चिड़िया वाली कहानी | Chidiya Ki Kahani In Hindi

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आज के दौर में भी छोटे बच्चे बिना कहानी सुने नही सो पाते है। उन्हें रोज रोज एक नई कहानी चाहिए ही होता है। जिसे सुनना उन्हें बहुत अच्छा लगता है। खास कर बच्चो को चिड़िया की कहानियां ज्यादा भाती है। वो बहुत ही ध्यान से चिड़िया की कहानी सुनते है। उन्हें चिड़ियों से संबंधित कहानियां ही सुनना पसंद करते है। ऐसे में हम आपको ऐसे ही मजेदार कहानियां सुनने जा रहे है जिसे पढ़कर सुना कर बच्चे खुश हो जायेगे और कहानी के अंत में एक सीख भी मिलेगी। अतः यह लेख पूरा अंतिम तक जरूर पढ़ें। तो चलिए आपको चिड़िया की कहानी, चिड़िया वाली कहानी आपको बताते है।

चिड़िया वाली कहानी – चिड़िया की कहानी

1) चिड़िया की कहानी

सर्दियों का मौसम चल रहा था। एक दिन बहुत ही ज्यादा ठंड पड़ जाती है।

लाडो चिड़िया बोली – अरे बाप रे! आज सुबह इतनी ज्यादा ठंड है…. मुझे कुछ तो करना पड़ेगा। अगर मेरा घोंसला गरम रखना है तो मुझे आग जलाने के लिए लकड़ियां जमा करनी पड़ेगी…. नहीं तो, मैं इस ठंड में मर ही जाऊंगी। लेकिन मैं ये काम अकेले नहीं कर सकती….. मुझे किसी की मदद लेनी पड़ेगी।

इतना सोचने के बाद लाडो चिड़िया मीनू चिडिया के पास चली जाती है।

लाडो चिड़िया बोली – अरे मीनू मौसी, तुम क्या कर रही हो? मीनू चिड़िया बोली – कुछ नही लाडो!
लाडो चिड़िया बोली – अच्छा ठीक है!
मीनू चिड़िया बोली – तुम बताओ?.. तुम यहां कैसे?
लाडो चिड़िया बोली – अरे कुछ नही.. अभी ठंड का मौसम चल रहा है ना? मैं सोच रही थी कि हमें हमारे घोसले गरम रखने के लिए आग जलानी होगी और उसके लिए हमें लकड़ियां इकट्ठा करनी होंगी।
मीनू चिड़िया बोली – हां, हां बात तो सही है।
लाडो चिड़िया बोली – आज घोघा मौसी मुझसे मिलने आई थी। वो कह रही थी कि ठंड के साथ बर्फबारी भी होने वाली है। मेरे तो ठंड की वजह से अभी से हाथ पैर कांप रहे है।
मीनू चिड़िया बोली – तो बताओ कब जाना है लकड़ियां लेने को?

लाडो चिड़िया बोली – अभी शाम हो गई है हम सुबह घर का सारा काम निपटाकर फिर चले जाएंगे।

मीनू चिड़िया बोली – हां, हां कल सुबह जायेंगे।

अगले दिन सुबह मीनू और लाडो लकड़ियां जमा करने के लिए निकल पड़ती है। उड़ते उड़ते उन्हें रास्ते में कालू कौवा धूप सेंकते हुए उन्हें दिखाई देता है।

मीनू चिड़िया, लाडो चिडिया से कहती है – देख लाडो ये आलसी कौआ कैसे मजे में धूप सेंक रहा है।

लाडो चिडिया – जाने दो ना मौसी हमें क्या करना है, हमें बहुत काम है। हमें चलना चाहिए।
मीनू चिड़िया – नही लाडो, ये आलसी कौआ ऐसे मजे मे सुबह सुबह धूप सेक रहा है, ये मुझसे नहीं देखा जा रहा। तुम देखो! मैं इसे कैसे काम पर लगाती हूं।

लाडो और मीनू कौवे के पास रुक जाते है।

लाडो चिड़िया – मीनू मौसी रहने दो ना क्यों बेचारे को परेशान कर रही है?

मीनू चिड़िया – बेचारा और ये, ये एक नंबर का आलसी और कामचोर है।

इतना बोलकर मीनू कालू कौवे के पास चली जाती है।

मीनू चिड़िया – अरे कालू कौवे तुझे कुछ शर्म वर्म है की नही। ऐसे दिनभर बिना काम के कैसे बैठ सकते हो तुम? तुम्हारे हाथ पांव दर्द नही करते?

कालू कौआ मीनू मौसी की बात को सुनकर अनसुना कर देता है।

मीनू चिड़िया – अरे तू चुप क्यों है? कुछ तो बोल क्या आलस की वजह से तुझे सुनाई भी नही दे रहा?

कालू कौआ – क्या मीनू मौसी मैं तो यहां शांति से बैठा हूं। क्या आपको मेरी वजह से कोई तकलीफ हो रही है? अगर आप चाहे तो मैं यहां से उठकर कही दूर चला जाता हूं।

अरे आलसी कौवे मुझे मालूम है तू कितना कामचोर है और वैसे भी तुझे कुछ और आता भी नही और बस दिन भर आराम से सोता रहता है तू।

नहीं नहीं मीनू मौसी मैं कामचोर नहीं हूं। मैं कोई भी काम कर सकता हूं।

अच्छा तो ऐसी बात है तो चल मेरे साथ मैं और लाडो घोसले गरम रखने के लिए लकड़ियां जमा करने के लिए जंगल में जा रहे हैं तू भी चल हमारे साथ।
कालू एक भोला कौआ था। वो मीनू मौसी की बातों में आ गया और चल पड़ा उनके साथ
हां हाँ, चलो मैं तैयार हूं।

देख ले तू अभी हां बोल रहा है, बीच में काम छोड़कर कहीं भाग तो नहीं जायेगा। अगर तूने ऐसा किया तो मैं तुझे हमारे ग्रुप से निकाल दूंगी तो बैठे रहना रात मैं ठंड में ठिठुरते हुए।

कालू कौआ – नही नही मौसी मैं आ रहा हूं ना तुम्हारे साथ।

लाडो चिड़िया – ये मीनू मौसी भी ना किसी को भी अपनी बातों में फंसा लेती है और अपना काम करवा लेती है।

लाडो, मीनू मौसी और कौवा तीनों जंगल की तरफ निकल पड़ते हैं। थोड़ी दूर जाते ही लाडो को जमीन पर कुछ लकड़ियां दिखाई देती है।

लाडो चिड़िया – चलो हम यहां से एक एक लकड़ी उठा लेते हैं।

तीनों एक एक लकड़ी उठाकर लाडो चिड़िया की घोसले की तरफ निकल पड़ते हैं। तीनों लाडो चिडिया के धोसले के पास आ जाते हैं।

तभी मीनू चिडिया लाडो से कहती है – लाडो तुम्हारा घोंसला तो बहुत छोटा है। अगर हम यहां लकडी इकट्ठा करेंगे तो घोंसले में रहने के लिए जगह नहीं रहेगी और फिर हमे आग भी तो जलानी है। हम एक काम करेंगे, मेरा घोसला बहुत बडा है। हम लकडिय़ां मेरे घोसले में जमा करते हैं। रात में हम तीनो वही पर आग जलाएंगे और आराम से सो जाएंगे।

लाडो चिड़िया – आप सही कह रही हो मीनू मौसी हम वैसा ही करेंगे। कालू भईया चलिए हम मीनू मौसी के घोंसले की तरफ चलते है।

कालू, लाडो की हां में हां मिला कर पीछे पीछे चल पड़ता है। तीनों मिलकर लकडिय़ा मौसी के घोसले में रख देते है।

लाडो चिड़िया – चलो, हमें और भी लकड़िया लानी पड़ेगी ये लकड़ियां तो हमे आग जलाने में कम पड़ जायेगी। हमें कुछ और लकड़ियों की जरूरत पड़ेगी।

तभी मीनू चिड़िया पांव में मोच आने का झूठा नाटक करती है।

मीनू चिड़िया – अरे बाप रे… उई मां…. मर गई रे….शायद मेरे पैर में मोच आई है, अब मैं लकड़ियां नहीं उठा पाऊंगी।

लाडो चिड़िया – कोई बात नहीं मौसी… आप आराम कीजिए! मैं और कालू भैया जाकर लकडिय़ा जमा कर देंगे।

इतना बोल कर लाडो और कालू वहां से लकड़िया लाने के लिए उड़ जाते है। दिनभर दोनों लकड़ियां जमा कर रहे थे। ऐसा करते करते मीनू मौसी के घर में लकडिय़ों का ढेर लग जाता है।

मीनू चिड़िया – अरे वाह! इसे कहते है सुकून की जिन्दगी।

रात में तीनों मिलकर मौसी के घर आग जला लेते हैं और आराम से सो जाते है।

जब सुबह हो जाती है कालू कहता है कि – कल तो बहुत अच्छी नींद आई मुझे। लेकिन अब मुझे बहुत ज्यादा भूख लग रही है।

लाडो चिड़िया – भूख तो मुझे भी लगी है कालू भैया! देखते है मीनू मौसी के घर कुछ खाने के लिए है की नही।

लाडो मीनू मौसी से कहती है – अरे मीनू मौसी हमें बहुत भूख लगी है। आपके पास कुछ खाने को है।

मीनू चिड़िया – हां, हां, मेरे पास थोड़ा अनाज बचा है। आखिर तुमने हमारे लिए इतना सारा काम जो किया है।

दोनों थोड़ा थोड़ा करके अनाज खा लेते हैं।

खाना खाने के बाद लाडो कालू से कहती है – चलो कालू भइया हमें और लकड़ियां जमा करनी होगी।

तभी मौसी उन दोनों को रोक लेती है और कहती है – लाडो तुम एक काम करो! तुम लकड़ियों के बजाए अनाज जमा करो। घर में सिर्फ थोडा ही अनाज बचा है। अगर मैं अकेली होती तो अनाज बच जाता, लेकिन अब हम तीन लोग है इसलिए हमें और अनाज चाहिए।

लाडो चिड़िया – आप सही कह रही हो मौसी, मैं और कालू भैया अभी निकलते हैं।

दोनों अनाज लेने के लिए निकल पड़ते हैं। उधर लाड़ो और कालू मेहनत कर रहे थे और इधर मतलबी मीनू मौसी मजे से अपने घोंसले के बाहर धूप सेंकते हुए बैठी थी। ये सर्दियां कितनी अच्छी होती है। रात में आग जलाओ और दिन में मस्त धूप सेकों। ये दोनों अनाज लेकर वापस आए। तब तक मुझे घर का दरवाजा अंदर से बंद कर लेना चाहिए। मैने उन दोनो से झूठ कहा है कि अनाज खत्म हुआ है, लेकिन ऐसा नहीं है मैंने बहुत सा अनाज पहले से ही जमा करके रखा हुआ है। अब मेरे पास रात में आग जलाने के लिए लकड़ियां भी बहुत है। मेरी पूरी सर्दियां ऐसे ही मस्त निकल जायेगी।

इधर लाडो और कालू अनाज ढूंढते ढूंढते बहुत दूर तक आ जाते हैं और उन्हें वापिस आते आते रात हो जाती है और इधर पीहू मौसी घर का दरवाजा बंद कर देती है। रात हो जाती है और दोनों मीनू मौसी के घर के बाहर आ जाते है। लाडो घर का दरवाजा खटखटाती है।

लाडो चिड़िया – मीनू मौसी! ओ मीनू मौसी…. दरवाजा खोलिए हम हैं।

कालू कौआ – शायद मौसी सो गई है। मैं देखता हूं। अरे मौसी जल्द दरवाजा खोलिए बाहर बहुत ठंड है। अगर तुम थोड़ी देर में दरवाजा नहीं खिलोगी तो हम यही पर जम जायेगे।

मीनू मौसी को उन दोनो की आवाज सुनाई दे रही थी लेकिन मतलबी मीनू मौसी ने दरवाजा नहीं खोला।
और चुप चाप अपने घोंसले में सोती रही।

लाडो चिड़िया – कालू भैया, शायद मीनू मौसी सो गई। चलो हम मेरे घोसले में चलते हैं। मेरे घोसले में थोड़ी लकड़ी पडी है। हम आज रात वही लकडिय़ां जलाकर सो जाएंगे।

कालू कौआ – हां, हां चलो चलो।

थोड़ी देर बाद मीनू खिड़की से झांककर देखती है।

मीनू चिड़िया – मुझे लगता है शायद वो दोनों चले गये होंगे। मैं अब अकेली ही आग जला देती हूं। मीनू मौसी आग जला देती है। अरे बाप रे! आज तो बहुत ही ज्यादा ठंड है। मुझे और ज्यादा लकड़ियां जलानी पड़ेगी। मेरे पास तो बहुत ज्यादा लकड़ियां है।

मीनू मौसी लकड़ियों के ढेर को खींचने लगती है। तभी लकडिय़ों का ढेर खिसककर आग में आ जाता है और वो लकड़ियां भी आग पकड़ लेती है।

मीनू मौसी – अरे ये क्या हो गया, कोई मुझे बचाओ! लाडो, कालू कहा हो तुम दोनो?

लाडो चिड़िया – अरे कालू भईया! ये तो मौसी की आवाज लग रही है। मुझे लगता है वो मुसीबत में हैं। हमें जाकर देखना होगा। जैसे ही वो दोनों मौसी के घोसले के बाहर आ जाते हैं तो देखते है कि घोंसले के चारों तरफ आग लगी होती है। कालू हिम्मत और बहादुरी से दरवाजा तोड़ देता है और मौसी को आग से बाहर निकाल लेता है। मौसी के पंखों को आग लग चुकी होती है। तभी कालू कौआ, मौसी को पास वाले तालाब में छोड़ देता है। मौसी की जान बच जाती है और मौसी पानी से बाहर आ जाती है और कालू को वे को कहती है। मुझे माफ कर दो! मैं मतलबी हो गई थी। पांव में मोच आती ये छूठ कहा आप दोनो से, इसके सामने मौत चाहिए। सिर में चोट हाथ दोनों सर और सारा काम तुम दोनों से करवाया। तुम्हारे आने से पहले ही दरवाजा बंद भी कर दिया, लेकिन मुझे मेरी लालच की सजा मिल गई और मेरा एक पंख भी जल गया। मीनू मौसी को अपनी गलती की सजा मिल चुकी थी तो दोस्तो आपको ये कहानी से क्या सीख मिली? हमें कमेंट्स में जरुर बताना।

2) चिड़िया का रखवाला

दोस्तो, एक चिड़िया थी जिसका नाम लाडो था। वो अपने पति लाडो चिड़ा के साथ रहती थी। एक दिन लाडो चिड़िया के सपने में परी आई। परी ने लाडो चिड़िया को बताया कि जंगल के टीले पर एक अनजान पक्षी का अंडा रखा है जिसकी देखभाल कोई करने वाला नही है। लाडो चिड़िया ने सुबह सुबह ही जंगल के टीले पर जा कर उस अंडे को अपने घर पर लाती है और लाडो ने उस अंडे का बहुत अच्छे से ख्याल रखा था। कुछ ही दिन बाद उसमें से एक बच्चा बाहर आ गया। बच्चे को देखने के लिए आस पड़ोस से बहुत सारे पशु पक्षी आए थे। जैसे ही बच्चा अंडे से बाहर आ गया। लाडो तो बच्चे को देखकर बहुत खुश हो गई, लेकिन आस पड़ोस के पशु पक्षी बच्चे को देखते ही भाग गए, क्योंकि अंडे से निकला हुआ बच्चा कोई मामूली पंछी का बच्चा नहीं था। वो एक चील का बच्चा था। अब तो लाडो चिडिया और चिड़ा भी उस बच्चे को देखकर घबरा गए। लेकिन लाडो को ये बात नहीं पता थी कि आगे चलकर यही चील का बच्चा सिर्फ लाडो की ही नहीं पूरे बस्ती के पशु पक्षियों का रखवाला बनने वाला है।

अन्य पशु पंछिया – अरे! लाडो ये किसका अंडा लेकर आई हो तुम। ये तो चील का बच्चा है आगे चलकर ये हमारे लिए मुसीबत बन सकता है। तुम अभी अभी इस बच्चे को लेकर यहां से चली जाओ और जहां से अंडा उठाकर लेके आई थी, वहां पर उसे छोड़ दो।

लाडो चिड़िया – नहीं नहीं ये तो अंडा मुझे परी ने दिया है। मैं इसे इस तरह अकेले नहीं छोड़ सकती। अगर ये बच्चा चील का है तो क्या हुआ मैं इसे पाल पोसकर बड़ा करूंगी।

लाडो के जिद के आगे चिड़ा की एक न चली। लाडो ने अपने बच्चे का नाम चीनू रख दिया। दूसरे ही दिन से सारे पशु पक्षी लाड़ो चिड़िया को भला बुरा कहने लगे।

अन्य पशु पंछिया –अरे यह लाडो चिडिया हमारी मौत को अपने घर में लेकर आई है तुम देखना, आगे चलकर जब ये बच्चा बड़ा होगा ये सबसे पहले हमें खा जाएगा।

ये बात पूरे बस्ती में फैल गई और साथ ही साथ ये बात तोता राजा के कानों तक भी पहुंच गई। राजा जी ने शाम को मीटिंग बुलाई और उसमें लाडो और चिड़ा दोनों को आने का संदेश सिपाही पक्षियों के द्वारा भेज दिया। शाम हो गई। सारे पशु पक्षी मीटिंग में शामिल हो गए। लाडो और चिड़ा भी वहां पर आ गए।

तभी राजा ने लाडो से पूछा – लाडो ये सब क्या है? तुम चील के बच्चे को क्यों लेकर आई हमारी बस्ती में? क्या तुम्हें बस्ती के बाकी के पशु पक्षियों की कोई चिंता नहीं है?

लाडो चिड़िया – नहीं नहीं राजा जी ऐसी बात नहीं है। मेरे सपने में परी आई थी। उसी ने मुझे इस अंडे के बारे में बताया था।

तभी भूरे कौवे ने कहा – ये सब बकवास है राजा जी मैं तो कहता हूं लाडो और उसके परिवार को इस बस्ती से बाहर निकाल दो।

भूरे कौवे की बात सुनकर बाकी के पशु पक्षी भी चिल्लाने लगे।

बाकी के पशु पक्षी – हां, हां, लाडू को बस्ती से बाहर निकालो।

राजा जी ने सबको शांत किया और लाडो से कहा –
लाडो अगर तुम्हें इस बस्ती में रहना है तो तुम्हें इस बच्चे को छोड़कर आना होगा और अगर तुम्हें ये मंजूर नहीं है तो तुम्हें इस बस्ती को अपने परिवार समेत छोड़ना होगा।

लाडो चिड़िया – ठीक है आप सब यही चाहते हो तो मैं ये बस्ती छोड़कर कहीं दूर चली जाती हूं।

लाडो जंगल छोड़कर पास वाली जंगल में अपना घोंसला बनाकर वहां रहने चली जाती है। ऐसे ही कुछ दिन गुजर जाते हैं और लाडो पेट से रह जाती है।

लाडो चिड़िया – सुनिए जी! बारिश का मौसम आने वाला है और मैं पेट से भी हूं। आप जल्द जाकर अनाज इकट्ठा कर लीजिए और हमें हमारा घोसला भी पक्का करना पड़ेगा।

लाडो चिड़ा – हां, हां, मैं अभी जाकर अनाज इकट्ठा करता हूं।

इधर चिड़ा बारिश का मौसम आने से पहले अनाज इकट्ठा करने लगा और इधर लाडो आने वाले बच्चों का इन्तजार करने लगी। अनाज इकठ्ठा करने के बाद चिड़ा और लाडो ने मिलकर अपना घोसला भी पक्का कर लिया। चीलों ने भी लाड़ो और छिद्दा को घर पक्का करने में बहुत मदद की। बारिश का मौसम आ गया। ऐसे ही कुछ दिन बीत गए। ऊपरवाले ने लाडो की मां बनने के सपने को पूरा कर दिया और लाडो ने दो प्यारे प्यारे अंडे दे दिए। चीनू अपने दोनों भाइयों से बहुत प्यार करता था, लेकिन दोनों भाई चीनू से नफरत करते थे। चीनू और दोनों भाइयों में बहुत झगड़े होते थे। ऐसे ही एक दिन दोनों भाई खेल रहे थे, तभी चीनू वहां पर आ जाता है।

चीनू – मुझे भी खेलना है आपके साथ। क्या मैं आप दोनों के साथ खेल सकता हूँ?

लाडो के दोनो बच्चे – नही नहीं तुम हमारे साथ नही खेल सकते। तुम हमारे सगे भाई नहीं हो।
चीनू – ऐसा किसने कहा, मैं तुम दोनों का बड़ा भाई हूं। मुझे भी खेलने दो ना।

लाडो के दोनो बच्चे – नहीं मां ने तुझे जंगल के टीले से उठाया था। अगर तुझे ये बात झूठ लगती है तो जाके मां से पूछ, हमने खुद हमारे कानों से सुना है… एक दिन मां और पिताजी ये बात कह रहे थे।

जैसे ही चीनू को यह बात पता चली वो एकदम से टूट जाता है और रोते रोते मां के पास चला जाता है।

लाडो चिड़िया – क्या हुआ चीनू तुम रो क्यों रहे हो?

चीनू – देखो ना मां मेरे छोटे भाई मुझे उनके साथ खेलने नहीं दे रहे और वो कह रहे थे कि वे उनका सगा भाई नहीं हूं। आपने मुझे जंगल के टीले से उठाया है मां? क्या ये बात सच है? बोलो मां! क्या यह बात सच है?

लाडो चिड़िया – मुझे माफ करना मेरे बच्चे पता नहीं तेरे भाइयों को ये बात कहां से पता चली लेकिन ये बात सच है।

तभी बाहर से दोनों भाइयों की चिल्लाने की आवाज आ जाती है। लाड़ो और चीनू बाहर आकर देखते हैं कि एक बड़ी सी चील उन दोनों भाइयों के पास खड़ी होती है। वह उन दोनों पर हमला करने ही वाली थी। तभी चीनू उस बड़ी चील पर हमला बोल देता है और उस बड़ी चील को वहां से खदेड़ देता है। दोनों भाइयों की जान बच जाती है। लाड़ो भी वहां पर आ जाती है।

लाडो के दोनो बच्चे – भैया हमें माफ कर दो अगर आज आप यहां पर नहीं होते तो ये बड़ी चील हमें खा जाती।

दोनों भाइयों को अपनी गलती का एहसास हो जाता है और दोनों चीनू के गले लग जाते हैं। लाडो ये सब देखकर बहुत ही खुश हो जाती है।

ऊपर से यह सब दृश्य भूरा कौआ देख रहा था। वो जाकर ये सब बात राजा के कानों तक पहुंचा देता है।
राजा जी हमने लाडो को बस्ती से निकाल कर बहुत बड़ी गलती कर दी। आज मैं लाडो के घोसले के ऊपर से उड़ रहा था और उसके बच्चे बाहर खेल रहे थे। तभी वहां पर एक बड़ी सी चील आ गई और उसने उन दोनों पर हमला कर दिया। तभी लाडो के घोसले से एक चील का बच्चा बाहर आ गया और उसने उस बड़ी चील का सामना भी किया और उस बड़ी सी चील को खदेड़ दिया। मुझे लगता है कि लाडो ने जिस चील के बच्चे को पाला था, ये वही बच्चा है। हमें लाडो को वापस बुला लेना चाहिए। उसके साथ साथ उसके पूरे परिवार को भी क्योंकि आए दिन नागराज और बाकी के बुरे पंछी हमारी बस्ती पर हमला कर रहे हैं। अगर ये चील का बच्चा हमारी बस्ती में रहेगा तो यह हमारा रखवाला बन सकता है।

राजा जी – तुम सही कहते हो भूरे, हमें लाडो और उसके परिवार को वापस बुला लेना चाहिए।

राजा सिपाही पक्षियों द्वारा लाडो को वापस बुलाने के लिए संदेशा भेज देता है और लाडो भी पिछली सारी बातों को भुलाकर बस्ती में वापस रहने आ जाती है। सारे पशु पक्षी भी चील को अपना लेते हैं। जब भी बस्ती पर कोई संकट आ जाता चीनू उस संकट का सामना करता था। ऐसे ही आगे चलकर चीनू लाडो और पूरे बस्ती का रखवाला बन गया।

आपको कैसी लगी ये चिड़िया वाली कहानी हमे कॉमेंट में अवश्य बताएं। हम ऐसे ही मजेदार कहानियां आपके लिए पोस्ट करते रहेंगे।

चिड़िया वाली कहानी का वीडियो (Chidiya Ki Kahani Video)