आखिर एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) क्या है? एक देश एक चुनाव के फायदे और नुकसान क्या है? इन सब के बारे में आज के अपने इस आर्टिकल में हम विस्तार पूर्वक आपको बताएंगे। आप हमारे इस आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़ें और जाने क्या सच में भारत सरकार वन नेशन वन इलेक्शन बिल को ला सकती है?
भारत एक लोकतांत्रिक देश है, जिसमें संविधान के तहत चुनाव प्रक्रिया को करवाया जाता है और शासन किया जाता है। जिसके अंतर्गत पूरे देश में चुनाव करवाने की प्रक्रिया होती है। इसी चुनाव प्रक्रिया के तहत जनता अपने लिए सरकार का चुनाव करती है। भारत में आजादी के बाद कुछ समय तक एक साथ चुनाव करवाए जाते थे। लेकिन बाद में इनमें निरंतर बदलाव होता चला गया।
One Nation One Election Kya Hai
वन नेशन वन इलेक्शन का अर्थ होता है कि एक देश में सभी चुनाव एक समय सीमा के तहत निर्धारित किए जाएं और उन्हें एक साथ ही करवाए जाए यानी की एक देश एक चुनाव। जिसमें लोकसभा के चुनाव और विधानसभा के चुनाव हर 5 वर्ष में एक ही समय पर निर्धारित किया जाए और इस समय पूरे देश में लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को करवाया जाए। इस सारी प्रक्रिया को “एक देश एक चुनाव” से संबोधित कर सकते है जिसे हम अंग्रेजी में “One Nation One Election” भी कह सकते हैं।
भारत में चुनाव अलग-अलग समय पर होने की वजह
भारत के अंदर साल 1947 के बाद जब प्रथम चुनाव हुए थे, तब लोकसभा के चुनाव और विधानसभा के चुनाव एक साथ करवाए गये थे। कुछ समय तक पूरे देश में इसी प्रक्रिया को लागू किया गया था और निरंतर इसी प्रक्रिया के तहत चुनाव समय पर एक साथ करवाए जाते रहे।
लेकिन किसी कारणवश समय से पहले कभी लोकसभा भंग की गई, तो कभी विधानसभा को भंग कर दिया गया। जिसके तरह भारत देश के अंदर चुनाव प्रकिया का समय अलग-अलग होता चला गया और आज यह स्थिति है कि पूरे देश में हर साल किसी न किसी राज्य में चुनाव होता है।
क्योंकि किसी भी चुनी हुई सरकार का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है और 5 वर्ष के बाद उसे भंग करके चुनाव करवाना अनिवार्य है। इसीलिए भारत के अंदर हर साल चुनाव होते रहते है। कभी तो ऐसी स्थिति आ जाती है कि एक साल में दो बार भी चुनाव हो जाते हैं। इस कारण से भारत के अंदर चुनाव की स्थिति बदलती चली गई। यही वजह है कि भारत में चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं।
क्या भारत सरकार “वन नेशन वन इलेक्शन” बिल लाने जा रही है?
भारत सरकार की तरफ से 31 अगस्त 2023 को एक बयान जारी किया जाता है। जिसमें लोकसभा के कार्यकारिणी मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी जी ने कहा कि 18 सितंबर 2023 से लेकर 22 सितंबर 2023 तक भारत सरकार की तरफ से एक विशेष सत्र बुलाया जा रहा है।
जिसके तहत लोकसभा के और राज्यसभा के सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए नोटिफिकेशन जारी किया गया है। इसी के बाद पूर देश में हर तरफ बवाल मचा हुआ है। विपक्षी दल इसको लेकर विभिन्न-विभिन्न तरह के बयान जारी कर रही है कि सरकार “एक देश एक चुनाव” बिल को ला सकती है, जिसके तहत पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए जाए।
अब सवाल यह उठता है कि सरकार ने इस विशेष सत्र को इसीलिए बुलाया है कि क्या सच में सरकार “वन नेशन वन इलेक्शन” बिल को लाने जा रही है? अगर सच में “एक देश एक चुनाव” बिल आता है, तो इसके फायदे और नुक्सान क्या होंगे? इन सब के बारे में हम आगे विस्तार इस आर्टिकल में नीचे विस्तार से बताएंगे।
एक देश एक चुनाव के फायदे और नुकसान
“एक देश एक चुनाव” पर विधि आयोग द्वारा साल 2018 में एक ऐसा फार्मूला तैयार किया गया था, जिसके तहत पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए जाए। जिसको लेकर विधि आयोग ने सरकार के सामने अपना पक्ष रखा था। इसमें विधि आयोग ने “वन नेशन वन इलेक्शन” के फायदे और नुकसान के बारे में बताया था, जिसको हम नीचे विस्तारपूर्वक बताएंगे।
- विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं, तो इससे सरकार स्थिर रहेगी और अपने 5 वर्ष के कार्यकाल में वह विकास के पद की ओर चलकर जनता के हितों में कार्य करेंगे। जिससे भारत की विकास दर नई ऊंचाइयों पर पहुंच जाएगी।
- जितने भी चुनाव होते हैं। चाहे वह लोकसभा का हो या फिर विधानसभा का हो। इन सब के ऊपर जनता का ही पैसा खर्च होता है। अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो इसमें जनता के पैसे की भी काफी हद तक बचत होगी।
- भारत में अगर एक साथ चुनाव होते हैं, तो उसमें सबसे बड़ा फायदा चुनाव करवाने वाले कर्मचारीयों का होगा, जिससे उनका समय बचेगा और वह अपने क्षेत्र में और अधिक काम करके देश को तरक्की की ओर ले जाएंगे।
- वन नेशन वन इलेक्शन के तहत अगर चुनाव होते हैं, तो उसका सबसे बड़ा फायदा जनता को भी होगा। जिसमें जनता 5 वर्ष में एक बार जाकर लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए एक साथ अपना वोट डाल सकती है। जिससे हर साल अलग-अलग राज्यों में चुनाव होने से जनता को होने वाली परेशानियां कम हो जाएगी।
- अगर पूरे देश में एक साथ चुनाव होते हैं, तो उसका सबसे बड़ा फायदा शिक्षा क्षेत्र और सिक्योरिटी फोर्सेज को भी होगा। क्योंकि जब भी चुनाव होते हैं, तब अधिकतर चुनाव करवाने की जिम्मेदारी इन दोनो के ऊपर होती है। तो इस तरह अगर 5 वर्ष में एक बार चुनाव होते हैं, तो शिक्षक इस क्षेत्र में अपने योगदान को बडा सकते हैं। जिससे बच्चों की शिक्षा बाधित नहीं होगी। इसके साथ ही सिक्योरिटी फोर्सज भी देश की सुरक्षा के लिए अपने कार्य की क्षमता के तहत कार्य कर सकती है। जहां तक एक देश एक चुनाव के होने के नुकसान कि बात करें, तो इस स्थिति में इसका कोई भी नुकसान नहीं होगा। अधिकतर फायदा ही होगा।
वन नेशन वन इलेक्शन के लिए चुनौतिया
अगर भारत सरकार को पूरे देश के चुनाव एक साथ करवाती हैं, तो उनको कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ सकता है। जिसके तहत भारतीय संविधान के कुछ अनुच्छेदों को बदलना होगा और उनमें संशोधन करना होगा। जिसके बाद पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए जा सकते हैं।
ऐसी अटकलें लगाई जा रही है कि भारत सरकार इस विशेष सत्र में “वन नेशन वन इलेक्शन” बिल को ला सकती है, जिसके तहत पूरे देश में एक साथ चुनाव करवाए जा सकते हैं। इसके लिए सरकार ने विशेष सत्र बुलाया है। जिसमें भारत सरकार समय से पहले लोकसभा को भंग भी कर सकती है। ऐसी चर्चाएं पूरे देश में राजनीतिक दलों में चल रही है।
One Nation One Election Kya Hai निष्कर्ष
आज हमने इस लेख में one Nation One Election Kya Hai इत्यादि के बारे में बहुत ही सरल और आसान शब्दों में समझाया और इससे जुड़ी समस्त जानकारियां आप तक पहुंचाई।
अगर आपको हमसे कोई सवाल या सुझाव देना है तो कृपया नीचे कॉमेंट बॉक्स में हमें लिख भेजिए। यदि आपको यह लेख अच्छी लगी है तो इस लेख को अपने दोस्तो और परिवार के साथ सोशल मीडिया में जरुर साझा करे। इससे जुड़ी और भी जानकारी और इसमें आने वाले अपडेट की जानकारी के लिए इस लेख से अवश्य जुड़े।