राजस्थान सरकार फ्यूल सरचार्ज के रूप में पैसे वसूलने की फुल तैयारी कर चुकी है। आज के अपने इस आर्टिकल में हम Fuel Charge Kya Hota Hai से संबंधित पूरी जानकारी देंगे। इसके साथ ही फ्यूल चार्ज की गणना को भी बिजली बिल के साथ समझेंगे।
अगर आप भी राजस्थान के निवासी हैं और आपको पता नहीं है कि राजस्थान सरकार ने क्या कारस्तानी की है? तो आपको यह हमारा आर्टिकल पूरा अंत तक पढ़ना चाहिए और जानना चाहिए कि कैसे राजस्थान सरकार की बिजली कंपनियां आपको बिजली का करंट का झटका देने को तैयार है।
Fuel Charge Kya Hota Hai
फ्यूल चार्ज इंजन की कुल लागत का एक प्रतिशत होती है। उदाहरण से समझे तो जब पेट्रोल पर ईंधन की लागत 10% होती है, तब पेट्रोल ग्राहकों को बेचा जाता है। इस तरह ग्राहकों से पेट्रोल की निर्धारित की गई कीमत के ऊपर 10% तक चार्ज वसूला जाता है, उसे फ्यूल चार्ज कहते हैं।
RERC प्रत्येक वर्ष जब बिजली को खरीदता है, तब वह बिजली की ट्राफिक रेट को तय करने के लिए एक कंबाइन गणना करता है। जिस गणना के बीच में पेट्रोल, डीजल और परिवहन के खर्च को जोडा जाता है। इसके बाद बिजली की ट्रैफिक रेट को तय किया जाता है। जिससे बिजली बिल के साथ उपभोक्ता से चार्ज वसूला जाता है, जिसे फ्यूल सरचार्ज के रूप में देखा जाता है।
फ्यूल सरचार्ज की शुरुआत कब हुई
फ्यूल सरचार्ज की शुरुआत राजस्थान में साल 2009 में हुई थी। जिसके बाद बिजली विभाग ने हर 3 महीने के बाद एक कंबाइन गणना के साथ बिजली की ट्रैफिक रेट को तय करना शुरू किया। इस फ्यूल सरचार्ज की गणना को बिजली बिल के साथ जोड़ा गया।
जिसका सारा बोझ राजस्थान की जनता के ऊपर डाल दिया गया। जिसके बाद हर 3 महीने में प्रति यूनिट के हिसाब से कुछ पैसे फ्यूल चार्ज के रूप में बढ़ाये गए। इस तरह राजस्थान सरकार ने साल 2009 में फ्यूल सरचार्ज की शुरुआत की थी।
राजस्थान जनता को लगेगा अब बिजली का झटका
राजस्थान की जनता के लिए आए दिन राजस्थान सरकार के नए-नए खुलासे होते जा रहे है। जिसमें वह जनता के सामने एक्सपोस होती जा रही है। कभी तो राजस्थान सरकार 200 यूनिट मुफ्त बिजली देने के वादे करती हैं। तो कभी जोर के झटके भी देती है।
ऐसे ही राजस्थान के मुख्यमंत्री की तरफ से फ्यूल सरचार्ज वसूलने की बात को कहा गया है। जिससे प्रदेश की 1 करोड़ 47 लाख से अधिक बिजली उपभोक्ताओं को करंट लगने वाला है।
फ्यूल चार्ज की गणना को बिजली बिल के साथ समझे
फ्यूल सरचार्ज को प्रति यूनिट के हिसाब से बिल में ही जोड़ा जाएगा। जिसे 3 महीने का एक साथ वसूला जाएगा। जैसे कि हमने ऊपर बताया है। उदाहरण से समझे, तो मान लो अगर आपका बिल एक महीने में 500 यूनिट तक आता है।
तब उस बिल में प्रति यूनिट के हिसाब से 0.45 पैसे फ्यूल सरचार्ज के रूप में जोड़े जाते हैं। तो इस स्थिति में आपका फ्यूल सरचार्ज एक महिने का 500 यूनिट × 0.45 = 225 रूपय होता है। इसे 3 महीने के लिए गुणा करते हैं, तो 225 रुपये × 3 महीने = 675 रुपये होता है अर्थात आपको हर तीन महीने बाद फ्यूल सरचार्ज बिजली के बिल में जुड़ा हुआ मिलना शुरु हो सकता है।
जिसको लेकर विभाग की तरफ से इसकी गणना की भी करवाई जा रहा है। ताकि जब आपको दिसंबर महीने में बिजली का बिल आए। तो उसमें आपका फ्यूल सरचार्ज को जोड़ा दिया जाए।
क्या राजस्थान राज्य की सरकारी बिजली कंपनियां करेंगी वसूली
राजस्थान सरकार की सरकारी बिजली कंपनियां, जो की जयपुर डिस्काॅम, जोधपुर डिस्काॅम और अजमेर डिस्कॉम की है। यह सरचार्ज के रूप में बिजली उपभोक्ताओं से पैसे की रिकवरी करेगी। जिसके लिए इन्होंने पूरी तरह से तैयारी कस ली है। इन तीनों कंपनियों का लक्ष्य बिजली उपभोक्ताओं से करोड़ो रुपए चार्ज के नाम पर वसूलने का है।
जिससे आने वाले समय में सितंबर के महीने से लेकर दिसंबर महीने के बीच 0.45 पैसे सरचार्ज के रूप में प्रति यूनिट हिसाब से वसूले जाएंगे। इस प्रकार बिजली उपभोक्ताओं के ऊपर 400 रुपये से लेकर 900 रुपये तक की अधिक बिजली बिल आने की आशंका है।
Fuel Charge राजस्थान राज्य में किससे नहीं बसूला जाएगा
राजस्थान सरकार के सीएम श्री.अशोक गहलोत जी का कहना है। कि गर्मियों के महीने में बिजली उत्पाद करने के लिए सरकार को कोयला महंगी दरों से खरीदना पड़ा। जिसके चलते सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ा है।
इसके चलते कोयला खरीदने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। छत्तीसगढ़ से कोयले की सप्लाई बाधित हो रही है। इस लिए कोयला, डीजल और परिवहन को जोड़कर RERC ने ट्रैफिक रेट में वृद्धि की है। जिसके कारण उपभोक्ताओं को कोयला यानी कि फ्यूल चार्ज के रूप में पैसा चुकाना होगा।
हालांकि इन सब में सरकार ऐसे उपभोक्ताओं को राहत दे रही है। जो 50 यूनिट से नीचे बिजली की खपत करते हैं। उनसे किसी भी तरह का कोई भी फ्यूल सरचार्ज के रूप में पैसा नहीं लिया जाएगा। उनका सारा पैसा सरकार स्वयं ही अदा करेगी।
लेकिन जो 50 यूनिट से ऊपर यानि की 100 यूनिट तक बिजली खर्च करते हैं। उन सब से प्रति यूनिट के हिसाब से 0.45 पैसे फ्यूल सरचार्ज के रूप में आने वाले तीन महीने को जोड़कर बिजली बिल में उपभोक्ताओं को भेज दिए जाएंगे। जिसे उपभोक्ताओं को बिजली बिल के साथ चुकाने पड़ सकते हैं या का चुकाने होंगे। ऐसे में देखा जाए तो राजस्थान में बिजली उपभोक्ताओं को बहुत ही बड़ा झटका लगने वाला है।
राजस्थान सरकार ने पिछले 3 सालों में कितना फ्यूल चार्ज लगाया
राजस्थान सरकार ने जब-जब फ्यूल सरचार्ज को बढ़ाया है। हमेशा कोरोना काल का ही रोना रोया है। कोरोना काल के बाद राजस्थान सरकार ने फ्यूल सरचार्ज के रूप में राजस्थान जनता से हर तीन महीने के बाद एक्स्ट्रा पैसा वसूला है। जिसका उल्लेख हमने नीचे किया है, जो निम्नलिखित विस्तार पूर्वक इस तरह से है।
राजस्थान सरकारी बिजली कंपनियों ने साल 2018 से लेकर साल 2019 तक फ्यूल सरचार्ज के रूप में कभी 0.9 पैसा, कभी 0.17 पैसा तो कभी 0.37 पैसे के रूप में सर चार्ज लगाया है। इसके बाद साल 2019 से लेकर साल 2020 तक सरचार्ज के रूप में कभी 0.55 पैसे, 0.27 पैसे, 0.39 पैसे तो कभी 0.30 पैसे तक सरचार्ज लगाया है।
अगर बात करे साल 2020 से लेकर साल 2021 तो इस दौरान राजस्थान सरकार ने हर चार्ज के रूप में कभी 24 पैसे, कभी 0.7 पैसे तो कभी 0.16 पैसे के रूप में बिजली उपभोक्ताओं के बिल में जोड़कर सरचार्ज भेजा गया है।
Fuel Charge Kya Hota Hai निष्कर्ष
आज हमने इस आर्टिकल में Fuel Charge Kya Hota Hai – राजस्थान में किससे नहीं बसूला जाएगा इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।