Durva Kya Hota Hai – दूर्वा के फायदे, धार्मिक तथा औषधीय महत्व

आपने कही न कही दुर्वा के बारे में सुना होगा या आपके घर में पूजा या किसी शुभ काम के लिए दुर्वा का उपयोग हो रहा होगा। दुर्वा का उपयोग केवल शुभ कार्यों में ही नही बल्कि औषधीय गुण के कारण भी दुर्वा की डिमांड काफी है। आज हमने इस आर्टिकल में दुर्वा से जुड़ी सारी जानकारी देने का प्रयास किया है की Durva Kya Hota Hai, इसके प्रमुख उपयोग और इसके क्या क्या लाभ है के बारे में पूरी जानकारी के लिए आगे जरूर पढ़े।

दूर्वा क्या होता है (Durva Kya Hota Hai)

Durva Kya Hota Hai

दूर्वा एक प्रकार का घास होता है जो जमीन में फैल कर बढ़ता है। दूर्वा यानी इस घास का उपयोग खास कर धार्मिक कार्यों और चिकत्सा जगत में आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में किया जाता है। दूर्वा का पौधा जमीन को पकड़ कर अपनी वृद्धि करता है, यह जमीन से ऊपर की नही उठता है। इसलिए इस पौधे को नम्रता का पौधा भी कहा जाता है। इस घास को भारत के कुछ हिस्सों में दूब के नाम से भी जाना जाता है।

दूर्वा की आकृति और पहचान

दूब के नाम से जाने वाले घास के पौधों की शाखाएँ छोटी होती है जो जमीन से चारो तरफ अपने जड़ों से फैली होती है। दूर्वा कोमल और सीधी होती है और यह लंबाई में लगभग 30 सेमी लंबी होती हैं। इसके पत्ते सीधे, नरम, भला के आकार का होता है जो आगे से सुई की तरह होती है। दूर्वा के पत्तों की लंबाई 2 से 10 सेमी, चौड़ाई 1.2 से 3 मिमी होती है।

दूर्वा के पौधों में फूल भी आते है जो हरे और बैंगनी रंग के होते है। इसमें आने वाले फल जो कि बहुत ही छोटे, दानों के रूप में निकलते है। दूर्वा के फल छोटे और आयताकार होते है जो की भूरे रंग के होते है। दूर्वा के पौधो में आने वाले दाने जैसे फल की लंबाई 1 मिमी होती है। यह बरसात के मौसम ज्यादा तेजी से वृद्धि करते है। आमतौर से जुलाई से जनवरी माह तक ये अच्छे से अपनी शाखाओं, फलों और पत्तों की वृद्धि करते है।

दूर्वा का वैज्ञानिक नाम

दूर्वा जमीन पे फलने फूलने वाली घास है। जो पूरे साल पाई जा सकती है। दूर्वा के पौधों के फूल साल में दो बार सितम्बर से अक्टूबर महीने में और फरवरी से मार्च महीने में आते है। भारत में दूर्वा घास के बारे में लगभग सभी जानते है। दूर्वा का वैज्ञानिक नाम ‘साइनोडॉन डेक्टिलॉन’ है। दूर्वा पोएसी (Poaceae) कुल का पौधा है। दूर्वा को बरमुडा ग्रास के नाम से भी जाना जाता है। हमारे देश भारत की विस्तार क्षेत्र काफी बड़ा और विविध है, हर क्षेत्र में दूर्वा को अलग अलग नामों से जाना जाता है।

दूर्वा के प्रकार

दूर्वा या दूब घास पूरे साल भर होती है और यह पूरे विश्व में कही भी देखी और पाई जा सकती है। दूर्वा के फल, फूल के साथ साथ इसके जड़ भी बहुत ही लाभकारी बताया गया है। इसका जड़ औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। दूर्वा बारहों माह पाए जाने वाला पौधा है। दूर्वा तीन प्रकार की होती है, पहला सफेद, दूसरा नील और तीसरा गंड होती है। जिनको अलग अलग क्षेत्रों में आसानी से पाया जा सकता है।

  1. सफेद
  2. नील
  3. गंड

दूर्वा कहां पाया जाता है

दूर्वा का प्रयोग विशेष रूप से धार्मिक और औषधीय के लिए किया जाता है। यह सम्पूर्ण भारत में पाएं जाने वाला घास है। यह बरसात के मौसम में तेजी से विकसित होती है। दूर्वा का इतिहास और धार्मिक तौर से 3 हजार साल प्राचीन है। प्राचीन काल से इसका उपयोग योग, यज्ञ पूजा स्थानों जैसे धार्मिक कार्यों और औषधियों में विशेष रूप से होता था। आज भी इसका उपयोग धार्मिक कार्यों और औषधिय के रूप में होता है। यह भारत में पाएं जाने के साथ साथ विदेशो में भी आसानी पाएं जाते है। विदेशो में दूर्वा यूनान, अफ्रीका, रोम इत्यादि के क्षेत्रों में आसानी से प्राप्त की जा सकती है।

दूर्वा का धार्मिक महत्व

दूर्वा घास का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है। क्योंकि हिंदू धर्म में दूर्वा को बहुत ही पवित्र और पूजा करने योग्य माना जाता है। इसका उपयोग प्राचीन काल से धार्मिक कार्यों के लिए होता आ रहा है। दूर्वा के पौधे को दूब घास के नाम से भी जाना जाता है।

इसके साथ साथ दूब, अमृता, अनंता, महौषधि इत्यादि अनगिनत नामो से दूर्वा को जाना जाता है। भारत में इसे अलग अलग क्षेत्र में अलग अलग नामों से जन जाता है। दूर्वा का प्रयोग विशेषकर भगवान गणेश की आराधना के लिए लिया जाता है।

प्राचीन काल से यह परंपरा रही है और ऐसा माना जाता है कि विघ्नहर्ता भगवान गणेश की पूजा में दूर्वा या दूब घास को यदि चढ़ाया जाता है तो भगवान गणेश इससे बहुत ही प्रसन्न होते है और दूर्वा घास अर्पित करने वाले को मनचाहा वरदान भी देते है।

इसके साथ साथ दूर्वा को मांगलिक कार्यों जैसे की गृह प्रवेश, मुंडन, विवाह, यज्ञ अनुष्ठान इत्यादि में भी चढ़ाया या इससे पूजा की जाती है। जो कि सदियों से चली आ रही प्राचीन परम्पराओं का हिस्सा है।

दूर्वा को चढ़ाने से लाभ

भगवान गणेश की आराधना अगर आप दूर्वा को चढ़ाते हुए करते है तो आपकी सभी मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती है। इससे आपके जीवन में सुख की वृद्धि होती है। मान्यता के अनुसार भगवान गणेश को दूर्वा का जोड़ा बनाकर कर चढ़ाया जाता है।

यानी दूर्वा का 11 जोड़ा भगवान को मंत्रों के साथ चढ़ाया जाता है। दूर्वा घास कही भी जम सकते है। इसलिए इन्हे साफ कर के ही भगवान को अर्पण करना चाहिए।

पौराणिक मान्यता है कि इससे सभी प्रकार की बुरी शक्तियों का पूरी तरह नाश हो जाता है। इसके साथ साथ चढ़ाने से पहले यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह साफ सुथरे जगह से तोड़ी गई हो।

भगवान गणेश को दूर्वा चढ़ाते समय 11 मंत्रों का जाप करना जरूरी होता है। नीचे हमने 11 गणेश मंत्र दिए है जिसका जाप करते हुए आप दूर्वा घास को भगवान गणेश को अर्पित कर सकते है जो कि निम्न है:–

  • ऊँ गं गणपतेय नम:
  • ऊँ गणाधिपाय नमः
  • ऊँ उमापुत्राय नमः
  • ऊँ विघ्ननाशनाय नमः
  • ऊँ विनायकाय नमः
  • ऊँ ईशपुत्राय नमः
  • ऊँ सर्वसिद्धिप्रदाय नमः
  • ऊँएकदन्ताय नमः
  • ऊँ इभवक्त्राय नमः
  • ऊँ मूषकवाहनाय नमः
  • ऊँ कुमारगुरवे नमः

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दूर्वा के फायदे

दूर्वा यानी दूब घास का उपयोग खास कर धार्मिक कार्यों और चिकत्सा जगत में आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में किया जाता है। इस लिहाज से भी दूर्वा के बहुत से फायदे है जो हमारे शरीर के लिए उपयोगी है। दूर्वा हर तरीके से दोष से मुक्त करने वाली औषधियों में से एक है। वैसे दूर्वा के अनगिनत फायदे है, आज हम कुछ महत्वपूर्ण फायदे को बताने जा रहे है तो चलिए जानते है दूर्वा के क्या क्या फायदे है:–

  • दूर्वा का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया जाता है। खास कर दूर्वा को भगवान गणेश को चढ़ाने और आराधना हेतु इसका इस्तेमाल किया जाता है। दूर्वा भगवान गणेश को सबसे प्रिय बताया जाता है।
  • दूर्वा के सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी ज्यादा बढ़ती है।
  • दूब यानी दूर्वा के सेवन से अनिद्रा जैसी स्थिति से छुटकारा पाया जा सकता है।
  • त्वचा में खुजली, चकत्ते आदि जैसी संभावना इसके इस्तेमाल से शरीर में कम होती है। क्योंकि दूर्वा में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-सेप्टिक तत्वों की मात्रा पायी जाती है।
  • मुंह में छाले हो जाने की स्थिति में अगर दूर्वा के पत्तियों को पानी में उबालकर इसका उपयोग काढ़ा के रूप में नियमित रूप से किया जाएं तो मुंह के होने वाले छाले की समस्या से निजात पाया जा सकता है।
  • दूर्वा एक फायदा यह भी है कि यदि इसपर रोज सुबह नंगे पांव चला जाए तो यह शरीर के लिए बहुत ही फायदेमंद है। दूर्वा में नंगे पांव रोज सुबह चलने से आंखों की रोशनी तेजी से बढ़ती है।
  • इसका सेवन करने से अनीमिया की बीमारी से भी छुटकारा पाया जा सकता है। दूर्वा रक्त को साफ करता है और साथ ही रक्त कोशिकाओं को बढ़ाने में काफी कारगर भी है।

दूर्वा में पोषक तत्व

दूर्वा में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है। इसके साथ साथ दूर्वा में विटामिन ए, विटामिन सी और विटामिन ई भी पाए जाते है। दूर्वा में कई तरह के पोषक तत्वों के कारण इसमें कई तरह औषधीय गुण भी पाए जाते है। जो कई तरह की बीमारियों से हमे बचाता है और शरीर को स्वस्थ रखने काफी सक्षम होता है। इसमें कुछ पोषक तत्व पाए जाते है जो निम्न है:–

पोषक तत्वमात्रा प्रति 100 ग्राम
प्रोटीन11.6 ग्राम
फैट2.1 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट75.9 ग्राम
फाइबर25.9 ग्राम
एश10.4 ग्राम
कैल्शियम530 मिलीग्राम
फास्फोरस220 मिलीग्राम
आयरन112.0 मिलीग्राम
पोटैशियम 1630 मिलीग्राम
बीटाकैरोटीन28 माइक्रोग्राम

निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में दूर्वा क्या होता है, दूर्वा के फायदे के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs

प्रश्न: दुर्वा का मतलब क्या है?

उत्तर: दूर्वा एक प्रकार का घास होता है जो जमीन में फैल कर बढ़ता है। दूर्वा यानी इस घास का उपयोग खास कर धार्मिक कार्यों और चिकत्सा जगत में आयुर्वेदिक औषधीय के रूप में किया जाता है।

प्रश्न: दूर्वा या दूब घास का वैज्ञानिक नाम क्या है?

उत्तर: दूर्वा का वैज्ञानिक नाम ‘साइनोडॉन डेक्टिलॉन’ है। दूर्वा पोएसी (Poaceae) कुल का पौधा है।

प्रश्न: दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ होता है?

उत्तर: भगवान गणेश की आराधना अगर आपप्रश्न: दूर्वा चढ़ाने से क्या लाभ होता है? दूर्वा को चढ़ाते हुए करते है तो आपकी सभी मनोकामनाएं जल्दी पूर्ण होती है। इससे आपके जीवन में सुख की वृद्धि होती है।

प्रश्न: दूर्वा घास को कैसे पहचाने?

उत्तर: दूब के नाम से जाने वाले घास के पौधों की शाखाएँ छोटी होती है जो जमीन से चारो तरफ अपने जड़ों से फैली होती है। दूर्वा कोमल और सीधी होती है और यह लंबाई में लगभग 30 सेमी लंबी होती हैं।

प्रश्न: दूर्वा कितने प्रकार की होती है?

उत्तर: दूर्वा तीन प्रकार की होती है, पहला सफेद, दूसरा नील और तीसरा गंड होती है। जिनको अलग अलग क्षेत्रों में आसानी से पाया जा सकता है।