मोपेड क्या होता है – मोपेड कब लॉन्च हुई व खासियत

मोपेड क्या होता है, मोपेड की खासियत क्या है, मोपेड कब लॉन्च की गयी और इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि मोपेड को दूसरे किस नाम से पुकारा जाता था. आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े और जाने 80 के दशक की सबसे शानदार, जिसे ना तो साइकिल कह सकते हैं और ना ही मोटरसाइकिल कह सकते हैं। जानते हैं शानदार मोपेड के बारे में।

मोपेड क्या होता है

दुनिया में टेक्नोलॉजी बहुत ही तेजी से बदल रही है। जब भी कोई नई टेक्नोलॉजी आती है, तो लोग पुरानी टेक्नोलॉजी को छोड़कर नई टेक्नोलॉजी की तरफ चले जाते हैं। क्योंकि उन्हें और अधिक अच्छा फीचर और शानदार मॉडल देखने को मिल जाता हैं। लेकिन आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपके लिए एक ऐसी ही 80 के दशक में बहुत ही पॉपुलर रही टू व्हीलर के बारे में बताएंगे, जिसका क्रेज हर तरफ इतना था कि हर कोई इसे लेना चाहता था। जो भारत में ही पूरी तरह से निर्मित की गई थी, जिसका नाम मोपेड है।

मोपेड क्या होता है

मोपेड एक तरह की साइकिल मोटरसाइकिल थी, जिसे आज से लगभग 40 दशक पहले भारत में बहुत ही पॉपुलर साइकिल मोटरसाइकिल के नाम से जानी जाती थी। इस मोटरसाइकिल को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि जब इसका फ्यूल खत्म हो जाए, तो लोग इसे साइकिल में लगे पेंडल से भी चला सकते थे। जिसके कारण से इसका नाम साइकिल मोटरसाइकिल पड़ा।

लोग इसे उस समय की लूना कहकर भी पुकारते थे, जिसका स्लोगन पीयूष पांडे जी ने दिया था। उन्होंने इसे “चल मेरी लूना” के नाम से संबोधित किया था, जिसके बाद देखते-देखते मोपेड भारत समेत दूसरे देशों में भी पॉपुलर होती चली गई।

मोपेड की लांचिंग कब हुई

मोपेड की लॉन्चिंग साल 1972 में भारत के तमिलनाडु के होसुर में की गई थी। तब काइनेटिक ग्रुप ने PIAGGIO’S CIAO से मोपेड बनाने का लाइसेंस लिया था और एक अच्छी 50cc की मोपेड तैयार कर दी, जिसमें हर तरह की वह सुविधा थी। जो उस समय लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं थी।

इस मोपेड को बनाने के बाद देखते ही देखते इसका क्रेज हर तरफ छाने लगा और मोपेड लूना के नाम से लोगों के दिलों-दिमाग में इस तरह से छा गई थी कि हर तरफ इसका ही नाम लोगों की जुबान पर होता था। इसमें बहुत सी खासियत है, जिसका उल्लेख हम आगे अपने इस आर्टिकल में नीचे करेंगे।

मोपेड में क्या-क्या खासियत है

मोपेड उस समय की एक टू व्हीलर शानदार सवारी थी। जिसमें बहुत सी ऐसी खासियतें है, जिसका उल्लेख हम नीचे करने जा रहे हैं। आप में से अधिकतर लोगों ने शायद ही मोपेड के बारे में सुना होगा। लेकिन आज की जनरेशन शायद ही मोपेड की खासियत और इसके बारे में ना जानती होगी। उन सबके लिए हम नीचे विस्तार पूर्वक मोपेड की खासियत का वर्णन करने जा रहे हैं।

  • मोपेड जिसमें 50cc का इंजन कैपेसिटी थी और इसका वजन लगभग 50 किलोग्राम बताया जाता है। इसका माइलेज 105 किलोमीटर प्रति घंटा बताया गया है, जो एक शानदार वाहन में से एक थी।
  • मोपेड का इंजन पूरी तरह से पेट्रोल निर्मित था। लेकिन इसमें एक खास बात यह थी कि इसमें साइकिल की तरह पेंडल भी लगाए गए थे, जो इसकी विशेषता को और बढ़ाते थे। अगर आपका मोपेड चलाते समय या कहें लूना चलाते समय फ्यूल खत्म हो जाए, तो इसे पेंडल से भी चलाया जा सकता था। जो शानदार विकल्प उस समय इस मोपेड में था।
  • काइनेटिक ग्रुप ने अपने शुरुआती दौर में मोपेड को सिंगल सीट और पीछे कैरियर यानी कि समान रखने के लिए बनाया था। लेकिन बाद में इसमें थोड़ा बदलाव किया गया और इसे टू पर्सन सीट के रूप में निर्मित किया गया।
  • इसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि यह एक टू व्हीलर शानदार इंसानी सवारी थी, जिसमें दो लोग बहुत ही आसानी से इस पर बैठकर एक जगह से दूसरी जगह आसानी से चले जाते थे। इसके अलावा मोपेड का इस्तेमाल सामान को ढोने के लिए भी किया जाता था। क्योंकि इसकी कैपेसिटी 50cc इंजन की थी, जो उस समय माइलेज और खिंचाई करने के लिए सक्षम मानी जाती थी।
  • मोपेड या कहें लूना में दो टायर लगे हुए थे, एक आगे और दूसरा पीछे। जिसमें साइकिल व्हीलर की तरह लोहे की तारे डाली हुई थी और इसमें ट्यूब के माध्यम से हवा भरी जाती थी। इन टायरों की मदद से मोपेड का माइलेज शानदार था।
  • मोपेड या कहें लूना बहुत ही हल्की और स्मूथ मोटरसाइकिल मानी जाती थी, जो उस दौर के समय आकर्षण का केंद्र बनी हुई थी। क्योंकि यह पूरी तरह से भारत में ही निर्मित की गई थी, जिससे उस दौर के समय यह सबसे सस्ती मोटरसाइकिल में से एक मानी जाती थी।

मोपेड का किन-किन देशों में किया गया निर्यात

मोपेड साल 1980 के दशक में बहुत ही पॉपुलर मोटरसाइकिल के रूप में विख्यात हो चुकी थी। भारत में हर तरफ इसके चर्चे और विज्ञापन देखने को मिलते थे, जिसके कारण से इसका निर्यात करने का भी निर्णय लिया गया। मोपेड का निर्यात बड़े-बड़े देशों में किया गया, जिसमें मुख्यता अमेरिका, ब्राजील, अर्जेंटीना और श्रीलंका इत्यादि जैसे देश शामिल है। जिन्होंने भारी मात्रा में लूना को आयात किया और अपने देश में बेचा।

मोपेड का क्रेज लोगों में इतना क्यों था

मोपेड या कहें “चल मेरी लूना” के नाम से मशहूर यह मोटरसाइकिल का क्रेज लोगों में इसलिए ज्यादा था। क्योंकि यह चलाने में बेहद ही आसान थी और आरामदायक टू व्हीलर सवारी थी, जिसको कोई भी बहुत ही आसानी से चला सकता था। चाहे वह यंग कपल हो, बूढ़े लोग हो या फिर 15 साल से ऊपर के बच्चे हो। यह सब लूना को असानी से चला सकते थे।

लोगों में इसका क्रेज इसलिए भी ज्यादा था, क्योंकि इसमें पेट्रोल खत्म होने के बाद इसमें लगे पेंडल से भी इसे चलाया जा सकता था। इसीलिए हर तरह के लोगों में इसका क्रेज बढ़ता चला गया। बच्चे इसे पेंडल से भी चलाया करते थे।

मोपेड की पहली पसंद ऐसे छोटे व्यापारियों की थी। जो बड़ी गाड़ी को ऑफोड नहीं कर सकते थे। वह इस छोटी गाड़ी के माध्यम से अपने सामान को लाद कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाते थे। यहां तक कि वह इस मोपेड या कहें लूना की मदद से सामान को गांव-गांव तक पहुंचते थे या कहें बेच सकते थे। जो उनके लिए एक सामान ढोने की सवारी बन गई थी। जो किसी भी वरदान से कम नहीं थी।

मोपेड क्या होता है निष्कर्ष

आज हमने इस आर्टिकल में मोपेड क्या होता है, मोपेड की खासियत क्या है, मोपेड कब लॉन्च की गयी और इसके साथ ही यह भी बताएंगे कि मोपेड को दूसरे किस नाम से पुकारा जाता था के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।