दोस्तों आप सब पत्रकारिता से भली-भांति परिचित हो। उसके प्रकारों से भी अच्छी तरह वाकिफ हो। लेकिन क्या आपको पता है कार्टून कोना पत्रकारिता क्या होता है? अगर पता है तो अच्छी बात है। अगर नहीं पता है तो आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको कार्टून कोना क्या है, इससे संबंधित पूरी जानकारी देंगे और साथ में यह भी बताएंगे कि कार्टून कोना की शुरुआत भारत में कब हुई थी?
तो आज का यह आर्टिकल आप सबके लिए बहुत ही खास रहने वाला है। आप इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और कार्टून कोना से संबंधित पूरी जानकारी हासिल करें।
कार्टून कोना क्या है
कार्टून कोना एक पत्रकारिता होती है। जिसमें आप किसी भी विषय पर लिखने के बजाय उसे एक कागज पर कार्टून के माध्यम से दर्शाते हुए लोगों को बता सकते हैं। कार्टून कोना की मदद से हम किसी भी बड़े विषय के ऊपर लेख लिखने की बजाय एक छोटे से वृतांत को कागज के ऊपर अंकित करके उसमें अपनी बातों को लोगों तक चंद शब्दों में पहुंचा सकते हैं। जिसे हम कार्टून कोना पत्रकारिता कहते हैं।
इस संदर्भ में समाचार पत्रों के ऊपर आप सबने बहुत प्रकार के कार्टून देखे होंगे। यह कार्टून किसी भी विषय की सच्चाई को उजागर करने के लिए बनाए जाते हैं। ताकि जनता इन कार्टून कोनों की मदद से शार्ट शब्दों में ही उस विषय की सच्चाई को समझ सके। इसे हम आसान शब्दों में कहें तो समाचार पत्रों के ऊपर किसी भी विषय को लेकर कार्टून को अंकित करना और चंद लाइनों को लिखकर अपनी पूरी बात को दूसरों तक पहुंचाना उसे ही सीधे शब्दो में कार्टून कोना पत्रकारिता कहते हैं।
कार्टून कोना का इतिहास
कुछ तथाकथित विद्वानों का मानना है कि कार्टून कोने का सर्वप्रथम प्रयोग 17वीं शताब्दी में इटली में विरोध जताने के लिए किया गया था। ऐनीवाल केरास्त जो उस समय रोमन अकादमी के पोप हुआ करते थे। उनका चित्र बनाकर कार्टून के माध्यम से विरोध जताया गया था। इसको आसान शब्दों में कहें तो किसी के चेहरे का कार्टून के रूप में चित्र बनाकर विरोध जताना। जिसे सामान्य शब्दों में चेहरे के चित्र के रूप में भी कहा जाता है। चेहरे को इटालियन भाषा में कैरीकेचर भी कहते हैं।
ऐसा माना जाता है कि कैरीकेचर शब्द इटालियन भाषा के करैक्टर शब्द और स्पेनिश भाषा के कारा शब्द की उपज की देन है। जिसके अंदर चित्रों के माध्यम से किसी का दृश्य रेखाओं के द्वारा अंकित कर उसको चिढ़ाते थे और विरोध को दर्ज करते थे। इसके बाद पूरी दुनिया में इस तरह चित्र को अंकित कर विरोध जताने का परिचालन चलना शुरू हो गया। जिसे आम भाषा में कार्टून कोना पत्रकारिता कहा जाने लगा।
कार्टून कोना की भूमिका
आपने अक्सर ये देखा होगा कि अखबारों के ऊपर राजनीति और सामाजिक घटनाओं को लेकर कायाकल्प चित्र अंकित हुए रहते हैं। इन चित्रों के मदद से किसी विशेष पहलू की ओर सबका ध्यान आकर्षण करना होता है। ताकि लोग इन चित्र कलाओं के कार्टून कोना की मदद से कम बातों में ज्यादा जानकारी हासिल कर ले। इसी को देखते हुए कार्टून कोना की राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
राजनीतिक और सामाजिक घटनाओं के आधार पर बनाये गये कार्टून एक खास मुखोटे के तहत कार्य करता है। जिसके द्वारा लोगों को खास संदेश दिया जाता है और कुछ राजनीतिक चुटकुलों को लेकर प्रयास भी किया जाता है। ताकि एक मिठास की भावना भी बनी रहे।
कार्टून कोना की भारत में शुरुआत
दोस्तों कार्टून कोना की शुरुआत भारत के अंदर पुरानी प्रवृति के अनुसार 2,000 वर्ष से भी पुरानी है। यह एक अजन्ता की गुफाओं में वामनजी थे। जो कि मोटे पेट वाले थे। उनकी अकृतियां देखने को मिल जाती है। ऐसे ही पुराने मंदिर जो सनातन धर्म से संबंधित है। वहां पर भी आपको बहुत प्रकार की कार्टून दृश्य रूपी आकृतियां देखने को मिल जाती है।
इसलिए हम यह कह सकते हैं कि भारत के अंदर कार्टून कोना की शुरुआत सदियों पुरानी है। यह बाहर से नहीं आई हुई है। बेशक कार्टून कोना की शुरुआत या कहें इसको कागज पर अंकित करने की तकनीक विदेशों से आई है। लेकिन भारत के अंदर इस तरह की आकृतियां बहुत साल पहले ही लोगों के द्वारा दीवारों के ऊपर बनाई गई है।
कार्टून कोना और जेबी की जानकारी
आपने समाचार पत्रों के ऊपर पहले पेज पर खास स्थान पर छोटे से कार्टूनों को देखा होगा। यह जेबी की तरह दिखाई देता था। मतलब जितना आपकी कमीज की पॉकेट होती थी। उतना ही यह कार्टून का डिजाइन होता था। जो अखबार के पहले पन्ने पर बनाया जाता था। इसको बनाने का मुख्य कारण यह था कि लोग जब भी सुबह समाचार पत्रों को पढ़े तो वह इन कार्टूनों को देखकर उनका चेहरा खिल जाए।
क्योंकि यह कार्टून कुछ खास व्यंगों के तहत फ्रंट पेज के ऊपर बनाए जाते थे। जिनमें संदेश के साथ साथ मन को राहत देने वाले और सुबह-सुबह खुशी लाने के लिए भी एक अच्छा स्त्रोत माना जाता था। उस समय केवल किसी राष्ट्रीय शोक के दिन इन कार्टूनों को बनाने की अनुमति नहीं थी। लेकिन आज के दौर में यह कार्टून समाचार पत्रों पर एक राष्ट्रीय शोक की तरह ही नजर आते हैं और धीरे-धीरे इनका प्रचलन में खत्म होता जा रहा है।
कार्टून कोना में दृश्य और संवाद की स्थिति
कार्टून कोना दृश्य और संवाद दोनों एक दूसरे के पूरक होते हैं। इसे आसान भाषा में समझे की कार्टून दृश्य को बनाकर उसके साथ कुछ हेडिंग में या डायलॉग में लिखना। जिसे हम कार्टून दृश्य और संवाद की स्थिति पैदा कर देते हैं। यह सब समाचार पत्रों के ऊपर फ्रंट पेज पर होता है। जहां पर कार्टूनिस्ट कार्टून बनाकर और उस के संदर्भ में कुछ संवाद भी लिख देते हैं। ताकि जब कोई उसे पढ़ें तब वह इन कार्टूनों को देखते हुए शार्ट में लिखे गए संवाद से पूरी जानकारी को हासिल कर ले। लेकिन अधिकतर कार्टूनिस्ट ऐसे भी होते हैं।
जो केवल कार्टून की चित्र रेखाओं के माध्यम से ही अपनी बात को सही तरीके से समझा देते हैं। उनको संवाद लिखने की जरूरत भी नहीं होती है। क्योंकि उनके कार्टून चित्र में इतनी क्षमता होती है कि वह अपनी बात उन चित्र रेखाओं के माध्यम से ही समझा देते हैं। लेकिन अक्सर कार्टूनिस्ट कार्टून दृश्य के साथ कुछ डायलॉग या संवाद को लिख देते हैं। ताकि लोग चित्रों को देखते हुए संवाद और डायलॉग बाजी को पढ़कर या अच्छे व्यंग को पढ़ते हुए कुछ हंसी मजाक भी कर लेते हैं।
कार्टून कोना क्या है निष्कर्ष:
दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में कार्टून कोना क्या है, इससे संबंधित पूरी जानकारी देंगे और साथ में यह भी बताएंगे कि कार्टून कोना की शुरुआत भारत में कब हुई थी इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।
FAQs:
प्रश्न: कार्टून कोना से आप क्या समझते हैं?
उत्तर: कार्टून कोना एक पत्रकारिता होती है। जिसमें किसी भी विषय पर लिखने के बजाय उसे एक कागज पर कार्टून के माध्यम से दर्शाते हुए लोगों को बता सकते हैं।
प्रश्न: कार्टून कोना समाचार पत्र के कौन से पृष्ठ पर अंकित होता है?
उत्तर: सभी समाचार पत्रों में समाचार का निर्धारण उनके हिसाब से अलग अलग किया जाता है। लेकिन कार्टून कोना आपको मुख्य पेज में मिल सकता है।
प्रश्न: कार्टून कोना की शुरुआत भारत में कब हुई?
उत्तर: पुरानी प्रवृति के अनुसार 2,000 वर्ष से भी पुरानी है।