ठनका क्या होता है – ठनका से बचने के उपाय

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मानसून का मौसम आते ही बिजली गिरने और उससे हुई मौतों की खबरे भी आती है। ऐसे में मन में कई तरह के सवाल आते है कि आखिर यह कैसे होता है? बिजली कैसे चमकती है? बिजली से मौतें क्यों होती है? आकाशीय बिजली से कैसे बचा जा सकता है? और इसका गिरने का कारण क्या है? आकाशीय बिजली के कई नाम है इनमे से एक नाम ठनका भी है।

तो चलिए जानते है कि ठनका क्या होता है, ठनका क्यों गिरता है, शरीर में इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इनके गिरने के संकेत, ठनका से बचने के उपाय, प्रभावित होने वाले राज्य, इससे मिलने वाले अनुदान इत्यादि के बारे में इस लेख के माध्यम से पूरी जानकारी जानेंगे। अतः इस लेख को अंतिम तक पूरा अवश्य पढ़े।

ठनका क्या होता है
ठनका क्या होता है

ठनका क्या होता है

ठनका एक प्राकृतिक आपदा है। आसमान में जब बादल छाए होते है तो हवा के वजह से उसमें घर्षण होता है और बादल में पहले से ही पानी के छोटे छोटे कण मौजूद होते है। जब बादलों में हवा के वजह से घर्षण होता है तो एक बिजली उत्पन्न होती है। कुछ बादलों में पाजिटिव चार्ज उत्पन्न होता है तो कुछ में नेगटिव चार्ज। जब इन दोनो चार्ज वाले बादल एक दूसरे से मिलते है तो लाखों वोल्ट की बिजली उत्पन्न होती है। इसी बिजली को ठनका कहा जाता है। यही बिजली ठनका के रूप में धरती में गिरती है।

ठनका को अक्सर आकाशीय बिजली, तड़ित, वज्रपात इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। बिहार में इसे ठनका के नाम से जानते है। बिजली चमकने और गिरने का सही कारण सबसे पहले 1872 में वैज्ञानिक बेंजामिन फ्रेंकलिन ने बताया था। इसके साथ साथ बिजली चमकने और गड़गड़ाहट के आवाज का कारण का पता उन्होंने लगाया था। उन्होंने बताया कि बिजली की चमक पहले और इससे उत्पन्न आवाज बाद में आती है।

इसका कारण यह है कि प्रकाश की गति 30 हजार किलोमीटर प्रति सेकेंड होती है और जबकि ध्वनि की गति केवल 332 मीटर प्रति सेकेंड होती है। यही कारण है कि बिजली का चमकना और आवाज एक साथ उत्पन्न होता है लेकिन बिजली की चमक पहले दिखाई देती है।

ठनका सबसे ज्यादा कहां गिरता है

ठनका के गिरने की ज्यादा संभावना ऊंचे इलाके, ऊंचे इमारत या भवन, पहाड़ या कोई ऊंचे पेड़ इत्यादि में होती है। इसके अलावा जहां पानी का स्रोत ज्यादा होता है वहां पर ठनका या वज्रपात के गिरने की संभावना ज्यादा होती है। ऊंचे पेड़ या इमारत में कुछ चार्ज उत्पन्न हो रहे होते है जो बादल में बहने वाले चार्ज से बिलकुल विपरित चार्ज उसमे बह रहे होते है। तभी बिजली गिरती है इसी को ठनका का गिरना या बिजली गिरना भी कहा जाता है।

ठनका या वज्रपात के गिरने की संभावना सबसे ज्यादा खेतों में काम कर रहे किसानों, पेड़ो के नीचे बारिश से बचने वाले लोगो, तालाब या नदी में बारिश के दौरान स्नान करने वाले लोगो इत्यादि पर ठनका के गिरने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बिजली के चमकने या आवाज करने पर वहां से हट जाना ही बेहतर होता है।

ठनका गिरने से शरीर में इसका प्रभाव

ठनका एक प्राकृतिक आपदा है। जो बारिश के दौरान किसी पर भी गिर सकती है। अगर ठनका या वज्रपात इंसान के शरीर में गिरती है तो इसका बहुत प्रभाव देखने को मिलता है। इसके प्रभाव इंसान की समय पर मृत्यु भी हो सकती है।   जब इंसान के शरीर में ठनका या वज्रपात होता है तो शरीर बुरी तरह जल जाती है।

इससे शरीर के नसों में बहुत नुकसान देखने को मिलता है। ठनका या वज्रपात का सबसे ज्यादा प्रभाव तंत्रिका तंत्र में देखने को मिलता है। इसी कारण दिल का दौरा पड़ना, किसी अंग में चोट या नुकसान को महसूस नहीं कर पाने की स्थिति भी पैदा हो सकती है। इस कारण से अपंगता की संभावना भी बढ़ जाती है।

ठनका गिरने से पहले ये संकेत

ठनका या वज्रपात के गिरने से पहले कुछ संकेत देखने को मिलता है। जिससे यह पता लगाया जा सकता है की आपके आसपास बिजली गिरने वाली है। ठनका गिरने से पहले ये संकेत जो निम्न है–

  • सिर के बाल खड़े होने
  • शरीर के त्वचा में कुछ झुरझाहट सा पड़ना,
  • ऐसी स्थिति में नीचे झुककर अपने मस्तिस्क को घुटने से छिपा ले।

ठनका से बचने के उपाय

ठनका से बचने के कुछ उपाय है जिन्हे वज्रपात या ठनका गिरने के समय उपयोग कर इससे बचा जा सकता है। जो निम्न है–

  • बिजली गिरने का सबसे ज्यादा खतरा ऊंचे इलाकों या ऊंची जगहों में ज्यादा होता है। इसलिए ऐसी जगहों में जाने से बचे।
  • खिड़की और दरवाजों से दूर रहे और खुले स्थान पर ना जाए।
  • ऐसी स्थिति पर पेड़ के नीचे खड़ा ना रहे।
  • बिजली से चलने वाले डिवाइसों या उपकरणों से दूर रहे या उन्हें बंद करना सही होता है। बिजली के उपकरण यानी नल, फ्रिज, टेलीफोन इत्यादि इन सब से दूर रहे।
  • पेड़ो, मोबाइल टावर या बिजली के खंभों से दूर रहना उचित होगा।
  • वज्रपात या ठनका से बचने के लिए नदी या तालाब में स्नान ना करे।
  • अगर आपके आस पास काफी लोग है तो ऐसे में सब आपस में 15 फीट की दूरी बना ले।
  • बिजली गिरने से बचने के लिए भवनों, इमारतों के ऊपर तड़ित चालक जरूर लगवाना चाहिए।
  • यदि ठनका गिरने का खतरा या संकेत दिखाई देने पर आपको अपने सर पर हाथ रख कर मस्तिस्क को घुटना से ढक ले।

ठनका से ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य

मूसलाधार बारिश और आकाशीय बिजली या ठनका के कारण हर साल भारत में 3000 से ज्यादा मौते हो रही है। पश्चिम यूपी, राजस्थान और हरियाणा में 100 लोगो की मौत हुई थी। यह घटनाए 2018 की है। अगर 2018 की माने तो पूरे भारत में वज्रपात या ठनका से मरने वालो की संख्या करीब 3000 से ज्यादा है।

जिसमे 302 से अधिक लोग बिहार के बताए जाते है और वही 2019 में ठनका गिरने से मरने वालो की संख्या लगभग 221 थी। वार्षिक वज्रपात या ठनका गिरने का रिपोर्ट कुछ जानकारों के हिसाब से 2021-2022 में बिहार ऐसा राज्य है जो 10वे स्थान पर था। 2022 में बिहार में करीब 2,59,266 घटनाएं देखने को मिली है। जो की 2020-21 की तुलना में 23 फीसदी कम देखी गई है।

ठनका से प्रभावित लोगो को मिलता है अनुदान

प्राकृतिक आपदाओं, ठनका या वज्रपात, लू,असामयिक वर्षापात, अतिवृष्टि तथा नाव दुर्घटना, सामूहिक दुर्घटनाएं इत्यादि से मृत्यु होने पर राज्य सरकार के द्वारा अनुदान का भुगतान किया जाता है। प्राकृतिक आपदा या ठनका गिरने के कारण होने वाली मृत्यु में पांच लाख की राशि का अनुदान सरकार द्वारा किया जाता है। पहले यह राशि 1.50 लाख की थी। लेकिन अब इस तरह के आपदा पर सरकार ने अनुदान राशि को बढ़ा कर दो गुना कर दिया है।

ठनका क्या होता है निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में ठनका क्या होता है, ठनका क्यों गिरता है, शरीर में इसका क्या प्रभाव पड़ता है, इनके गिरने के संकेत, ठनका से बचने के उपाय, प्रभावित होने वाले राज्य, इससे मिलने वाले अनुदान इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs

प्रश्न: ठनका का अर्थ क्या है?

उत्तर: ठनका को अक्सर आकाशीय बिजली, तड़ित, वज्रपात इत्यादि के नाम से भी जाना जाता है। बिहार में इसे ठनका के नाम से जानते है।

प्रश्न: ठनका क्यों गिरता है?

उत्तर: जब बादलों में हवा के वजह से घर्षण होता है तो एक बिजली उत्पन्न होती है। कुछ बादलों में पाजिटिव चार्ज उत्पन्न होता है तो कुछ में नेगटिव चार्ज। जब इन दोनो चार्ज वाले बादल एक दूसरे से मिलते है तो लाखों वोल्ट की बिजली उत्पन्न होती है। इसी से ठनका गिरती है।

प्रश्न: ठनका गिरने का ज्यादा खतरा कहा रहता है?

उत्तर: ठनका या वज्रपात के गिरने की संभावना सबसे ज्यादा खेतों में काम कर रहे किसानों, पेड़ो के नीचे बारिश से बचने वाले लोगो, तालाब या नदी में बारिश के दौरान स्नान करने वाले लोगो इत्यादि।

प्रश्न: ठनका से मरने वाले लोगो को कितना अनुदान मिलता है?

उत्तर: प्राकृतिक आपदा या ठनका गिरने के कारण होने वाली मृत्यु में पांच लाख की राशि का अनुदान सरकार द्वारा किया जाता है।