Operation Desert Storm Kya Hai – इसकी जरूरत क्यों पड़ी और इसकी पूरी जानकारी 

दोस्तों आप सब लोगों ने बहुत से युद्ध के बारे में सुना होगा। लेकिन आप में से बहुत से लोगो ने इराक और कुवैत के बीच वर्ष 1991 के आसपास हुए युद्ध के बारे में सुना हो। जिसे ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के नाम से जाना गया। आप में से अधिक लोग इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं रखते होंगे, कि यह युद्ध क्यों हुआ।

आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की Operation Desert Storm Kya Hai ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म को लाने की जरूरत क्यों थी, इससे जुड़ी हुई सारी जानकारी आपको आज के अपने इस आर्टिकल में बताएंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म से जुड़े हुए हर तथ्य पहलुओं को ध्यान से समझे।

Operation Desert Storm Kya Hai

Operation Desert Storm Kya Hai (Operation Desert Storm In Hindi)

दोस्तों ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सैन्य अभियान था, जो 42 दिनों तक चला था। इस ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म अभियान को अमेरिका द्वारा लीड किया जा रहा था। इस तरह के ऑपरेशन की जरूरत इसलिए पड़ी, क्यूंकि जब कुवैत के द्वारा इराक पर आक्रमण हो रहे थे। तब इसके जवाब में अमेरिका द्वारा 17 जनवरी 1991 से लेकर 28 फरवरी 1991 मे यह सैन्य अभियान चलाया गया था। 

जिसमें हर तरफ बड़े हवाई हमले किए गए। जिससे डेजर्ट स्ट्रोम के द्वारा इराक की सैन्य बल की जमीन हिला दी गई थी। जिससे उनको काफी नुकसान हुआ। इस युद्ध के दौरान उनके पास दो ही रास्ते थे या तो वह कुवैत के लोकल समूह के साथ मिलकर लड़े या सैन्य बल के आगे घुटने टेक दे।

Operation Desert Storm की शुरुआत

आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दे की ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म की शुरुआत 2 अगस्त 1990 में हो गई थी। लेकिन अमेरिका द्वारा 17 जनवरी 1991 से लेकर 28 फरवरी 1991 तक एक अभियान चलाया गया था, जो एक सैन्य अभियान था। यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सैन्य अभियान था, जो 42 दिनों तक चला था। इसके साथ ही आधिकारिक तौर पर 30 नवंबर 1995 में आकर ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म को समाप्त कर दिया गया था।

Operation Desert Storm का हवाई अभियान

स्टॉर्म के माध्यम से हवाई अभियान 16 जनवरी 1991 में को शुरू किया गया था। हवाई अभियान का लक्ष्य ऐसे ठिकाने थे, जो इराक की जमीन को हिला दे। जैसे कि रडार स्टेशन, बिजली उपकरण, मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे और राजनीतिक लक्ष्य के तरफ निर्देश जारी किया गया था। जिसके चलते हुए बगदाद की राजधानी और उसके नजदीक जितने भी इलाके थे। उन पर हवाई हमलों के माध्यम से भारी बमबारी की गई।

इराक के पास इतनी मात्रा में हवाई हमलो का जवाब देने की क्षमता नहीं थी। फिर भी इराक ने जमीनी स्तर पर रहकर एक लाख की छंटनी करके सिर्फ 75 हवाई जहाजों को नुकसान पहुंचा दिया। इस तरह बहुत ही कम समय में ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म की मदद से गठबंधन करने वाली सैन्य ने इराक सैन्य की कमर तोड़ दी और उसकी पूरी सेना को तहस-नहस कर दिया।

Operation Desert Storm की ग्राउंड लेवल रिपोर्ट

ऑपरेशन डिजर्ट स्टॉर्म ने जब ग्राउंड लेवल पर रहकर इराक की सेना पर हमला किया। तब उन्होंने 24 फरवरी 1991 को पूरे जोश के साथ इराकी सेना को चारों तरफ से घेर कर रख कर दिया। इस बीच जितने भी हमले हुए उसमें इराक की सैनिकों को बंदी बनाते चले गए। 26 फरवरी 1991 को गठबंधन बल ने 43 डिविजन में से 26 डिविजनों को नष्ट कर दिया था। 

गठबंधन बल तीव्र गति के साथ इराक की सेना के ऊपर आक्रमण कर रहा था। इसी बीच इराक की सेना ने अपनी योजना को बदलाव किया। उनका अब मकसद सिर्फ इतना था, कि वह कुवैत में अधिक से अधिक नुकसान कर सके और वह पीछे हटती चले जाए। इसी बीच उन्होंने कुवैत में 600 से ज्यादा तेल के कुएं में आग लगा दी और उन्हें पीछे हटाते चले गए। जब इराकी सेना पीछे हट रही थी। तो इसी बीच में एक ऐसा समय आया। 

जब 25 फरवरी 1991 को गठबंधन बल के द्वारा कुवैत शहर की तरफ जाता हुआ राजमार्ग 80 को काट दिया गया। इस दौरान यह मार्ग पूरी तरह से इराक की सेना के द्वारा खचाखच भरा हुआ था। इसी बात का फायदा उठाते हुए ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म गठबंधन बल ने हवाई हमले के माध्यम से 1,000 से अधिक सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया। इसके साथ ही 2,000 से अधिक इराकी सैनिकों को बंदी तक बना लिया। आज राजमार्ग 80 को “हाईवे ऑफ डेथ” के उत्सर्जित नाम से भी जाना जाता है।

Operation Desert Storm खत्म होने के बाद क्या हुआ

जब ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म खत्म हुआ। तो उसके बाद भी अमेरिका और ब्रिटिश सरकार के द्वारा आसमान से निरंतर हवाई अभियान के द्वारा निगरानी रखी गई। पूरे इराक को ‘नो फ्लाई जोन’ घोषित कर दिया गया था। इसके साथ ही अमेरिका वहां पर अपने हत्यारों का निरीक्षण कर रहा था। जिस का विरोध करते ही वर्ष 1998 में इराक के द्वारा पूर्ण तरह से हत्यारों के निरीक्षण का विरोध किया गया। 

इसी के साथ चलते हुए 17 मार्च 2003 को एक ऐलान किया गया कि इराक पर निरंतर कर रहे सद्दाम हुसैन को सत्ता से हटाकर इराक छोड़ने का फरमान सुना दिया गया। जिससे सद्दाम हुसैन ने मानने से इनकार कर दिया। ठीक इसके 3 दिन बाद फारस खड़ी का युद्ध शुरू हुआ। जिसे इराक के आम युद्ध की तरह माना जाता है। इसके बाद 13 दिसंबर 2003 को अमेरिकी सैन्य बल के माध्यम से सद्दाम हुसैन को बंदी बना लिया गया। 

उसे अमेरिका ले जाया गया और उसके ऊपर बहुत से चार्जिंग लगाकर मानवता हनन का भी चार्ज लगाकर 30 दिसंबर 2006 को फांसी दे दी गई। जिससे इराक में धीरे-धीरे शांति आने लगी और वहां की सारी व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी। इसी को देखते हुए वर्ष 2011 में अमेरिका सरकार के द्वारा सैन्य बल को धीरे-धीरे पीछे हटने का निर्देश दे दिया गया। 

इस तरह ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म के माध्यम से इराक की सेना को पीछे खदेड़ते हुए अमेरिकी सेना जो इस युद्ध में लीड कर रही थी। वह भी इराक से धीरे-धीरे पीछे हटने लगी।

Operation Desert Storm से संबधित पुरी जानकारी

ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म की पूरी जानकारी को समझने के लिए आपको सबसे पहले इराक और कुवैत के रिश्तो को समझाना होगा। इराक ने कुवैत और सऊदी अरब से काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा भंडार का कर्ज लिया हुआ था। जिसको इराक चुका पाने में असमर्थ होते जा रहा था। दूसरी ओर ईरान के साथ मतभेदों के चलते हुए उससे युद्ध कर रहा था। इससे भी उसकी वित्तीय हालत बहुत ही खराब थी।

इसी दौरान कुवैत ने OPK के सदस्यों से अधिक मात्रा में तेल को निकालना और उसे बेचना आरंभ कर दिया। यह बात वर्ष 1990 दशक के आसपास की है। कुवैत के ऐसा करने से इराक के वित्तीय कोष के ऊपर अरबों का नुकसान होने लगा। क्योंकि उस समय एक बैरल 17 डॉलर अमेरिकी रुपए के बराबर तक चला गया था। 

जिससे इराक में कुवैत के ऊपर उसके क्षेत्र में चोरी से ड्रिलिंग कर के तेल को निकालने का आरोप लगा था। इसके जवाब में कुवैत सरकार ने भी आरोपों का खंडन करते हुए इराकी सरकार को जवाब दिया। लेकिन इराकी सरकार इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं थी। वह कुवैत सरकार को चोरी का आरोप लगाने लगी। यह युद्ध की पहली वजह हो सकती है।

दूसरी वजह यह भी हो सकती है। की जब सद्दाम हुसैन ने कुवैत के कुछ क्षेत्रों पर यह दावा करते हुए कहा कि यह सब ब्रिटिश साम्राज्य के द्वारा उत्पादित करने वाला क्षेत्र था। ऐसी घटनाओं से एक बात तो स्पष्ट हो रही थी कि कुवैत के ऊपर युद्ध के बादल मंडरा रहे थे। इसी के चलते 2 अगस्त 1990 को सद्दाम ने अपनी सेना को एकत्रित किया और कुवैत की सुरक्षा में सेंध लगाते हुए उस पर आक्रमण कर दिया।

और मात्र 12 घंटे के युद्ध के दौरान ही कुवैत को इराक का हिस्सा बना दिया। यह सारी प्रतिक्रिया इतनी तेजी से हुई थी। की इसका असर अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी देखने को मिला। तब कुवैत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मंच पर 660 के अंतर्गत एक प्रस्ताव पारित करवाया। जिसमें उन्होंने इराकी सैनिकों को पीछे हटने की मांग की। 

इसी के साथ ही नाटो देश भी एकत्रित हो गए और सऊदी अरब और मिस्र जैसे अन्य अरबी देशों ने भी गठबंधन में शामिल हो गए। जिसके बाद गठबंधन सैन्य ने एक तरह से एक संयुक्त सैन्य अभियान चलाया और इराक की सीमा पर सैन्य अभियान शुरू किया। जिसे ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म का नाम दिया गया।

Operation Desert Storm Kya Hai निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में Operation Desert Storm Kya Hai ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म को लाने की जरूरत क्यों थी इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: Operation Desert Storm का क्या अभिप्राय है?

उत्तर: ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सैन्य अभियान था, जो 42 दिनों तक चला था। इस ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म अभियान को अमेरिका द्वारा लीड किया जा रहा था।

प्रश्न: Operation Desert Storm कब हुआ था?

उत्तर: अमेरिका द्वारा 17 जनवरी 1991 से लेकर 28 फरवरी 1991 तक एक अभियान चलाया गया था, जो एक सैन्य अभियान था। यह एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय गठबंधन सैन्य अभियान था, जो 42 दिनों तक चला था। इसके साथ ही आधिकारिक तौर पर 30 नवंबर 1995 में आकर ऑपरेशन डेजर्ट स्टॉर्म को समाप्त कर दिया गया था।

प्रश्न: Operation Desert Storm में कितने देश शामिल है?

उत्तर: कुवैत और अमेरिका ने संयुक्त राष्ट्र मंच पर 660 के अंतर्गत एक प्रस्ताव पारित करवाया। जिसमें उन्होंने इराकी सैनिकों को पीछे हटने की मांग की। जिसके बाद गठबंधन सैन्य ने एक तरह से एक संयुक्त सैन्य अभियान चलाया और इराक की सीमा पर सैन्य अभियान शुरू किया।