सोमवती अमावस्या क्या है – इसका महत्व, पूजा विधि, कब है

दोस्तों भारत देश प्राचीन काल से मान्यता के अनुसार पूजा-पद्धति, दान-पुण्य, धर्म-व्रत इत्यादि प्रकार के मान्यता प्राप्त ग्रंथों के अनुसार कार्य करता आ रहा है। यह सब सनातन धर्म से संबंधित है। सनातन धर्म जो 5,000 वर्ष से भी पुराना है। तब से व्यक्ति अपने अंदर एक अद्भुत ऊर्जा को इन अनुष्ठानों के मध्य से पैदा करता है। इन सभी अनुष्ठानों का अपने आप में बहुत ही बड़ा महत्त्व होता है। ऐसे ही एक अनुष्ठान या कहें पूजा-पाठ जो भारत में बहुत ही प्रचलित है। इस अनुष्ठान का नाम सोमवती अमावस्या है। 

सोमवती अमावस्या क्या है, सोमवती अमावस्या का महत्व, सोमवती अमावस्या की पूजन की विधि कैसे करें, साल 2023 में सोमवती अमावस्या कब आ रहा है इत्यादि की जानकारी अपने आर्टिकल में हम संक्षिप्त रूप से वर्णन करेंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सोमवती अमावस्या की महिमा का अनुष्ठान करके अपनी जीवनशैली को बदलें।

Somvati Amavasya Kya Hai

सोमवती अमावस्या क्या है (Somvati Amavasya In Hindi)

यह एक व्रत है, सोमवती अमावस्या की तिथि सनातन धर्म के अनुसार बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि के दिन सनातन धर्म से जुड़े हुए पद्धति वाले समुदाय अपने पितरों की शांति के लिए सोमवती अमावस्या की पूजा करते हैं। 

सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की आराधना की जाती है। इसी के साथ अमावस्या के दिन दान-पुण्य करने का भी एक खास महत्व होता है। सोमवती अमावस्या हर साल फरवरी महीने के फागुन मास कृष्ण पक्ष के तहत आती है।

सोमवती अमावस्या का महत्व

शिव पुराण के अनुसार देखा जाए तो सोमवती अमावस्या का मानव जीवन काल में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करवानी चाहिए। जिससे पितरों की संतुष्टि के उपरांत उनका दीर्घकाल तक आशीर्वाद बना रहता है। 

इसके साथ ही घर में सुख, वैभव, शांति, समृद्धि के भंडार हमेशा भरे रहते है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और पार्वती जी की विधिपूर्वक पूजा पाठ करवाने का भी बहुत ही अधिक महत्व माना जाता है। भगवान शिव देवों के देव महादेव जो काल को भी हर लेते हैं। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और पार्वती जी का पूजा पाठ करने से और मंत्र जाप करने से उनका विशेष कृपा बनी रहती है। 

सोमवती अमावस्या के दिन विशिष्ट रूप से स्नान करना चाहिए। जिससे शरीर की शुद्धि हो जाती है और व्यक्ति को अपने शारीरिक रोगों से मुक्ति मिल जाति है। इसीलिए अधिकतर लोग सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र और पूजनीय नदियों में जाकर या सरोवरों में जाकर विशेष रूप से स्नान करते हैं। ताकि वह तंदुरुस्त रहें। उन पर पितरों की हमेशा कृपा बनी रहे और उनका जीवन सुख समृद्धि से वैभव से भरा रहे।

सोमवती अमावस्या की मान्यता

सोमवती अमावस्या अनुष्ठान की कुछ विशेष मान्यता भी है। जिसके बारे में हमने नीचे बताया है–

  • भगवान शिव देवों के देव महादेव जो काल को भी हर लेते हैं। ऐसी मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-पाठ करने से और मंत्र जाप करने से उनकी विशेष कृपा बनी रहती है। 
  • सोमवती अमावस्या के दिन विशिष्ट रूप से स्नान करना चाहिए। जिससे शरीर की शुद्धि हो जाती है और व्यक्ति को अपने शारीरिक रोगों से मुक्ति मिल जाती है। 
  • ऐसी मान्यता है की सोमवती अमावस्या के दिन पवित्र और पूजनीय नदियों में जाकर या सरोवरों में जाकर विशेष रूप से स्नान करने से शारीरिक बीमारीयां दूर होती है। 
  • सोमवती अमावस्या के दिन स्नान करके श्रद्धा पूर्वक सूर्यदेव को अर्घ्य देकर और उनकी पूजा करने से पितरों की हमेशा कृपा बनी रहती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है।

सोमवती अमावस्या की तिथि 2023

दोस्तों हिंदू पंचांग और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार माने तो इस साल यानी 2023 में पड रही सोमवती अमावस्या बहुत ही लाभदायक और शुभ कार्य मानी जा रही है। साल 2023 में अमावस्या 19 फरवरी 2023 के दिन रविवार को शाम 4 बजकर 18 मिनट पर सोमवती अमावस्या शुरू हो जाऐगी। 24 फरवरी 2023 दिन सोमवार 12:00 बजकर 35 मिनट दोपहर काल समय तक रहेगी।

इस तरह सोमवती अमावस्या 19 फरवरी 2023 से लेकर 20 फरवरी 2023 तक 20 घंटे से ऊपर तक रहेगी। जो पूजा पाठ विधि के लिए बहुत ही शुभ संकेत या समय है। ग्रंथों के अनुसार उदया तिथि को समझे तो 20 फरवरी 2023 को सही रूप से सोमवती अमावस्या का अनुष्ठान विधि पूर्वक करना चाहिए। इसीलिए हम भी सोमवती अमावस्या को 20 फरवरी का दिन सुनिश्चित करते हैं।

सोमवती अमावस्या में क्या न करें

  • सोमवती अमावस्या के दिन किसी भी तरह का कोई भी शराब, मांस, मदिरापान इत्यादि प्रकार की वस्तुओं का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन अपने से बड़े किसी भी व्यक्ति या माता-पिता या बड़े भाई या फिर दादा-दादी का अपमान नहीं करना चाहिए और ना ही इनको कठोर बानी से अपशब्द कहने चाहिए।
  • सोमवती अमावस्या के दिन पति-पत्नी आपस में शारीरिक संबंध बनाने से परहेज रखना चाहिए। 

सोमवती अमावस्या का शुभ मुहूर्त

  • सोमवती अमावस्या का अनुष्ठान बहुत ही शुभ माना जाता है। इसी साल 20 फरवरी 2023 को सोमवती अमावस्या के दिन पड़ रहा समय काल नक्षत्र के अनुकूल बहुत ही शुभ मुहूर्त के तहत स्नान और दान करने का रहेगा। जो हम नीचे विस्तार में बताएंगे। आप इसी समय काल के अंदर सोमवती अमावस्या के दिन स्नान और दान का कार्य करते है। तो आपका जीवन में बहुत ही सुखमय और आनंद कारी होगा।
  • सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जिसे हम अमृत काल कहते हैं। इस दिन सुबह 6:00 बजकर 56 मिनट से लेकर 8:00 बजकर 20 मिनट तक का शुभ मुहूर्त स्नान करने के लिए बहुत ही अच्छा है।
  • फिर 9:00 बजकर 45 मिनट और 11:00 बजकर 10 मिनट तक का समय काल मुहूर्त दान करने का विशेष तौर पर शुभ माना गया है।

सोमवती अमावस्या की पूजा विधि

दोस्तों सोमवती अमावस्या के दिन विधि पूर्वक पूजा करना बहुत ही लाभकारी फलदायक होता है। सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव जी और माता पार्वती जी की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही सुहागिनों को पीपल के पेड़ की भक्ति भावपूर्ण से पूजा करनी चाहिए। हम नीचे पूजा करने की विधि का विस्तार पूर्वक उल्लेख करेंगे–

  • सबसे पहले सोमवती अमावस्या के दिन जो कि सोमवार 20 फरवरी 2023 को है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर लेना चाहिए।
  • इसके बाद आपको पूजा की थाली को अच्छे से सजा लेना चाहिए। जिसमें कलश, फूल, धूप, कुमकुम, चावल, डोरी इत्यादि प्रकार की पूजा की सामग्री को पूजा की थाली में अच्छे से सजा लेना है। 
  • अब आपको अपने घर के मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतार कर उनकी आराधना करनी चाहिए। 
  • अब पूजा थाली में रखकर कलश और पूजा थाली को लेकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य दीजिए। उनको पुष्प अर्पण कीजिए, कुमकुम अर्पण कीजिए, चावल अर्पण कीजिए और जल को भी अर्पण कीजिए।
  • अब सूर्य देव की ओर देखते हुए दोनों हाथ जोड़कर उनकी स्तुति करें। उनका मंत्र का जाप करें। “ओम सूर्याय देवाय नमः” भगवान सूर्य देव से अपने पितरों की शांति के लिए प्रार्थना करें। 
  • अब जो विवाहित स्त्रियां है। वह पीपल के वृक्ष पर जाकर पूजा की थाली को लेकर। वहां पर सूर्य देव की आराधना करते हुए डोरी को पीपल के पेड़ के चारों तरफ लपेटकर स्तुति करें।
  • अपने पितरों को याद करते हुए उनकी शांति के लिए भगवान सूर्य देव, भगवान शिव, माता पार्वती और पीपल के पेड़ के ऊपर जल को अर्पण करते हुए। विधि पूर्वक अपनी पूजा पाठ कर सकती हैं।
  • विधि पूर्वक अनुष्ठान को खत्म करके आप वस्त्र दान या अपनी क्षमता के अनुसार किसी भी वस्तु का दान निर्धन व्यक्ति को अवश्य करे। इससे आप के द्वारा किए गए सोमवती अमावस्या के पूजा का महत्व बढ़ जाएगा। आपको सुख शांति धन वैभव की प्राप्ति होगी।

सोमवती अमावस्या क्या है निष्कर्ष:

आज हमने इस आर्टिकल में सोमवती अमावस्या क्या है, सोमवती अमावस्या का महत्व, सोमवती अमावस्या की पूजन की विधि कैसे करें, साल 2023 में सोमवती अमावस्या कब आ रहा है इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: सोमवती अमावस्या व्रत क्या होता है?

उत्तर: यह एक व्रत है, सोमवती अमावस्या की तिथि सनातन धर्म के अनुसार बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस तिथि के दिन सनातन धर्म से जुड़े हुए पद्धति वाले समुदाय अपने पितरों की शांति के लिए सोमवती अमावस्या की पूजा करते हैं। 

प्रश्न: सोमवती अमावस्या का क्या महत्व है?

उत्तर: शिव पुराण के अनुसार देखा जाए तो सोमवती अमावस्या का मानव जीवन काल में बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए पूजा पाठ करवानी चाहिए। जिससे पितरों की संतुष्टि के उपरांत उनका दीर्घकाल तक आशीर्वाद बना रहता है। 

प्रश्न: सोमवती अमावस्या व्रत कब आता है?

उत्तर: सोमवती अमावस्या के दिन जो कि सोमवार 20 फरवरी 2023 को है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्रों को धारण कर लेना चाहिए।