अगर आपने भी 12वीं कक्षा को पास कर चुके हैं और आगे कॉलेज में एडमिशन लेना चाहते हैं। तो आपके लिए सेमेस्टर सिस्टम को जानना बहुत ही महत्वपूर्ण है। Semester Kya Hota Hai, सेमेस्टर सिस्टम के लाभ क्या है? इन सब बातों को जानने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए। ताकि जब भी आप कॉलेज का चुनाव करें तब आपको सेमेस्टर सिस्टम को लेकर पूरी जानकारी हो।
आज हम अपने इस आर्टिकल में जिस विषय के ऊपर आप से चर्चा करेंगे या कहे बात करेंगे वह विषय 12वीं कक्षा पास कर चुके छात्रों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। देशभर में सेमेस्टर सिस्टम प्रक्रिया लागू है। इस सेमेस्टर सिस्टम के माध्यम से बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बोझ कम पड़ता है।
पढ़ाई करना हर एक स्टूडेंट्स का सपना होता है। इसीलिए वह हर कक्षा में मेहनत करके अच्छे मार्क्स लाता है। ताकि वह जीवन में कुछ कर सके। इसी को देखते हुए सरकार भी बच्चों के हितों में कार्य कर रही है। ताकि उनपर पढ़ाई का बोझ कम किया जाए। जिसको लेकर सरकार ने कई तरह के कदम उठाए हैं।
Semester Kya Hota Hai
सेमेस्टर पढ़ाई का एक ऐसा हिस्सा है, जो पढ़ाई को दो हिस्सों में बांट देता है। आसान भाषा में समझे तो जब 12वीं कक्षा पास करने के बाद आप किसी भी कॉलेज में एडमिशन लेते हैं। तब उस कॉलेज में एग्जाम सेमेस्टर वाइस होते है अर्थात अगर आपने B.A, B.CA या B.COM या फिर B.SC के तहत डिग्री लेने के लिए किसी कॉलेज में दाखिला लिया है। तो आपको इस कोर्स को 3 साल में कंप्लीट करना होता है। जिसके तहत इस कोर्स को 6 सेमेस्टर में डिवाइड किया जाता है।
अर्थात आपको 1 साल में 2 सेमेस्टर के एग्जाम देने होते हैं। एक सेमेस्टर के बाद आपको दूसरे सेमेस्टर के लिए फिर से एग्जाम देना होते हैं। इस तरह आपका 1 साल का कोर्स कंप्लीट होता है। ऐसे ही 3 साल के कोर्स में आपको 6 बार एग्जाम देने होते है। तब जाकर आपका कोर्स कंप्लीट होता है। इस सारी प्रक्रिया को हम सेमेस्टर कहते हैं।
सेमेस्टर प्रक्रिया कहां पर लागू होती है
सेमेस्टर सिस्टम निम्नलिखित स्थानों पर लागू हो सकती है। जिसके बारे में हम नीचे विस्तार से बताएंगे।
भारत के जितने भी कॉलेज है। जहां पर ग्रेजुएशन से संबंधित पढ़ाई करवाई जाती है। इन कॉलेजों में अधिकांश राज्य अपने हिसाब से सेमेस्टर सिस्टम को लागू करते हैं।
बड़ी-बड़ी यूनिवर्सिटी में, जैसे कि दिल्ली यूनिवर्सिटी, जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी इत्यादि अधिकांश ऐसे कोर्स। जो किसी पर्टिकुलर संस्थाओं से संबंध रखते हो। जैसे की डॉक्टरी पेशे से, बिजनेस पेशे से या फिर स्किल डेवलपमेंट से। यहां पर भी सेमेस्टर सिस्टम कॉलेज के हिसाब से लागू होते है।
सेमेस्टर सिस्टम कैसे काम करता है
सेमेस्टर सिस्टम डिवाइड रूल के अंतर्गत कार्य करता है। मतलब आपके 1 साल को दो हिस्सों में बांट देता है। तब जाकर आपका 1 साल का कोर्स कंप्लीट होता है।
उदाहरण से समझे तो अगर आप फर्स्ट ईयर में है। तो आपको दो सेमेस्टर के एग्जाम देने होंगे। यानी की फर्स्ट ईयर का पहला सेमेस्टर और फर्स्ट ईयर का दूसरा सेमेस्टर। इसके पास होने के बाद आप सेकंड ईयर में आ जाते है। तब आपको सेकंड ईयर का तीसरा सेमेस्टर और सेकंड ईयर का चौथा सेमेस्टर पास करना होता है। जिसके बाद आप फाइनल ईयर में प्रवेश करतें है।
इसके बाद आपको फाइनल ईयर का पांचवां सेमेस्टर और फाइनल ईयर का छठा सेमेस्टर पास करना होता है। जिसके बाद जाकर आपकी डिग्री कंप्लीट होती है। लेकिन इस दौरान अगर आप किसी सेमेस्टर में फेल हो जाते हैं। तब आपको 2 साल एक्स्ट्रा दिए जाते हैं। जिसके अंतर्गत 7वां सेमेस्टर और 8वां सेमेस्टर होते है। जिसमें आपको 7वें और 8वें सेमेस्टर को सप्लीमेंट के एग्जाम देकर, अपनी डीग्री को हासिल कर सकते हैं।
सेमेस्टर सिस्टम कब से लागू की गयी
सेमेस्टर सिस्टम साल 2019 के बाद लागू की गई है। इससे पहले साल में एक बार ही एग्जाम होते थे। जिसे एनुअल या फिर फाइनल एग्जाम कहा जाता था। लेकिन जब से सेमेस्टर प्रक्रिया लाई गई है। तब से एग्जाम 6 महीने के अंतराल के बीच में लिया जाता है। जिससे बच्चों के मार्क्स में भी ग्रो देखने को मिले है।
बच्चों के मार्क्स अच्छे आने लगे है। क्योंकि सेमेस्टर सिस्टम 6 महीने का होता है। इसलिए 6 महीने के सिलेबर्स में जितनी पढ़ाई होती है। उसी पर एग्जाम ले लिया जाता है। इससे बाद फिर से 6 महीने के बाद एग्जाम लिया जाता है, तब 1 साल कंप्लीट होता है। इसके बाद इन सेमेस्टर सिस्टम के मार्क्स को जोड़कर एक साल माना जाता है। ऐसे ही छह सेमेस्टर के मार्क्स को जोड़कर आप डिग्री को प्राप्त करते हैं।
सेमेस्टर सिस्टम के लाभ
सेमेस्टर सिस्टम के लाभ जिसका वर्णन नीचे विस्तार पूर्वक करेंगे, जो कि इस प्रकार है।
सेमेस्टर सिस्टम का लाभ यह है, कि इस सिस्टम के द्वारा 6 महीने के बाद एग्जाम लिया जाता है। जिससे कि बच्चों को पूरा साल एक साथ एग्जाम देने की आवश्यकता नहीं होती है।
इस सिस्टम के तहत 6 महीने तक बच्चों ने जितना भी सिलेबर्स कंप्लीट किया है। उस सिलेबर्स का पेपर उनसे लिया जाता है।
इसके बाद अगले 6 महीने में फिर जितनी पढ़ाई वह करते हैं। उसी सिलेबर्स का एग्जाम दिया जाता है। इस तरह बच्चों के ऊपर पढ़ाई का अधिक बोझ नहीं पड़ता है।
इस तरह 6 महीने के बाद एग्जाम देकर बच्चे अपना 1 साल के कोर्स को बहुत ही आसानी से कंप्लीट कर लेते हैं। यह लाभ बच्चों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
क्या भारत में सेमेस्टर सिस्टम प्रक्रिया हर राज्य में एक जैसी है
आपको एक बात जानना बहुत ही आवश्यक है। कि सेमेस्टर सिस्टम हर राज्य में एक जैसा नहीं होता है। लेकिन अधिकांश राज्यों में इस सिस्टम प्रक्रिया का समर्थन करते हैं। ताकि बच्चों को इसकी सुविधा प्रदान हो सके और बच्चों पर पढ़ाई का बोझ कम कर सके। इसी को लेकर अधिकांश राज्य इस सेमेस्टर प्रक्रिया को लागू करते हैं। लेकिन कुछ राज्य ऐसे होते है, जहां पर सेमेस्टर प्रक्रिया को लागू ना करते हुए एग्जाम 1 साल में एक बाद ही लिए जाते हैं।
यह निर्णय हर राज्य का अपना-अपना होता है। इसलिए आप जिस भी राज्य में रहते हैं और उसी राज्यों में अपनी पढ़ाई को आगे जारी रखने के लिए कोर्स करना चाहते हैं। तो आप जिस कॉलेज में सेमेस्टर प्रक्रिया लागू हो, उस कॉलेज का चुनाव करें। ताकि आपका भविष्य उज्जवल बन सके और आप पर पढ़ाई का बोझ भी कम पड़े।
Semester Kya Hota Hai निष्कर्ष
आज हमने इस लेख में Semester Kya Hota Hai, सेमेस्टर सिस्टम के लाभ क्या है? इत्यादि के बारे में बहुत ही सरल और आसान शब्दों में समझाया और इससे जुड़ी समस्त जानकारियां आप तक पहुंचाई।
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FAQs
प्रश्न: सेमेस्टर का मतलब क्या होता है?
उत्तर: सेमेस्टर का सीधा मतलब छमाही होता है।
प्रश्न: सेमेस्टर सिस्टम कब लागू किया गया?
उत्तर: सेमेस्टर सिस्टम साल 2019 के बाद लागू की गई है।
प्रश्न: 1 साल में कितने सेमेस्टर होते है?
उत्तर:1 साल में कुल 2 सेमेस्टर होते है।
Sir mai ba first year me hu aur mai 2 semester ke bad 2year me college change karna cahta hu dusre University me to kya yha ho sakta hai sir