Loop Line Kya Hota Hai – मेन लाइन में अंतर, फायदे व दूरी

भारत देश विश्व का सबसे अधिक रेल लाइन बिछाने वाले देश के रूप में जाना जाता है। जहां पर सबसे लंबी रेल लाइन का ताना-बाना बिछाया गया है। इन रेल लाइन के ऊपर दिन-रात रेल तीव्र गति से यात्रियों और माल ढुलाई वाली ट्रेनों को चलाया जाता है। इतनी तादाद में ट्रेनों को समय पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर और भीड़ को कम करने के लिए मेन लाइन के अतिरिक्त लूप लाइन को भी बिछाया जाता है।

आज के अपने इस आर्टिकल में हम आपको Loop Line से संबंधित जानकारी देंगे। Loop Line Kya Hota Hai, Loop Line बिछाने के फायदे क्या है, लूप लाइन और मेन लाइन में क्या अंतर होता है, क्या ओड़ीसा बालासोर हादसा की वजह लूप लाइन और मेन लाइन है? इन सभी बातों को जानने और समझने के लिए आपको हमारा यह आर्टिकल अंत तक जरूर पढ़ना चाहिए। ताकि आपको भी पता चले कि ओडिशा बालासोर हादसे की मुख्य वजह क्या है?

Loop Line Kya Hota Hai

Loop Line Kya Hota Hai

लूप लाइन शब्द का इस्तेमाल या कहे संबंध भारतीय रेलवे से है। आज के दौर में अत्यधिक भारतीय रेलवे की लाइनें बिछाई जा रही है। जिससे की रेल प्लेटफार्म स्टेशनों पर वहुत रेल्स आने से भीड़ बढ़ जाती है। इन भीड़ को कम करने के लिए भारतीय रेलवे ने लूप लाइन बिछाने का निर्णय लिया है। यह लूप लाइन 750 मीटर लंबी होगी या इससे ज्यादा भी हो सकती है। जिसके ऊपर रेल इंजन के साथ पूरी रेल को खड़ा किया जा सकता है।

यह लाइने प्लेटफार्म के नजदीक बिछाई जाएंगी। जिससे कि आने वाली ट्रेनों को प्लेटफार्म पर एक के बाद एक खड़ा किया जा सकेगा और कुछ ट्रेनों को प्रतीक्षा के लिए इन लूप लाइन पर खड़ा किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त माल गाड़ियों को भी लूप लाइन पर ही खड़ा किया जा सकेगा। ताकि ट्राफिक क्लियर होते ही इन लूप लाइन पर खड़ी हुई मालगाड़ी या रेलगाड़ी को आगे भेजा जा सके। जिससे आवा-जाही बहुत ही आसान हो जाएगी।

पहली लूप लाइन कंहा चालू की गई है

भारतीय रेलवे के अंदर पहली लूप लाइन की बात करें। तो यह आंध्र प्रदेश और विशाखापट्टनम वाले रूट पर बनाई जाएगी, जोकि दक्षिण मध्य जोन के अंतर्गत पड़ता है। इस रूट के ऊपर एक लंबी दूरी वाली लूप लाइन तैयार की जाएगी। यह लूप लाइन आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा स्टेशन के बिक्काबोल स्टेशन पर होगी, जो कि एक लंबी दूरी वाली लूप लाइन होगी।

भारतीय रेलवे का यह कदम एक प्रशंसा भरा है और इससे भीड़ को कम किया जा सकता है। आपकी जानकारी के लिए हम आपको बता दें कि बिक्काबोल स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू हो गया है और इसको बनाने की अवधि की अंतिम तारीख से पहले ही वहां पर पहली लूप लाइन बनकर तैयार हो गई है। जिसका फायदा वहां पर देखने को भी मिल रहा है।

लूप लाइन और मेन लाइन में अंतर

मेन लाइन – जैसे कि आप सबको पता है कि रेलवे प्लेटफार्म पर दो तरह की लाइन को बिछाया जाता है। एक लाइन जाने वाली होती है और एक लाइन आने वाली होती है। मतलब एक लाइन पर ट्रेन एक तरफ आती है और दूसरी लाइन से ट्रेन जाती है। इन लाइन को हम आप या डाउन लाइन भी कह सकते हैं, जिसे मेन लाइन कहते है।

लूप लाइन – इसके अलावा रेलवे स्टेशन प्लेटफार्म पर लूप लाइन बिछाई जाती है। इन लूप लाइन की लंबाई कम होती है,जिनके ऊपर अधिकतर माल गाड़ियां खड़ी रहती है। जब ट्रेफिक क्लियर होता है, तब इन माल गाड़ियों को वहां से निकाला जाता है। इस तरह हम कह सकते हैं कि लूप लाइन अधिकतर रेलवे प्लेटफार्म स्टेशनों के आस-पास ही बिछाई जाती है।

लूप लाइन को बिछाने के फायदे

भारतीय रेलवे में लूप लाइन को बिछाने के कुछ फायदे हैं। जो कि इस प्रकार निम्नलिखित हैं। जिसके बारे में हम नीचे विस्तार से आपको बताएंगे।

लूप लाइन को बिछाने का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि रेलवे स्टेशनों पर आवा-जाही की स्थिति में सुधार होगा और ट्राफिक को लेकर पैदा हो रही जो भी दिक्कतें है। वह कम होंगी, जिससे कि ट्रेनों का संचालन सुचारु रुप से चलता रहेगा।

इन लूप लाइन के ऊपर माल गाड़ियों को खड़ा किया जा सकता है। इसके साथ ही एक ही प्लेटफार्म पर आ रही या पहुंचने वाली दो ट्रेनों को इस लूप लाइन की मदद से कंट्रोल किया जा सकता है।

लूप लाइन की मदद से रेलवे प्लेटफार्म पर बढ़ रही रेल की भीड़ को कम किया जा सकता है। ताकि हर रेल अपने सुनिश्चित समय पर प्लेटफार्म स्टेशनों पर एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंच सके।

माल गाड़ियों को मेन लाइन से इन लूप लाइन पर शिफ्ट किया जा सके। ताकि यात्रियों को रेल गाडी के समय अनुसार पहुंचाया जा सके। इसके अलावा माल गाड़ियों को बिना ज्यादा रोके तेज गति से उनके स्थान पर समय से पहले ले जाया जा सके।

Loop Line की दूरी कितनी होगी

लूप लाइन की दूरी की बात करें तो इसकी दूरी 750 मीटर से लेकर 1500 मीटर तक हो सकती है। छोटी दूरी वाली लूप लाइन पर पैसेंजर ट्रेनों को रोककर, प्लेटफार्म पर खड़ी दूसरी पैसेंजर ट्रेन पर जाने के लिए समय मिल जाएगा और जो ज्यादा लंबी लूप लाइन होंगी।

वहां पर माल गाड़ियों को एक इंजन से हटाकर दूसरे इंजन पर जोड़ने में आसानी होगी। इसीलिए इन लूप लाइन को बिछाने का कार्य किया जा रहा है। जिससे कम दूरी वाली लूप लाइन और अधिक दूरी वाली लूप लाइन भी शामिल है।

क्या ओडिशा बालासोर हादसा की वजह लूप लाइन और मेन लाइन है

ऐसा माना जा रहा है कि ओडिशा में हुए ट्रेन हादसे में लूप लाइन और मेन लाइन कन्फ्यूजन की वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन का एक्सीडेंट हुआ है। सूत्रों से यह माना जा रहा है, कि कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन को सिग्नल प्राप्त नहीं हुए। जिस वजह से कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन मेन लाइन से होते हुए लूप लाइन की ओर चली गई और वहां पर खड़ी मालगाड़ी से टकरा गई। जिससे कि दोनों के बीच भयंकर टकराव की स्थिति से हादसा हो गया।

कोरोमंडल एक्सप्रेस ट्रेन जब माल गाड़ी से टकराई तब उस मालगाड़ी के कुछ डिब्बे साथ वाली रेल लाइन के ऊपर जाकर गिर गए। उसी समय बेंगलुरु-हावड़ा सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन उस मेन लाइन के ऊपर से जा रही थी, जिससे यह हादसा हो गया। अभी तक इस हादसे में लगभग 288 यात्रियों की मौत हो गई है और 1,000 से अधिक यात्री घायल हो सकते है। इसके अलावा अभी भी वहां पर जांच की स्थिति चली हुई है। मौके पर बचाव दल और सरकारी तंत्र छानबीन कर रहे है।

Loop Line Kya Hota Hai निष्कर्ष:

आज हमने इस आर्टिकल में Loop Line Kya Hota Hai, Loop Line बिछाने के फायदे क्या है, लूप लाइन और मेन लाइन में क्या अंतर होता है, क्या ओड़ीसा बालासोर हादसा की वजह लूप लाइन और मेन लाइन है, से जुड़ी सारी जरूरतों को पूरा किया। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस योजना से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs

प्रश्न: लूप लाइन से क्या फायदा है?

उत्तर: सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि रेलवे स्टेशनों पर आवा-जाही की स्थिति में सुधार होगा और ट्राफिक को लेकर पैदा हो रही जो भी दिक्कतें है। वह कम होंगी

प्रश्न: लूप लाइन की दूरी कितनी है?

उत्तर: लूप लाइन की दूरी की बात करें तो इसकी दूरी 750 मीटर से लेकर 1500 मीटर तक हो सकती है।

प्रश्न: भारत में पहली लूप लाइन कहा चालू की गई?

उत्तर: भारतीय रेलवे के अंदर पहली लूप लाइन की बात करें। तो यह आंध्र प्रदेश और विशाखापट्टनम वाले रूट पर बनाई जाएगी, जोकि दक्षिण मध्य जोन के अंतर्गत पड़ता है।

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