Ahir Regiment Kya Hai – इसका इतिहास, क्यों हो रही मांग

दोस्तों भारतीय आर्मी के अंतर्गत सेना एक रेजिमेंट के तहत अपने शौर्य को अंजाम देती है। इन रेजिमेंट के तहत वह अपने दुश्मनों के छक्के छुड़ा देती है। भारत और चाइना के साथ हुए युद्ध के दौरान एक ऐसी बटालियन थी। जिसने चीन की सेना के छक्के छुड़ा दिए थे। उस बटालियन के अंदर एक ही समुदाय से आने वाले लोगों ने अपने शौर्य का परचम लहराया। यह सभी सैनिक अहीर समुदाय से आते थे।

आज हम अपने आर्टिकल में Ahir Regiment Kya Hai, इससे संबंधित जानकारी आपको देंगे और साथ में यह भी बताएंगे कि कैसे शुरू हुई, अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और अहीर समुदाय के युद्ध के दौरान योगदान और शौर्य के बारे में जाने। कैसे अहीर समुदाय के लोगों ने हर बार युद्ध के दौरान अपने शौर्य का परचम लहराया।

Ahir Regiment Kya Hai

Ahir Regiment Kya Hai

अहीर रेजिमेंट को जानने से पहले आपको और रेजिमेंट के बारे में समझना होगा। रेजिमेंट सेना के अंदर सैन्य बल के रूप में देखी जाने वाली एक इकाई होती है। जिसके अंतर्गत सेना की टुकड़ी आती है। जिनका अपना एक शौर्य होता है। रेजिमेंट की शुरुआत अंग्रेजों के समय से हुई थी। तब सबसे पहले मद्रास रेजीमेंट की शुरुआत की गई थी। उसके बाद से सिख रेजिमेंट, राजपूताना राइफल, गोरखा राइफल इत्यादि ऐसे तमाम रेजिमेंट है।

जिसे भारतीय सेना के अंदर शामिल किया गया था। इन रेजिमेंट में पूरे भारत के मिले-जुले सैनिकों को भर्ती की जाती थी। ऐसे में ही अहीर रेजिमेंट को बनाने की मांग भी पिछले काफी वर्षों से उठाई जा रही है। सबसे पहले वर्ष 1956 में अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग उठाई थी। अहीर जोकि यदुवंशियों वंशज माने जाते हैं। इनका अपना ही वीरता का एक इतिहास है।

प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध में अहिर समुदाय ने युद्ध के दौरान शौर्य का प्रदर्शन किया था। अहीर समुदाय का संबंध वर्ष 1857 क्रांति से भी है। इसी को लेकर समय-समय पर अहीर रेजिमेंट की मांग उठती जा रही है।

आज के दौर में भी हरियाणा के सांसद दीपेंद्र हुड्डा अहीर रेजिमेंट की मांग उठाते रहे है। आजमगढ़ से भाजपा के वर्तमान सांसद निरहुआ ने भी अहीर रेजिमेंट की मांग एक बार फिर से संसद में उठाई है। उन्होंने वर्ष 1962 के युद्ध को याद करते हुए अहीर समुदाय के योगदान का गाथा का गान किया है। एक बार फिर से अहीर रेजिमेंट बनाने का मुद्दा गरमाया हुआ है।

Ahir Regiment के मांग की शुरुआत

दोस्तों अहीरवाला के क्षेत्र हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली तक फैला हुआ था। जिसके अंतर्गत आने वाले जिलों के नाम कोटपुतली, महेंद्रगढ़, अलवर, कोसली, दक्षिण पश्चिम दिल्ली, अलवर, रेवाड़ी, मनीम का थाना, झज्जर, नारनौल, गुरुग्राम इत्यादि प्रकार के है। उस समय अहीर वाला की राजधानी महेन्द्रगढ़ हुआ करती थी। उस समय के शासक राजा राव तुकाराम सिंह थे। जिन्होंने वर्ष 1825 से लेकर वर्ष 1865 तक अहीर वाला पर शासन किया।

जब वर्ष 1857 की स्वतंत्रता क्रांति शुरू हुई थी। उसमें अहीवाला क्षेत्र के समुदाय के लोगों ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया था और अपने शौर्य का लोहा मनवाया था। यहीं से अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग सर्वप्रथम उठाई गई थी। आज अहिर समुदाय के लोग एक बार फिर से अपनी मांग को आगे बढ़ाते हुए अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग कर रहे हैं।

Ahir Regiment का 1962 के युद्ध में योगदान

भारत और चीन का 1962 का युद्ध हर किसी को याद तो होगा ही। इस युद्ध में चीनी सेना भारत पर अपनी बढ़त को बनाए रखने के लिए रेजांगला पर अपना कब्जा करना चाहती थी। लेकिन उस समय कुमाऊं रेजिमेंट की 13वीं बटालियन के अंदर C कंपनी उस चौकी पर तैनात थी। इस चौकी के अंतर्गत अधिकतर सैनिक आहिर समुदाय से थे। चीनी सेना ने अपना पूरा जोर लगा दिया। लेकिन इन अहरी सैनिकों ने चीनी सैनिकों को चुशूल से आगे नहीं बढ़ने दिया और डटकर उनका मुकाबला किया।

अहीर सैनिक तादाद में बहुत ही कम थे। लेकिन युद्ध के दौरान उन्होंने चीनी सैनिकों के होश उड़ा दिए। इस युद्ध के दौरान अहीर सैनिकों के 117 जवान शहीद हो गए थे। इसमें अकेले अहीर समुदाय से शहीद होने वाले 114 जवान थे। तब हर तरफ अहीर समुदाय की ही बातें होने लगी और अहीर समुदाय के शौर्य को राष्ट्रीय स्तर पर सब ने देखा। इतने कम सैनिकों ने भी चीन जैसी बड़ी सेना को घुटनों के बल लाकर रख दिया।

आज भी अहीर समुदाय के सैनिकों की शौर्य को याद करते है। अहीर रेजिमेंट और अन्य रेजिमेंट में कुछ ऐसा ही अहीर सैनिकों का है। लेकिन अहिर समुदाय के लोग पूरी रेजिमेंट बनाने की मांग कर रहे है। वह अहीर योद्धाओं के शौर्य की गान मंडल करते हुए 1962 युद्ध की वर्षगांठ को मनाते हुए अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग एक बार फिर से उठा रहे हैं।

कैसे शुरू हुई Ahir Regiment बनाने की मांग

अहिर समुदाय का मानना है कि जब से सेना में जाट रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, मराठा रेजिमेंट, कुमाऊं रेजिमेंट, राजपूताना रेजिमेंट आये है। जिसके तहत अहीर समुदाय के लोगों को भर्ती किया जाता है। इसके साथ-साथ उन्हें आर्मी के तहत टेक्निकल यहां तक की सिग्नल डिपार्टमेंट में भी भर्ती किया जाता है। जिसमें वह अपने शौर्य का प्रदर्शन बखूबी करते हैं। अहीरों को 19वीं हैदराबाद रेजीमेंट के तहत सबसे पहले भर्ती किया गया था। इस रेजिमेंट ने युद्ध के दौरान अपने शौर्य का अच्छा प्रदर्शन किया।

अहीर समुदाय का मानना है कि हर रेजिमेंट में अहीर समुदाय के लोग भर्ती है और युद्ध में अच्छा प्रदर्शन करते हैं। लेकिन वह अपने आपको शौर्य के रूप में असहज महसूस करते हैं। जब अहीर योद्धाओं की युद्ध मे बात आती है। तो इसी को लेकर अहीर समुदाय में भी अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग शुरू कर दी थी।

Ahir Regiment पर भारतीय सेना क्या कहती है

भारतीय सेना का यह कहना है कि अब किसी भी तरह की कोई भी नई रेजिमेंट को नहीं बनाया जाएगा। क्योंकि पहले से ही बहुत से रेजिमेंट मौजूद है। जैसे कि डोगरा रेजिमेंट, सिख रेजिमेंट, पंजाब रेजिमेंट, राजपूत रेजिमेंट इत्यादि। इसीलिए अभी कोई भी नई प्रकार की रेजिमेंट बनाने की कोई भी जरूरत नहीं है।

सेना हर क्षेत्र में एक अच्छा कार्य कर रही है और मजबूती के साथ देश की सेवा कर रही है। सेना के अधिकारियों ने अहीर रेजिमेंट की मांग को खारिज करते हुए कहा है कि अब कोई भी नई रेजिमेंट बनाने का उपयुक्त जरूरत नहीं है।

Ahir Regiment Kya Hai निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में Ahir Regiment Kya Hai, कैसे शुरू हुई, अहीर रेजिमेंट बनाने की मांग इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

Q. अहीर रेजिमेंट क्या है?

Ans. भारतीय सेना में अहीर रेजीमेंट की मांग काफी लंबे समय से की जा रही है। अभी तक कोई भी अहीर रेजिमेंट नही बनाया गया है।

Q. आर्मी में सबसे पुरानी रेजिमेंट कौनसी है?

Ans. आर्मी की सबसे पुरानी और सबसे ज्यादा वीरता अवार्ड जीतने वाली रेजिमेंट जाट रेजिमेंट हैं.

Q. सेना में रेजिमेंट क्या होता है?

Ans. एक रेजिमेंट सैन्य बलों के संगठन का एक हिस्सा होती हैं जिसमें बटालियन शामिल हो सकते हैं, जो छोटी लड़ाकू इकाइयां हैं।