आज हम आपको कुश के बारे में बताएंगे Kush Kya Hota Hai, कुश को कब तोड़ना चाहिए, कुशा के बिना श्राद्ध पक्ष पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है, कुश का महत्व हर व्यक्ति के जीवन में क्या है इन सबसे जुड़ी हुई बातों को समझने और जानने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए।
हिंदू सनातनी धर्म में हर एक वस्तु या पौधे का अपना एक महत्व होता है, जिसका वर्णन सभी पौराणिक ग्रंथ में भरपूर देखने को मिल जाता है। किसी भी शुभ या अशुभ कार्य में हर एक वस्तु या पौधे का महत्व बताया गया है।
आज के अपने इस आर्टिकल में हम एक ऐसे ही पौधे का वर्णन करेंगे, जिसका उल्लेख पौराणिक ग्रंथ में देखने को मिलता है। शायद आप में से अधिकतर लोग इस पौधे के बारे में जानते भी होंगे और इसका इस्तेमाल भी करते होंगे। लेकिन इसके महत्व और इसकी विस्तार में अधिक जानकारी नहीं रखते होंगे।
Kush Kya Hota Hai (Kusha Grass)
कुश एक प्रकार का घास का पौधा होता है, जो आसानी से जंगलों में या घरों के आसपास पाया जाता है। देखने में यह आम घास की तरह होता है। लेकिन इसका हिंदू सनातन धर्म में अपना एक पौराणिक इतिहास है। सनातन धर्म के अनुसार कुश को किसी भी सनातनी पूजा के अनुसार शुभ और अशुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है।
हिंदू धर्म में कुश का महत्व बहुत ही ज्यादा है। इसीलिए कुश का इस्तेमाल हिंदू सनातनी धर्म के लोग जन्म से लेकर मरण तक हर शुभ और अशुभ कार्य में करते हैं। कुश को कुशा कह कर भी संबोधित किया जाता है।
कुश को कब तोड़ना चाहिए
हिंदू सनातनी पौराणिक ग्रंथ के अनुसार कुश को शुभ और अशुभ कार्यों के लिए तोड़ा जाता है। कुश को हमेशा ग्रहणी अमावस्या के दिन ही खेत या जंगलों से तोड़कर अपने घर लाया जाता है। इस दिन तोड़ी गई कुश का इस्तेमाल सनातन धर्म से जुड़े हुए व्यक्ति पूरे वर्ष कर सकते हैं। क्योंकि ग्रहणी अमावस्या भाद्रपद अमावस्या का महत्व पौराणिक ग्रंथ में विस्तार पूर्वक बताया गया है। इसीलिए अगर हम भाद्रपद अमावस्या के दिन कुश को तोड़ते हैं। तो उसका इस्तेमाल पूरे वर्ष कर सकते हैं।
इसके अलावा अन्य किसी दिन भी अगर हम कुश को तोड़ते हैं और अपने घर लेकर आते हैं, तो उसका इस्तेमाल केवल एक ही दिन किया जा सकता है। इसलिए ऐसा माना जाता है कि कुशग्रहणी अमावस्या के दिन लाई गई कुशा का इस्तेमाल अगली कुशग्रहणी अमावस्या तक किसी भी शुभ या अशुभ कार्य में पूरे वर्ष तक किया जा सकता है।
कुश पौधे को किसका रूप माना गया है
हिंदू सनातन धर्म में हर एक पौधे का अपना एक महत्व होता है। जैसे कि तुलसी के पौधे का अपना महत्व है, पीपल के पौधे का अपना एक महत्व है, केले के पौधे का अपना एक महत्व है। इस तरह से कुश के पौधे का भी सनातन हिंदू धर्म में पवित्र महत्व माना गया है।
पौराणिक ग्रंथ के अनुसार कुश को भगवान विष्णु के रोम से पैदा हुई कहा गया है। इसीलिए कुश को दूसरे पौधों की तरह बहुत ही पवित्र माना जाता है। सनातन धर्म की कोई भी पूजा कुश के बिना अधूरी मानी जाती है, क्योंकि कुश का इस्तेमाल पूजा के समय बहुत ही अहम रहता है।
चाहे वह संकल्प लेना हो, श्राद्ध के लिए हो, सत्यनारायण की कथा के लिए हो, विवाह के लिए हो, किसी के जन्म मुंड के लिए हो, किसी के जन्मदिवस के लिए हो और यहां तक की जब व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तब भी कुश का ही इस्तेमाल होता है। क्योंकि कुश भगवान विष्णु के रोम से उत्पन्न हुई है। इसीलिए इसे पवित्र मानकर पूजा के दौरान कुश का इस्तेमाल करके हर तरफ पवित्रता को बिखेरा जाता है।
कुश के बिना श्राद्ध पक्ष पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है
कुश के बिना हर पूजा को अधूरा मनाया जाता है। लेकिन श्राद्ध पक्ष में पितृ तर्पण में कुश का विशेष महत्व माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि कुश के बिना पितृ श्राद्ध संपन्न नहीं होता है। जैसे कि आपको पता है कि 29 सितंबर 2023 से लेकर 14 अक्टूबर 2023 तक श्राद्ध पक्ष चला हुआ है।
श्राद्ध पक्ष में पितरों को प्रसन्न और शांति के लिए हिंदू रीति रिवाज के अनुसार श्राद्ध पूजा की जाती है, जिसमें कुश और तिल का विशेष महत्व माना गया है। पितरों को प्रसन्न करने के लिए तर्पण और भोग लगाया जाता है। तर्पण करने के लिए कुश की आवश्यकता पड़ती है, क्योंकि तर्पण में कुश का विशेष महत्व होता है।
ऐसा माना जाता है कि इस कुश में तीनों भगवानों का आशीर्वाद है। इसके मूल को ब्रह्म, मध्य भाग को विष्णु और अग्रभाग को शिव जी के रूप में माना जाता है। ऐसा मानना है कि श्राद्ध पक्ष में पितरों के श्राद्ध पूजा विधि के दौरान कुश से गंगाजल का छिड़काव करना हर तरफ सकारात्मक एनर्जी उत्पन्न करता है। इसके साथ ही तीनों भगवानों का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है। इसीलिए श्रद्धा पितृ पक्ष पूजा कुशा के बिना अधूरी मानी जाती है।
कुश का धार्मिक महत्व, अध्यात्मिक महत्व और वैज्ञानिक महत्व
कुश का महत्व हर व्यक्ति के जीवन में क्या है। इसका उल्लेख हम नीचे करेंगे। जिसमें हम धार्मिक, आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से हर एक पहलू पर आपको समझाने की कोशिश करेंगे।
कुश का धार्मिक महत्व
हिंदू सनातनी धार्मिक ग्रंथ अथर्ववेद के अनुसार कुश घास के तिनके का महत्व बताया गया है, जिसमें कुश को औषधि के रूप में विख्यात किया गया है। कुश को खाने से क्रोध को शांत किया जा सकता है या उस पर निरंतर पाया जा सकता है।
ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान विष्णु ने वराह अवतार लिया था, तब उन्होंने हिरण्याक्ष राक्षस को मारकर पृथ्वी को समुंदर के पानी से बाहर लेकर आए थे। इसके बाद उन्होंने सभी प्राणियों की रक्षा की थी। जब वह पृथ्वी को समुद्र से बाहर लेकर निकले थे। फिर उन्होंने अपने शरीर पर लगे पानी को झटका था, जिससे उनके शरीर के कुछ बाल टूटकर पृथ्वी पर गिर गए थे, जिससे कुशा पैदा हो गए। इसका सारा वर्णन मत्स्य पुराण में विस्तार पूर्वक लिखा गया है।
महाभारत काल में भी कुश का वर्णन किया गया है। ऐसा कहा जाता है कि अंगराज करण ने इस कुश को पहनकर अपने पितरों को तृप्ति किया था, जिससे उनके पितृ प्रसन्न हो गए थे और तभी से यह धारणा चली आ रही है कि पितरों को प्रसन्न करने के लिए श्राद्ध पक्ष में पूजा विधि में कुश का इस्तेमाल किया जाने लगा।
इसके अलावा धार्मिक अनुष्ठानों में भी कुश को सर्वत्र पवित्र माना गया है। जिसके लिए शुभ या अशुभ कार्यों में भी कुशा के महत्व का वर्णन धार्मिक ग्रंथो में बखूबी देखने को मिलता है।
कुश का अध्यात्मिक महत्व
कुश का महत्व आध्यात्मिक दृष्टि से जाने तो अगर पूजा विधि में कुश के आसन पर बैठकर पूजा को संपन्न किया जाए, तो इसे सकारात्मक एनर्जी पैदा होती है और हर तरफ सकारात्मक विचार आते हैं।
इसके अलावा कुश से जब पूजा विधि के दौरान गंगाजल का छिड़काव किया जाता है, तब हर तरह की नकारात्मक एनर्जी वहां से चली जाती है। यह इसका आध्यात्मिक महत्व है।
इसके अलावा कुश की बनाई गई अंगूठी को पूजा के दौरान अनामिका उंगली में पहनना शुभ माना जाता है। क्योंकि अनामिका उंगली में सूर्य का स्थान माना गया है। इसलिए पूजा के दौरान अनामिका उंगली में कुश की बनाई हुई अंगूठी को पहना जाता है। तब जितनी भी तेज और ऊर्जा होती है पर धरती पर ना पड़कर आपका ही शरीर में रहती है।
कुश का वैज्ञानिक महत्व
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से कुश का भी एक महत्वपूर्ण महत्व है। कुश का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए भी किया जाता है। क्योंकि इसमें खतरनाक बैक्टीरिया को खत्म करने के तत्व पाए जाते हैं। कुश में प्यूरिफिकेशन का गुण होता है, जिस किसी भी खाने की चीज को शुद्ध करने के लिए उपयोग में लाया जाता है।
जब वैज्ञानिकों ने कुशा के पौधे के ऊपर गहरी रिसर्च की तो उन्होंने पाया कि कुश में एंटी ओबेसिटी, एंटीऑक्सीडेंट और एनालजेसिक कंटेंट की मात्रा है, जो किसी भी तरह की बीमारी से लड़ने के लिए काफी होती है। इसीलिए दवाइयां बनाने में भी कुश का इस्तेमाल किया जाता है। पौराणिक ग्रंथ में कुश को एक औषधि के रूप में माना गया है। इसके अलावा पुराने जमाने की वैद्य कुशा का औषधि के रूप में इस्तेमाल करके मरीजों को ठीक करते थे।
Kush Kya Hota Hai निष्कर्ष
आज हमने इस आर्टिकल में Kush Kya Hota Hai, कुश को कब तोड़ना चाहिए, कुशा के बिना श्राद्ध पक्ष पूजा अधूरी क्यों मानी जाती है, कुश का महत्व हर व्यक्ति के जीवन में क्या है के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।