ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस कैसे करे, ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम, ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सब्सिडी, ड्रैगन फ्रूट की खेती में कुल लागत, ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस में कमाई, Dragon Fruit Business India, Dragon Fruit Cultivation In Hindi, Dragon Fruit Farming Cost, Dragon Fruit Farming Profit
देश के किसान अपनी आमदनी को बढ़ाने के लिए कई तरह के पारंपरिक फसलों की खेती करते है। इसके अलावा वह फल और सब्जियों की खेती ज्यादा तौर पे करते है। जिससे की उन्हे अधिक लाभ प्राप्त होता है। अगर देखा जाए तो किसान ज्यादा आमदनी या लाभ के लिए बड़ी संख्या में फलों की खेती कर रहे है। इससे उन्हें ज्यादा ज्यादा प्रॉफिट प्राप्त हो रहा है। इसी प्रकार एक फ्रूट है जिसे ड्रैगन फ्रूट कहते है, आज कल भारत में इस फ्रूट की खेती भारत में तेजी से लोकप्रिय हो रही है।
इस फल की खेती ज्यादातर विदेशों में होती है जैसे कि थाईलैंड, वियतनाम, इजरायल, श्रीलंका आदि देशों में इसकी खेती ज्यादा होती है और यह काफी लोकप्रिय भी है। लेकिन अब भारत में भी इसकी खेती को लेकर सरकार के द्वारा अधिक प्रोत्साहन मिल रहा है। भारत में इसकी खेती अब लोग बड़े पैमाने में कर रहे है और इसकी खेती से बहुत ज्यादा मुनाफा हो रहा है।
यदि आप भी किसान है या आप भी ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस करना चाहते और मोटा पैसा कमाने चाहते है तो चलिए आइए जानते है कि ड्रैगन फ्रूट क्या है, ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस कैसे करे, जलवायु, मिट्टी, रोपाई, कटाई और इससे कितना कमाया जा सकता है, इन सब विषय में आज हम इस लेख के माध्यम से विस्तृत जानकारी देने जा रहे है। अतः इस लेख को अंतिम तक पूरा अवश्य पढ़े।
ड्रैगन फ्रूट की खेती का डिमांड (Demand)
कोरोना महामारी के बाद से ड्रैगन फ्रूट की मांग भारत में भी ज्यादा बढ़ी है। ड्रैगन फ्रूट खाने में स्वादिष्ट लगता है और इसमें कई लाभकारी गुण भी मौजूद है। यही कारण भी कि इसका सेवन स्वास्थ के लिए फायदेमंद है। बढ़ते बाजार के कारण भारत के किसान भी इसकी खेती करना शुरू कर चुके है और यह फ्रूट व्यापार के लिहाज से भी बहुत ज्यादा मुनाफा वाला बिजनेस बन चुका है।
इसके अलावा इसमें प्रोटीन, विटामिन, खनिज, फाइबर आदि तरह के पोषक तत्व पाए जाते हैं। जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए इसका उपयोग, लोग कोरोना के समय से ज्यादा कर रहे है। कोरोना में इसकी बढ़ती डिमांड के कारण भारतीय खेती के क्षेत्र में इसकी मांग अचानक बढ़ गई, इसकी मांग किसान भाईयों के लिए एक अवसर था और इसकी खूबियों के बारे में भी लोग जानने में ज्यादा दिलचस्पी रखने लगे।
ड्रैगन फ्रूट की खेती को सरकार की तरफ से भी ज्यादा प्रोत्साहन मिल रहा है। ऐसे में सरकार औद्यानिक खेती करने वाले किसानों को सब्सिडी भी दे रही है। दिन प्रतिदिन बाजार में ड्रैगन फ्रूट की मांग बढ़ती जा रही है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिल रही है। ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती का उत्पाद ( Production )
ड्रैगन फ्रूट की खेती विदेशों में मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में ज्यादा होती है। वही बात करे भारत की तो यहां ये फ्रूट कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में इसकी खेती भारी संख्या में होती है। वैसे अब उत्तरप्रदेश में कई जगहों में इसकी खेती की जाने लगी है और मोटा मुनाफा कमाया जा रहा है।
वैसे तो ड्रैगन फ्रूट मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम जैसे देशों में उगाया जाता है, लेकिन 1990 के दशक से भारत में भी इसकी खेती लोकप्रिय हो गई है। इसकी तीन प्रजातियां हैं। पहला है सफेद गूदे वाला गुलाबी रंग का फल, दूसरा है लाल गूदे वाला गुलाबी रंग का फल और तीसरा है सफेद गूदे वाला पीले रंग का फल। भारत में यह फल कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पैदा किया जाता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस ( Dragon Fruit Farming Business In Hindi )
ऐसा नहीं है कि भारत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने की लोकप्रियता कुछ सालो से बढ़ी है, बल्कि भारत में इसकी खेती 1990 के दशक से ही लोकप्रिय है। इस दौर में भारत के किसानों में ड्रैगन फ्रूट की खेती बिजनेस को लेकर चर्चा कुछ सालो में ज्यादा बढ़ी है। इसका मुख्य कारण यह है की भारतीय फल बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा बढ़ी है और बाजार में ड्रैगन फ्रूट की अच्छी कीमत भी मिल रही है।
इससे किसानों में इस फल की खेती के बिजनेस के प्रति झुकाव ज्यादा बढ़ रहा है और इस फल से किसानों की आमदनी में अच्छा बदलाव देखने को मिल रहा है। इस फल खास बात यह भी है कि इसकी खेती विभिन्न तापमान की परिस्थितियों में भी किया जा सकता है। साथ ही यह काफी गर्म तापमान को भी सहन करने की क्षमता रखता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस कर किसान भाई बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमा रहे है।
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम (Dragon Fruit Scientific Name)
ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हिलोसेरस अंडस (Hiloceras Undus) है। दरअसल ड्रैगन फ्रूट कमल जैसा दिखता है। इसलिए इसका नाम संस्कृत में ‘कमलम’ (Kamalam) भी है। ड्रैगन फ्रूट को मेक्सिको में पिठाया या पपीता के नाम से भी जाना जाता है। इसके अलावा मध्य अमेरिका और उत्तरी दक्षिण अमेरिका में इसे पितया रोजा के नाम से जाना जाता है जो की बहुत ही लोकप्रिय है। ड्रैगन फ्रूट की खेती कम बारिश वाली जगहों में होती है और यह किसानों के लिए बहुत अच्छा विकल्प हो सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की किस्में (Dragon Fruit Varieties)
किस्में | गुदा का रंग | फल का रंग |
---|---|---|
हिलोसेरस अन्डेट्स | सफेद | गुलाबी-लाल |
हिलोसेरस पॉलिरिजस | लाल | लाल |
हिलोसेरस कोटारिकेंसिस | लाल बैगनी | लाल |
हिलोसेरस परपुसी | लाल | लाल |
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए आवश्यक जलवायु (Climate)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय मौसम सबसे अच्छा होता है। 50 सेमी की सालाना बारिश वाले जगहों में ड्रैगन फ्रूट की खेती हो सकती है और 20 डिग्री सेल्सियस से 30 डिग्री सेल्सियस तापमान इसकी खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए तेज धूप की आवश्यकता नहीं होती है। तेज धूप से बचाने के लिए या ऐसी जगह जहां धूप तेज लगती हो वहां पर शेड का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए मिट्टी (Soil For Farming)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए रेतीली दोमट मिट्टी या दोमट मिट्टी की आवश्यकता पड़ती है। इसके साथ ही मिट्टी का पीएम मान 5.5 से 7 के बीच होना आवश्यक होता है। ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेती की अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए और खेत की साफ सफाई यानी खेतों में अनावश्यक खर पतवार को हटा कर अच्छे से साफ कर देना चाहिए। इसके अलावा जैविक खाद की मात्रा खेत तैयार करते वक्त, खेत के क्षेत्रफल के हिसाब से मिलनी चाहिए। इसके साथ साथ खेत में जल अधिक देर तक ना रुके इसका खास ध्यान रखना चाहिए। इसके लिए खेत में जल निकासी के लिए अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बीज और प्लांट्स (Seeds And Plants)
ड्रैगन फ्रूट की खेती करने से पहले आपको यह ध्यान रखना रखना होगा की इसकी खेती के लिए जिन भी बीज या पौधो को लगाना चाहते है वो अच्छी किस्म के हो। क्यों कि इसका असर आपके पैदावार पर पड़ता है। बीज के लिए आप ग्राफ्टेड बीज का उपयोग कर सकते है क्योंकि यह सबसे अच्छे होते है और इससे परिणाम भी अच्छे प्राप्त होते है। यदि आप पौधो की मदद से ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते है तो ग्राफ्टेड प्लांट का इस्तेमाल ज्यादा अच्छा होता है। यह बीजों की अपेक्षा जल्दी तैयार हो जाते है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेत की तैयारी (Farm Preparation)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेत की अच्छी तरह से जुताई कर लेनी चाहिए। हल की मदद से खेत की जुताई को किया जाना चाहिए जिससे की मिट्टी में मौजूद खर पतवार खत्म हो जाए। जुताई करने के बाद खेत की मिट्टी में कंपोस्ट और सड़ी हुई गोबर को खाद के रूप में अच्छी तरह से मिला लेना चाहिए। इससे ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खेत पूरी तरह से तयार हो जाती है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए बुआई (Sowing)
ड्रैगन फ्रूट की खेती बीज और पौधों द्वारा किया जाता है। यही दो तरीको से ड्रैगन फ्रूट की खेती की जाती है। यदि आप बीज से ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते है तो ड्रैगन फ्रूट को दो भागों में करके उसके अंदर के काले बीज को निकल कर इसका उपयोग खेती के लिए किया जा सकता है।
लेकिन इससे पौधो होने में समय लगता है और यह कमर्शियल खेती के लिए सही भी नही है। यदि आप पौधो से ड्रैगन फ्रूट की खेती करना चाहते है तो इसके कटिंग को खेत में लगा के इसकी खेती की जा सकती है। इस तरीके से व्यवसायिक खेती के लिए सही है। इसकी कटिंग की लंबाई कम से कम 20 सेंटीमीटर तक होनी चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की रोपाई (Planting)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों को यानी इसकी कटिंग को सूखे गोबर, मिट्टी और बालू के मिश्रण को 1:1:2 के अनुपात में मिलाकर रोप देना चाहिए। इन्हे लगाते समय ज्यादा धूप की आवश्यकता नहीं होती है। अतः इन्हें तेज धूप से बचाएं। ध्यान रहे कि हर एक पौधो के बीच की दूरी लगभग 2 मीटर या 6 फीट की होनी चाहिए। ड्रैगन फ्रूट के पौधों को रोपने के लिए 60 सेमी गहरा और 60 सेमी चौड़ा गड्ढा खोदना होता है।
पौधो को रोपने के दौरान 100 ग्राम सुपर फास्फेट खाद इस गड्ढे में भर देना होता है। 1 एकड़ खेत में ज्यादा से ज्यादा 1700 ड्रेगन फ्रूट के पौधे लगाए जा सकते है। तेजी से विकसित होने के लिए और अच्छे परिणाम के इसमें खंभे का सहारा देना होता है। नीचे पढ़े की किस प्रकार ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खंभों का सहारा लिया जाता है।
ड्रैगन फ्रूट के खेती के लिए पौधों में खंभों का सहारा (Support System)
ड्रैगन फ्रूट के खेती के लिए पौधों में खंभों का सहारा देना बेहद जरूरी होता है क्योंकि इनके पौधे ऊपर की ओर चढ़ने वाला होता हैं। इसलिए इनकी अच्छे परिणाम और अच्छे विकास वृद्धि के लिए इनको लकङी या सीमेंट से बनी खंभों का सहारा देना चाहिए। यदि आपका बजट कम है या इन पर आप कम खर्च करना चाहते है तो आप बांस के खंभों का उपयोग भी कर सकते है और कुछ समय के अंतराल में इसको बदल देना सही होता है।
अधिकतर किसान अच्छी पैदावार के लिए सीमेंट से बने खंभों का इस्तेमाल करते है और ऊपर छतरी जैसे आकर देकर अपने फसलों को सहारा देते है। जैसा की आप दिए गए चित्र में प्रदर्शित होता हुआ देख सकते है। साथ ही पौधो के मरे हुए और कमजोर शाखों को हटा देना चाहिए।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए खाद और उर्वरक (Manures And Fertilizers)
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की अच्छी पैदावार के लिए खाद और उर्वरक की बेहद आवश्यकता होती है। ड्रैगन फ्रूट के पौधों के अच्छे विकास और परिणाम हेतु 10 से 15 किलोग्राम जैविक खाद या जैविक उर्वरक की आवश्यकता पड़ती है। किसान भाई को प्रत्येक साल ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए दो किलो जैविक खाद की मात्रा को बढ़ा देना चाहिए। जैविक खाद और जैविक उर्वरक पौधो को बेहतर विस्तार और विकास के लिए मुख्य भूमिका निभाते है।
ड्रैगन फ्रूट के पौधों की अच्छी पैदावार के लिए किसान भाईयों को रासायनिक खाद का उपयोग भी करना चाहिए। पौधा से एक परिपक्व पेड़ की अवस्था तक लाने के रासायनिक खाद पोटाश 40 ग्राम, सुपर फास्फेट 90 ग्राम और यूरिया 70 ग्राम की मात्रा ड्रैगन फ्रूट के पौधों को देना चाहिए। जब पेड़ में फल आने वाले हो तो नाइट्रोजन देना कम कर दे और पोटाश अधिक मात्रा में देना चाहिए। जिससे अच्छा परिणाम या अच्छा उत्पाद प्राप्त होता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सिंचाई (Irrigation For Farming)
ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती में फूल और फल के बढ़ने के समय और गर्म और शुष्क मौसम में पौधो की सिंचाई बार बार करनी चाहिए, ये बेहद जरूरी होता है। खेती की हल्की सिंचाई करनी चाहिए। इसके लिए फव्वारा सिंचाई या ड्रिप सिंचाई का इस्तेमाल करना उचित होता है क्योंकि फव्वारा सिंचाई या ड्रिप सिंचाई से इसकी सिंचाई करने से पानी की बूंदे पौधों के जङो पर गिरती है जिससे फसल की सिंचाई अच्छी तरह होती है और पानी की अधिक मात्रा खेती में ज्यादा नहीं ठहरती है। यह ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उपयुक्त होता है।
ड्रैगन फ्रूट में कीट और रोग (Dieseas And Insect)
ड्रैगन फ्रूट की खेती में एक खास बात यह है कि इसके पौधों में किसी तरह का कोई रोग और कीट नहीं लगते हैं। किसान भाई इसलिए भी इसकी खेती करते है की इसकी ज्यादा तौर पे देखभाल करने की कोई आवश्यकता नहीं होती है। ड्रैगन फ्रूट की खेती में किसी भी कीटनाशक का प्रयोग नहीं किया जाता है। क्योंकि इसमें कीट और रोग ना के बराबर लगते है। अभी तक कोई भी ऐसा मामला नहीं आया है जिसमे ड्रैगन फ्रूट के खेती के लिए किसी भी तरह की कोई बीमारी होने या कीट लगने की संभावना जताई जा रही हो।
ड्रैगन फ्रूट की तुड़ाई (Harvest)
सिंचाई के बाद अब बात आती है ड्रैगन फ्रूट की तुड़ाई की तो ड्रैगन फ्रूट पहले ही साल में फल देना शुरू कर देते है। आपको बता दे कि ड्रैगन फ्रूट के पौधो में मई से जून के महीने में फूल लगते है और फल अगस्त से दिसंबर महीने में आते है। फूल आने के एक महीने बाद यह तोड़ने लायक हो जाते है। ड्रैगन फ्रूट के पौधो में दिसंबर तक फल आते है, जो की एक पेड़ से कम से कम 6 बार फलों को तोड़ा जा सकता है। ड्रैगन फ्रूट की तुड़ाई हाथों द्वारा की जाती है। इससे यह भी फायदा होता है की हाथो से फलों को तोड़ने से फलों को कोई तरह का कोई नुकसान नहीं होता है।
फलों को कब तोड़ना चाहिए या फल तोड़ने लायक हुए है या नही इसका पता फलों के रंग से परखा जाता है। इसको इस तरह समझा जाता है कि कच्चे फलों का रंग गहरे हरे रंग का होता है। जब इनका रंग पकने पर लाल हो जाता या अलग अलग किस्मों में अलग अलग रंग के बदलाव देखे जाते है। रंग बदलने के तीन से चार दिन के भीतर फलों को तोड़ लेना चाहिए। अगर आप ड्रैगन फ्रूट की खेती व्यवसायिक रूप से कर रहे है तो इसके रंग बदलने के एक दिन पहले ही इसे तोड़ना उचित होता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस के लिए सब्सिडी (Subsidy)
भारत में कई राज्यों में इसकी खेती बढ़ चढ़ कर की जा रही है। खासकर बात करे गुजरात की तो यहां पर ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस में सब्सिडी ड्रैगन फ्रूट की खेती सबसे ज्यादा की जा रही है। ऐसे में इसे ड्रैगन फ्रूट का हब भी कहा जाता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने भी ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए किसानों को बहुत अधिक प्रोत्साहित किया था।
एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के अंतर्गत ड्रैगन फ्रूट की खेती अगर जिले में 2 हेक्टेयर में की जा रही है तो ऐसे में ऐसे किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगने वाले कुल लागत का 50 प्रतिशत यानी ढाई लाख रुपए की सब्सिडी उनको प्रदान की जाएगी। इसके किसानों को किसान संबंधित विभाग से संपर्क करना होगा।
इसके लिए सरकार के ऑफिशियल पोर्टल ‘मेरी फसल-मेरा ब्यौरा‘ पर ऑनलाइन पंजीकरण करना होगा। पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर सब्सिडी दिया जाना है। इसके बाद किसान भाईयों को आवेदन करना होगा। आवेदन के लिए किसान बागवानी विभाग की ऑफिशियल वेबसाइट http://hortnet.gov.in पर जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन के बाद ही सब्सिडी प्राप्त किया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस से मुनाफा (Dragon Fruit Farming Profit)
ड्रैगन फ्रूट का पौधा पहले ही साल से फल देना शुरू कर देता है। जिसकी वजह से कमाई के लिए ज्यादा दिनों तक इंतजार नहीं करना पड़ता है। पहले साल की बात करे तो इससे कुछ कम फल प्राप्त होते है। लेकिन पौधो की बढ़ने के क्रम के साथ ही हर पौधा 50 से 120 फल देना शुरू कर देता है। इन फलों का भार कम से कम 300 से 800 ग्राम तक होता है। इसके हिसाब से प्रति 1 एकड़ में औसत उत्पादन 5 से 6 टन तक होती है। बाजार में इन फलों की कीमत 200 से 300 रुपये प्रति किलोग्राम होती है।
अगर ड्रैगन फ्रूट का पौधा सफलतापूर्वक लग जाए तो यह पौधा 25 साल तक फल देता है और इसमें हर साल बस मेंटेनेंस का खर्च लगता है। ऐसे में यदि 1 एकड़ खेत पर 1700 पौधे लगाकर हर साल 10 टन तक फल का उत्पादन किया जाए तो इससे 10 लाख तक कमाया जा सकता है।
ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस में कुल लागत (Dragon Fruit Farming Cost)
शुरुआत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने में ज्यादा लागत लगाने की आवश्यकता होती है। क्योंकि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए इनके पौधो के अच्छे परिणाम और अच्छे विकास वृद्धि के लिए इनको लकङी या सीमेंट से बनी खंभों का सहारा देना आवश्यक होता है। लकङी या सीमेंट से बनी खंभों को खड़ा करने में कुछ लागत लगाने पड़ते है।
पहले साल में लकङी या सीमेंट से बनी खंभों पर लागत लगाने की जरूरत पड़ती है। बाद में हर साल बस मेंटेनेंस का खर्च लगता है। बाजार में ड्रैगन फ्रूट की कीमत 200 रुपए प्रति किलो है तो यदि 1 एकड़ खेत पर हर साल 5 टन फल का उत्पादन किया जाता है तो इसकी खेती करने मे 6 लाख भी लागत आती है। इसकी खेती करने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा प्राप्त होता है।
निष्कर्ष:
आज हमने इस आर्टिकल में ड्रैगन फ्रूट की खेती का बिजनेस कैसे करे तथा इससे जुडी समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।
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FAQs
प्रश्न: ड्रैगन फुट क्या होता है?
उत्तर: ड्रैगन फ्रूट का अनन्नास की तरह दिखाई देता हैं। यह कीवी या नाशपाती फल की तरह होता हैं। यह फल खाने मे तरबूज की तरह मीठा लगता है। इसमें कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है जो सेहत के लिए काफी फायदेमंद है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट को हिंदी में क्या कहा जाता है?
उत्तर: इसका नाम संस्कृत में ‘कमलम’ (Kamalam) भी है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट का पौधा कितने दिन में फल देता है?
उत्तर: ड्रैगन फ्रूट का पौधा 1 साल में फल देने लगता है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट की खेती कहां कहां होती है?
उत्तर: भारत में यह फल कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पैदा किया जाता है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस से कितना मुनाफा होता है?
उत्तर: यदि 1 एकड़ खेत पर 1700 पौधे लगाकर हर साल 10 टन तक फल का उत्पादन किया जाए तो इससे 10 लाख तक कमाया जा सकता है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस में कितना लागत लगता है?
उत्तर: यदि 1 एकड़ खेत पर हर साल 5 टन फल का उत्पादन किया जाता है तो इसकी खेती करने मे 6 लाख भी लागत आती है।
प्रश्न: ड्रैगन फ्रूट की खेती के बिजनेस के लिए कितनी सब्सिडी मिलती है?
उत्तर: ड्रैगन फ्रूट की खेती अगर जिले में 2 हेक्टेयर में की जा रही है तो ऐसे में ऐसे किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती में लगने वाले कुल लागत का 50 प्रतिशत यानी ढाई लाख रुपए की सब्सिडी उनको प्रदान की जाएगी।