दोस्तों जैसा कि आप सब जानते ही है की किसी भी प्रश्न का हल निकालने के लिए उसका एक अपना ही अलग तरह का सूत्र होता है या नियम होता है। जिसके उपरांत आप उस सूत्र को या उस विधि का इस्तेमाल करते हुए प्रश्न को हल कर सकते हैं। ऐसे ही बहुत से सूत्र है, जो विज्ञान के क्षेत्र में और गणित के क्षेत्र में नित्य प्रयोग किए जाते हैं। आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में एक ऐसे ही थ्योरम संबंधित जानकारी देंगे। जिसको हम पाइथागोरस थ्योरम कह कर संबोधित करते है।
पाइथागोरस थ्योरम क्या है, पाइथागोरस का जीवन परिचय या जीवन शैली से संबंधित जानकारी देगें, पाइथागोरस थ्योरम का पूरा नाम इत्यादि आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर देखें और पाइथागोरस थ्योरम संबंधित जानकारी को प्राप्त करें। इसके साथ ही जाने की पाइथागोरस थ्योरम का उपयोग कहां किया जाता है?
पाइथागोरस थ्योरम क्या है (Pythagoras Theorem In Hindi)
दोस्तों पाइथागोरस थ्योरम एक ऐसी बेहतरीन महत्वपूर्ण फार्मूला है। जिसका इस्तेमाल गणित के सवालों को हल करने के लिए किया जाता है। इस प्रकार के फॉर्मूले को हम किसी भी त्रिभुज की आपसी संबंध के बारे में अच्छे से जांच करते है। युनानी दार्शनिक जो की छठी शताब्दी के ईसा पूर्व में थे। जिन्होंने पाइथागोरस थ्योरम शब्द की उत्पत्ति की थी।
पाइथागोरस थ्योरम को समकोण त्रिभुजों के लिए महत्वपूर्ण गुण घोषित करते हुए किया गया था। इसीलिए इस थ्योरम का नाम पाइथागोरस थ्योरम के नाम पर रखा गया है। उन्होंने कहा था कि अगर कोई भी त्रिभुज पाइथागोरस थ्योरम के अनुकूल नियमों का पालन करता है, तो वह एक समकोण त्रिभुज है।
पाइथागोरस का पूरा नाम (Full Name Of Pythagoras)
महान गणतिज्ञ जिसका नाम पाइथागोरस है। इनको सामोस के नाम से भी जाना जाता है।
पाइथागोरस थ्योरम के कथन और सूत्र के बारे में सम्पूर्ण जानकारी
पाइथागोरस थ्योरम के अनुसार समकोण त्रिभुज जिसके सामने वाली भुजाओं को कर्ण वर्ग कह कर संबोधित किया जाता है। इसमें जो खड़ी भुजा होती है, उसे लम्ब कह कर संबोधित किया जाता है और जो लेटी हुई भुजा होती है, उसे आधार कह कर संबोधित किया जाता है। पाइथगोरस थ्योरम के सूत्र के अनुसार समकोण त्रिभुज में दो भुजाओं का योग तीसरी भुजा यानी कर्ण वर्ग के बराबर होता है। जिसे हम त्रिभुज समकोण कहकर संबोधित करते हैं।
उदाहरण से समझे तो एक समकोण त्रिभुज जिसमें ABC नाम दिया गया है जैसे कि
AB = लम्ब
BC = आधार
AC = कर्ण
सूत्र – AB² + BC² = AC² होता है। इस सूत्र को पाइथागोरस थ्योरम कहकर संबोधित करते है।
पाइथागोरस थ्योरम सत्यापन
पाइथागोरस थ्योरम को सत्यापन करने के लिए हम आपको बताते हैं कि एक समकोण त्रिभुज में आधार (Base), लम्ब (Perpendicular) और कर्ण वर्ग (Hypotenuse) होता है। त्रिभुज में आधार के ऊपर लंब खड़ा होता है। जहां पर आधार और लंब रेखाएं मिलती है। वंहा पर 90 डिग्री का एक कोन बनता है। समकोण त्रिभुज में आधार + लम्ब = कर्ण वर्ग होता है।
उदाहरण से समझें तो
एक समकोण त्रिभुज ABC है।
यहां AB आधार है।
BC लम्ब है।
AC कर्ण वर्ग है।
मान लीजिए हमने
B से D तक एक सीधी रेखा BD खिंची है। जोकि AC पर एक लम्ब गिरती है। जिसको हमने D नाम दिया है। इस तरह AC कर्ण पर गिरा हुआ लंब D, AC कर्ण को दो भागों में विभाजित करता है। जोकि AD और CD को बनाता है।
See That
AC = AD+CD (equation ‘F’)
तो अब हमें प्रूफ करना है।
AB²+BC²=AC²
हम पाइथागोरस थ्योरम सिद्धांत से जानते हैं कि अगर समकोण त्रिभुज के कर्म से एक सीधी रेखा समकोण की ओर खींचती है। जोकि त्रिभुज के कर्ण के ऊपर लम्ब की तरह गिरती है। तब दो त्रिभुज बनते है, जो एक दूसरे के सम्मान पूर्वक होते हैं।
मान लो
त्रिभुज ADB ~ ABC
इसलिए
AD/AB = AB/AC
=> AB²=AD×AC (equation 1)
इसी तरह
त्रिभुज BDC ~ ABC
अब CD/BC = BC/AC
=> BC²=CD×AC (equation 2)
अब Equation 1 और Equation 2 को जमा करो
AB²=AD×AC
BC²=CD×AC
=> AB²+BC²=(AD×AC)+(CD×AC)
=> AB²+BC²=AC(AD+CD)
=> AB²+BC²=AC×AC (See equation ‘F’)
=> AB²+BC²=AC²
इस तरह पाइथागोरस थ्योरम से हमने सत्यापन किया कि AB²+BC²=AC² होता है।
मतलब आधार + लम्ब = कर्ण
Perpendicular + Base = Hypotenuse
इस तरह हमने पाइथागोरस थ्योरम को सिद्ध किया है।
पाइथागोरस का जीवन परिचय
यूनानी द्वीप जो कि पूर्वी एजियन में स्थित है। वंहा पर 570 BC के आसपास पाइथागोरस का जन्म हुआ था। पाइथागोरस की माता का नाम पयिथिअस और पिता का नाम मनेसार्चस था। जो कि लेबनान में स्थित टायर नामक जगह में व्यापारी थे और रत्नों से संबंधित व्यापार करते थे। कहा जाता है कि इनकी माता सामोस द्वीप मूल निवासी थी। इसीलिए इनका नाम सामोस रखा था।
पाइथागोरस के अन्य और भी भाई बहन थे। पाइथागोरस का ज्यादातर समय इसी समूह द्वीप सामोस पर बीता था। जब पाइथागोरस थोड़े से बड़े हो गये तो पिता उनको अपने साथ व्यापार के क्षेत्र में ले जाने लगे। जहां पर आकर इन्होंने सीरिया के बुद्धिमान जीवियों से अच्छी शिक्षा प्राप्त की और बाद में इन्होने इसी यात्रा के दौरान इटली का भी भ्रमण किया।
पाइथागोरस ने पिता के साथ बहुत ही यात्राएं की और शिक्षा को प्राप्त किया। लेकिन पिता की यात्रा के दौरान इनका कोई भी असर इनकी शिक्षा के ऊपर नहीं पड़ता था। यात्राओं का भ्रमण करते हुए यह शल्डिया नाम एक जगह है। जहां पर पहुंचकर इन्होंने कुछ विद्वानों को अपना गुरु माना और उनसे भी शिक्षा का पाठ पढ़ा।
पाइथागोरस की शिक्षा संबधित सफर
दोस्तों पाइथागोरस के पहले शिक्षक सयरस के “फेरेसायडेस पाइथागोरस” थे। जिनसे पाइथागोरस ने फिलॉसफी से संबंधित ज्ञान को अर्जित किया। उसके बाद जब पाइथागोरस 18 वर्ष के हो गये। तब इन्होंने मिल्ट्स नामक स्थान की यात्रा की और यहां पर इनकी थेल्स नाम शक्स से मुलाकात हुई। जोकि गणित और अंतरिक्ष ज्ञान को रखने वाले जानकार थे।
पाइथागोरस ने थेल्स को गणित और अंतरिक्ष ज्ञान से संबंधित जानकारी के विख्यात देखकर उनसे शिक्षा प्राप्त करना चाहते थे। लेकिन थेल्स इतनी ज्यादा उम्र के हो चुके थे कि वह उसको कोई भी शिक्षा प्रदान करने की स्थिति में नहीं थे। तब पाइथागोरस को पता चला कि अनेक्जिमेंडर नाम शक्स थेल्स का बहुत ही बड़ा होनहार शिष्य है।
तब पाइथागोरस ने अनेक्जिमेंडर को गुरू मानते हुए शिक्षा प्राप्त करने की ठान ली। क्योंकि गणित और अंतरिक्ष ज्ञान के विषय से संबंधित उत्सुकता को वह रोक नहीं पा रहे थे। फिर पाइथागोरस ने अनेक्जिमेंडर से शिक्षा लेना शुरू कर दिया। तब पाइथागोरस ने अनेक्जिमेंडर जोकि बहुत से सिद्धांतों की खोज कर चुके थे।
इन्होनें भी उनसे शिक्षा प्राप्त करके सिद्धांतों की खोज की। दोनों के सिद्धांतों की खोज इतनी समानांतर थी कि जानकार पाइथागोरस को अनेक्जिमेंडर के सिद्धांत का विकसित रूप मानने लगे। इसके बाद थेल्स ने पाइथागोरस से इजिप्ट जाने के लिए कहा और वहां जाकर 535 बीसी में इन्होंने इजिप्ट में मंदिरों के पुजारियों से शिक्षा प्राप्त की। इजिप्ट जाने की एक मुख्य वजह से हुई थी कि जहां पर पाइथागोरस रहते थे।
जिसको सामोस नाम से जानते हैं। वहां का राजा क्रूर और अत्याचारी था। जिसकी वजह से पाइथागोरस इजिप्ट जाने का निर्णय लिया था। वहां पर जाकर इन्होंने डियोस्पोलिस में दाखिला लिया। यहां पर हर किसी को एडमिशन नहीं मिलता था। लेकिन पाइथागोरस ने डियोस्पोलिस करने के लिए नियम और शर्तों को पूरा कर एडमिशन प्राप्त कर लिया।
फिर पाइथागोरस ने हेलिपोलिस के पुजारी ओएनुफिस से भी अच्छी शिक्षा प्राप्त की और वहां पर मंदिर के पुजारी के रूप में जगह को प्राप्त किया। ऐसा बताया जाता है कि 525BC के आसपास इजिप्ट पर द्वितीय पर्शिया के शासक कैम्बीसस ने आक्रमण किया और फिर पाइथागोरस को कैदी बना लिया गया और कैद करके बेबीलोन ले जाया गया।
पाइथागोरस ने बेबीलोन में भी शिक्षा को प्राप्त किया। जहां के विद्वानों से इतना मील जुल गये कि उनसें गणित, विज्ञान और संगीत के क्षेत्र में अच्छी शिक्षा को प्राप्त कर लिया। 522 BC के आसपास द्वितीय पर्शिया के शासक कैम्बीसस किसी वजह से मौत हो गई। इस तरह सामोस की प्रजा को क्रूरतापूर्ण शासक से मुक्त मिली। इसके उपरांत पाइथागोरस भी अपनी जन्म स्थान सामोस में आ गये।
पाइथागोरस की व्यक्तिगत वैवाहिक जीवन लेखा
जहां तक पाइथागोरस की व्यक्तिगत जीवन की बात करें तो उनकी शादी थेनो नामक महिला से हुई थी। जोकि थेनो क्रोटन की रहने वाली थी और वह थेनो क्रोटन के कल्चर को ही फॉलो करती थी। थेनो क्रोटन भी एक जानी मानी विद्वान थी। जिसने बहुत ही किताबों की संरचना की हुई थी। जिनमें मुख्य “On Virtue” और “Doctrine of Golden Mean” है। थेनो भी एक बहुत बड़ी फिलाॅस्फर थी।
पाइथागोरस का विवाह जीवन बहुत अच्छा था। इनकी एक बेटा और 3 बेटियां थी। इनके बेटे का नाम टेलिगास था। यद्यपि इनकी बेटियों के नाम अरिग्नोत, डामो तथा मयिया था। बताया जाता है कि पाइथागोरस की कुल मिलाकर सात संताने थी। पाइथागोरस की दूसरे नंबर की बेटी जिसके नाम अरिग्नोत था।
वह भी अपने पिता की तरह बहुत ही बुद्धिमान और तीव्र प्रभाव की थी। जिसके पास भी पिता की तरह अत्यधिक ज्ञान कुशल का भंडार था। इसीलिए उन्होंने अपने पिता पाइथागोरस से प्रेरित होकर किताबें लिखी है। क्योंकि ज्ञान से संबंधित है जैसे कि The Rites of Dionysus’ और ‘Sacred Discourses’ है।
पाइथागोरस थ्योरम नाम कैसे पड़ा
पाइथागोरस दुनिया के अंदर काफी मशहूर हो गये थे। क्यूंकि इन्हें गणित, विज्ञान और अंतरिक्ष का ज्ञान प्राप्त था। इसी तरह पाइथागोरस के द्वारा निर्मित किया गया। पाइथागोरस थ्योरम है। जिसे पाइथागोरस ने ही बनाया था। इसलिए इनका नाम पाइथागोरस थ्योरम रखा गया। शुरुआती में यह थ्योरम इजिप्ट के लोगों के द्वारा अमल में लाया गया।
इजिप्ट के लोगों के पास इस थ्योरम को साबित करने का कोई भी सबूत प्रात नहीं था। इसीलिए इस थ्योरम को सिर्फ पाइथागोरस ही सिद्ध कर सकते थे। इसीलिए यह थ्योरम पाइथागोरस के नाम से ही विख्यात हुआ।
पाइथागोरस थ्योरम का उपयोग
- दोस्तों पाइथागोरस थ्योरम का इस्तेमाल समकोण त्रिभुज जैसे डाइग्राम पर किया जाता है। लेकिन आज के दौर में इस तरह थ्योरम का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पुलो या त्रिभुज भवन निर्माण इत्यादि का क्षेत्रफल और कर्ण, लंब, आधार आदि को निकाले के लिए किया जाता है।
- पाइथागोरस थ्योरम का इस्तेमाल समकोण त्रिभुज के प्रश्नों को निकालने के लिए किया जाता है और यह पता लगाया जाता है कि यह त्रिभुज है भी या नहीं।
- इस थ्योरम का इस्तेमाल आज के दौर में वास्तुकला, काष्ठकला और अन्य वैज्ञानिक भौतिक सांस्कृतिक निर्माण के लिए बखूबी किया जाने लगा है।
- किसी प्रकार का वर्गाकर का विकर्ण निकालने के लिए भी पाइथागोरस थ्योरम का इस्तेमाल किया जाता है।
पाइथागोरस थ्योरम का अविष्कार किसने किया
भारत के बौधायन सुल्ब-सूत्र के अंतर्गत इस थ्योरम का वर्णन है। जिसको 400 ईसा या 800 ईसा पूर्व के अंतर्गत लिखा गया था। इस थ्योरम का उल्लेख सुल्ब सूत्र के अंदर मिल जाता है। लेकिन फिर भी पाइथागोरस थ्योरम का अविष्कार का सारा श्रेय पाइथागोरस को दिया जाता है।
पाइथागोरस थ्योरम क्या है निष्कर्ष:
दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में पाइथागोरस थ्योरम क्या है, पाइथागोरस का जीवन परिचय या जीवन शैली से संबंधित जानकारी देगें, पाइथागोरस थ्योरम का पूरा नाम इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।
FAQs:
प्रश्न: पाइथागोरस थ्योरम से आप क्या समझते है?
उत्तर: पाइथागोरस थ्योरम एक ऐसी बेहतरीन महत्वपूर्ण फार्मूला है। जिसका इस्तेमाल गणित के सवालों को हल करने के लिए किया जाता है।
प्रश्न: पाइथागोरस थ्योरम का उपयोग क्या है?
उत्तर: आज के दौर में इस तरह थ्योरम का इस्तेमाल इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे पुलो या त्रिभुज भवन निर्माण इत्यादि का क्षेत्रफल और कर्ण, लंब, आधार आदि को निकाले के लिए किया जाता है।
प्रश्न: पाइथागोरस थ्योरम का अविष्कार किसने किया था?
उत्तर: भारत के बौधायन सुल्ब-सूत्र के अंतर्गत इस थ्योरम का वर्णन है। जिसको 400 ईसा या 800 ईसा पूर्व के अंतर्गत लिखा गया था। इस थ्योरम का उल्लेख सुल्ब सूत्र के अंदर मिल जाता है। लेकिन फिर भी पाइथागोरस थ्योरम का अविष्कार का सारा श्रेय पाइथागोरस को दिया जाता है।