का फैसला लिया। सर्दियों के मौसम में अधिक बर्फ गिरने से यहां के रास्तों में आवाजाही और सप्लाई की समस्या ज्यादा बढ़ जाती है। इससे निजात पाने के लिए सेला सुरंग का निर्माण का कार्य तेजी से हो रहा है।

तो चलिए इस लेख के माध्यम से आगे जानते कि सेला सुरंग क्या है, सेला सुरंग परियोजना का महत्व क्या है, सेला सुरंग की ऊंचाई कितनी है, सेला सुरंग कहां स्थित है, सेला सुरंग का निर्माण करने का कारण क्या है इत्यादि की पूरी जानकारी इस लेख के माध्यम से आगे जानेंगे। अतः इस लेख को अंतिम तक पूरा अवश्य पढ़े।

सेला सुरंग क्या है - सेला सुरंग परियोजना का महत्व

सेला सुरंग क्या है (Sela Tunnel In Hindi)

सेला सुरंग, जो दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन रोड सुरंग है। सेला सुरंग का निर्माण भारत-चीन सीमा के पास 13,800 फीट की ऊंचाई पर किया जा रहा है। यह सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ (BRO) द्वारा इसका निर्माण हो रहा है। सेला सुरंग के द्वारा चीनी सैनिकों के बीच झड़प या पश्चिमी थिएटर कमांड के खतरे का मुकाबला करने के लिए भारत अपने सैनिकों की वृद्धि और हथियारों जैसे गोला, बारूद की सप्लाई लगातार कर सके। इसके साथ साथ यह सुरंग असम और तवांग में बने सेना के कोर मुख्यालयों के बीच की दूरी को भी कम करती है।

सेला सुरंग परियोजना का अवलोकन (Overview Of Sela Tunnel Project)

सुरंग का नाम सेला सुरंग
कहां स्थित है सेला पास, तवांग जिला
कब शुरू हुआ 15 अक्टूबर 2020
ऊंचाई 13,800 फीट
लंबाई 12 किलोमीटर
किसके द्वारा सीमा सड़क संगठन (BRO)
कारणसैनिकों और हथियार, गोला बारूद की बेहतर सप्लाई और बेहतर आवाजाही के लिए

सेला सुरंग कहां है (Where is Sela Tunnel)

सेला सुरंग 13,800 फीट की ऊंचाई पर बनाया जा रहा है। सेला सुरंग 12 किमी लंबी है। इसका निर्माण बलीपारा-चारद्वार-तवांग (BCT) सड़क पर किया जा रहा है। यह सड़क 317 किमी का है। जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है। सेला सुरंग का निर्माण तवांग को प्रत्येक मौसम में अच्छी और बेहतर आवाजाही और संपर्क प्रदान करने के लिया किया जा रहा है।

सेला सुरंग परियोजना का महत्व (Significance of Sela Tunnel Project)

अरुणाचल प्रदेश के तवांग में भारत-चीन के सैनिकों के बीच झड़प आए दिन हम कही ना कही सुनते रहते है। हम आपको जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान में, भारतीय सेना के जवान और वहां स्थानीय क्षेत्र के लोग तवांग तक पहुंचने के लिए बालीपारा-चारीदुआर रोड का प्रयोग फिलहाल अभी कर रहे है।

सर्दियों के मौसम में अधिक बर्फ गिरने से यहां के रास्तों में आवाजाही में हर साल प्रतिबंध लगा दिए जाते है। इससे भारतीय सेना के जवान और वहां स्थानीय क्षेत्र के लोगो को तवांग तक पहुंचने में बहुत परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ (BRO) द्वारा अरुणाचल प्रदेश के तवांग में सेला सुरंग परियोजना का कार्य कर रही है।

सेला सुरंग परियोजना का कार्य तेजी से हो रहा है। 13,800 फीट की ऊंचाई में सेला सुरंग निर्माण किया जा रहा है। सेला दर्रा सुरंग तवांग को सभी मौसम में संपर्क प्रदान करेगी। यह चीन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के साथ विभिन्न स्थानों पर सैनिकों और हथियार, गोला बारूद की बेहतर सप्लाई और आवाजाही भी बनाए रखेगी।

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सेला सुरंग का निर्माण क्यों किया गया (Why Was The Sela Tunnel Built)

सेला सुरंग क्या है - सेला सुरंग परियोजना का महत्व

अरुणाचल प्रदेश के तवांग की तरफ सर्दियों में हालत बहुत ही खराब हो जाता है। चारो तरफ धुंध ही धुंध दिखाई देती है। देखा जाए तो भारतीय सेना भी इसी रास्ते का इस्तेमाल करती है। लेकिन भयंकर बर्फबारी के कारण सब कुछ ठप हो जाता है। 13,800 फीट की ऊंचाई पर सेला सुरंग बनाया गया है। अब बात करते है सेला पास की। सेला पास वह जगह है जो तवांग घाटी को मैदानी इलाका यानी तेजपुर से जोड़ता है। क्योंकि जो हाईवे है तेजपुर से सेला पास होते हुए तवांग तक पहुंचती है।

सर्दियों के दिन सेला पास 2,3 महीने के लिए पूरी तरह से बंद हो जाता है क्योंकि बहुत ज्यादा बर्फबारी होती है। जिसके कारण आवाजाही तक बंद हो जाती है। चाइना बॉर्डर के पास यानी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास जो हमारी सेना तैनात रहते है उनके लिए ज्यादा दिक्कत हो जाती है। क्योंकि सेना को हथियार, गोला बारूद की सप्लाई करनी होती है वो समय में नहीं ले जा पाते है।

इसके साथ साथ वहां पर तैनात सेना को जमी हुई बर्फ को हटाने की जिम्मेदारी भी रहती है। तो सीमा सड़क संगठन यानी बीआरओ (BRO) के इंजीनियर्स ने यह तरकीब निकाली कि सेला पास को ही बायपास कर जाए तो इससे 45 मिनट या 1 घंटे का समय बच जायेगा। इसलिए सेला टनल या सेला सुरंग का निमार्ण किया गया जिससे आने वाली परेशानियों का सामना ना करना पड़े और सेना की आवाजाही और हथियारों की सप्लाई बिना किसी दिक्कत की होती रहे।

सेला सुरंग क्या है निष्कर्ष:

आज हमने इस आर्टिकल में सेला सुरंग क्या है, सेला सुरंग परियोजना का महत्व क्या है, सेला सुरंग की ऊंचाई कितनी है, सेला सुरंग कहां स्थित है, सेला सुरंग का निर्माण करने का कारण क्या है इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

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FAQs:

प्रश्न: सेला सुरंग क्या है?

उत्तर: सेला सुरंग, जो दुनिया की सबसे लंबी बाइ-लेन रोड सुरंग है। सेला सुरंग का निर्माण भारत-चीन सीमा के पास किया जा रहा है।

प्रश्न: सेला सुरंग कहां स्थित है?

उत्तर: इसका निर्माण बलीपारा-चारद्वार-तवांग (BCT) सड़क पर किया जा रहा है। जो अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग, पूर्वी कामेंग और तवांग जिलों को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ती है।

प्रश्न: सेला सुरंग की ऊंचाई कितनी है?

उत्तर: भारत-चीन सीमा के पास 13,800 फीट की ऊंचाई पर किया जा रहा है।

प्रश्न: सेला सुरंग की लंबाई कितनी है?

उत्तर: सेला सुरंग की लंबाई 12 किलोमीटर है।