Ramshila Kya Hai – इसके इतिहास, मान्यता और नाम कैसे पड़ा के बारे में

दोस्तों भारत एक ऐसा देश है जो प्राचीन काल से अपने आप में बहुत से रहस्य को छुपाए हुए हैं। जहां तक भारत वर्ष के इतिहास की बात करे तो इसमें सबसे प्राचीन धर्म, सनातन धर्म को ही माना जाता है। जो आज से लगभग 5,000 वर्ष पहले का है। भारत के हर कण-कण में सनातन धर्म के अवशेष मिलते हैं। ऐसा कोई भी राज्य या जिला नहीं है जहाँ पर सनातन धर्म के जुड़े रहस्य आपको देखने को और सुनने को ना मिले हो। आज हम अपने इस आर्टिकल में ऐसे ही एक रहस्य की बात करेंगे। जो प्रभु श्री राम जी से जुड़े हुए हैं। सनातन धर्म की नींव रखने वाले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जी और उनसे जुड़े हुए रहस्य को आज भी एक चुनौतीपूर्ण माने जाते हैं।

कोई इन्हें काल्पनिक कहता है। तो कोई इन्हें कहानी कहता है। लेकिन यह सत्य है कि श्री राम जी अपने आप में ही एक मर्यादा पुरुषोत्तम थे। आप सबने रामशिला का नाम तो सुना ही होगा, Ramshila Kya Hai, रामशिला कहां पर है रामशिला से जुड़े हुए कुछ तथ्य इस आर्टिकल में संक्षिप्त रूप से वर्णन करेंगे। आप हमारे इस आर्टिकल क अंत तक जरूर पढ़ें और प्रभु श्री राम जी से जुड़ी हुई रामशिला से संबंधित जानकारियों को प्राप्त करें।

Ramshila Kya Hai (रामशिला क्या है)

रामशिला एक ऐसी संस्कृति धरोहर है जिसे हम सब रामशिला पहाड़ी के नाम से जानते हैं। यह धरोहर चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और अपने अंदर एक अद्भुत प्रकार के रहस्य को समेटे हुए हैं। वहां पर एक रामशिला नाम की भी पहाड़ी है। रामशिला संस्कृति की धरोहर मानते हुए अपने आप में बहुत ही महत्व रखती है। क्योंकि इस रामशिला का नाम प्रभु श्री राम जी के नाम पर पड़ा है। इसलिए इसे रामशिला पहाड़ी कहकर भी संबोधित किया जाता है।

Ramshila कहां पर स्थित है

रामशिला की पहाड़ी भारत वर्ष के बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है। इस पहाड़ी की बात करें तो यह पौराणिक ग्रंथों के अनुसार माने तो रामशिला पहाड़ी गया के फाल्गुनी नदी जो कि उत्तर दिशा में पड़ती है। यहां पर भगवान विष्णु के पद चिन्ह मंदिर से 8 किलोमीटर दूर फाल्गुनी नदी के किनारे पर विद्यमान है।

Ramshila पहाड़ी का नाम कैसे पड़ा

दोस्तों पौराणिक ग्रंथ में वर्णित है कि जब प्रभु श्री राम जी बनवास का अपना समय काल व्यतीत कर रहे थे। तब उसी दौरान उनको अपने पिता श्री दशरथ महाराज जी की मृत्यु का पता चला। तब प्रभु श्री राम जी बहुत ही भावुक हो गए। उन्होंने इस गया नामक स्थान पर ही अपने पूजनीय पिता श्री दशरथ जी का स्वर्गवास होने के बाद पिंडदान किया था।

गया में एक रामकुंड सरोवर है जहां पर प्रभु श्री राम जी ने स्नान करने के उपरांत इसी पहाड़ी पर अपने पिताजी का पिंड दान दिया था। तब से इसे हर कोई रामशिला पहाड़ कहकर बुलाने लगे। ऐसा माना जाता है कि रामशिला पहाड़ी उन्हीं पिंड दान करने वाली 54 वेदियों में से एक मानी जाती है। वास्तव में गया में पिंडदान करने की 54 वेदियां मौजूद है। जहां पर पिंडदान करने के बाद पितरों को सीधा मोक्ष प्राप्त होता है।

Ramshila से जुड़ी मान्यताएं

दोस्तों पिंडदान हमारे सनातन धर्म में मोक्ष का एक स्रोत माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार सनातन धर्म में जब भी किसी भी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है। तब उस स्थिति में उसके मरणोपरांत पिंड छुड़ाया जाता है अर्थात पिंड का दान किया जाता है। तो उस स्थिति में मरने वाला वह व्यक्ति सीधा मोक्ष को प्राप्त हो जाता है। ऐसी धारणा हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल से चली आ रही है। इसका मुख्य केंद्र बिंदु प्रभु श्री राम जी के द्वारा किये गए अपने पिता श्री दशरथ के पिंडदान से है। गया नामक एक स्थान है।

जैसे कि हमने ऊपर बताया है इसी गया में राम कुंड सरोवर भी है। जिसके पास भगवान शिव जी का एक प्राचीन काल मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि जो भी इस सरोवर में स्नान करने के उपरांत भगवान शिव जी के दर्शन करके अपने पितरों का पिंडदान देता है। वह अपने पूरे कुल को मोक्ष दिलाने का कार्य करता है। क्योंकि रामशिला के पहाड़ी पर प्रभु श्री राम वनवास के समय अपनी पत्नी माता सीता और अपने भाई लक्ष्मण के साथ आकर ठहरे थे। यहां पर रामेश्वर और पातालेश्वर नाम से जाने जाने वाला एक प्राचीन काल का मंदिर में स्थित है। जो इस पहाड़ी के शिखर पर है।

Ramshila पहाड़ी के कुछ दुर्लभ तथ्य

दोस्तों रामशिला पहाड़ी पर कुछ ऐसे दुर्लभ पद चिन्ह भी है या कहें देखने योग्य दुर्लभ दृश्य भी है। जो इस रामशिला पहाड़ी को अपने आप में एक महत्व प्रदान करते हैं। इस रामशिला पहाड़ी पर 20 सीढ़ियों के उपरांत प्रभु श्री राम जी का मंदिर है। जोकि अपने आप में एक अद्भुत नजारा है। इसके साथ ही दक्षिण की ओर एक बरानदा स्थित है। जिसमें तीन मूर्तियां विद्यमान है। जिनके दर्शन करना भी सौभाग्य की बात माना जाता है। इसके अलावा तलहटी में भगवान गणेश जी की 5 फीट ऊंची एक दिव्य प्रतिमा है। जो की बहुत ही दुर्लभ है।

यह सिर्फ इसी ही रामशिला पहाड़ी के आसपास है। जो कि एक दुर्लभ तथ्य के तहत विशेष महत्व रखती है। रामशिला पहाड़ी के नीचे स्थित भोलेनाथ जी की एक शिवलिंग विस्थापित है। इस शिवलिंग की ऊंचाई 1 फीट वृत्ताकार की मानी जाती है। इसके साथ ही नाग की आकृति भी इस शिवलिंग की खूबसूरती को और बढ़ा देती है। जो कि बहुत ही दुर्लभ है।

Ramshila पर बने राम मंदिर का इतिहास

दोस्तों ऐसा माना जाता है कि जो रामशिला पहाड़ी पर राम मंदिर बना हुआ है। इसका निर्माण वर्ष 1040 ईस्वी के आसपास किया गया था। तब से यह मंदिर इस रामशिला पहाड़ी की शोभा बढ़ा रहा है। आज के दौर में इस मंदिर की रखरखाव और मरम्मत करके इसे वैसे ही कायम और खूबसूरती को बनाए रखा है।

प्रभु श्री राम जी मंदिर के सामने बैठने योग्य स्थान का निर्माण कोलकाता के एक व्यापारी श्री कृष्णा बासु जी ने वर्ष 1811 ईस्वी के आसपास किया था। जो देखने में बहुत ही भव्य लगता है। इसी जगह पर आज के दौर में बैठकर प्रभु श्री राम जी के दर्शन करते हुए सनातन धर्म के सभी लोग अपने पितरों का पिंडदान करते हैं।

रामशिला पहाड़ी पर्यटकों के लिए आकर्षक का केंद्र

दोस्तों आज के दौर में रामशिला पहाड़ी जिस में प्रभु श्री राम जी के पदचिन्ह विद्यमान है। यह विश्व भर में आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है। यहां पर भारत समेत अन्य देशों के लोग भी इस पहाड़ी पर भगवान प्रभु श्री राम जी के रहस्य को देखने और जानने के लिए आते हैं।

इसके साथ ही सनातन धर्म से जुड़े हुए व्यक्ति अपने पितरों का पिंडदान करने के लिए भी इस रामशिला पहाड़ी पर आते हैं। यह रामशिला पहाड़ी 700 फीट ऊंचाई पर है। जहां पर जाकर देखने का नजारा ही बहुत ही अलग है। इसीलिए विदेशों से भी बहुत से पर्यटक जब भारत में घूमने आते हैं।

तब उनमें से अधिक पर्यटक इस रामशिला पहाड़ी के दर्शन करने जरूर जाते हैं। क्योंकि उनको एक ही जगह पर प्रभु श्री राम, श्री विष्णु और भगवान शिव के मंदिरों के दर्शन हो जाते हैं और इस पहाड़ी का सुंदर दृश्य का भी लुफ्त उठाते हैं। जोकि अपने आप में एक भव्य सुंदर नजारे की अनुभूति करवाता है।

शालिग्राम शिला से बनेगी Ramshila

अयोध्या राम मंदिर के लिए प्रभु श्री राम और माता सीता जी की दो शिलाएं बनेंगी। इन शिलाओं को बनाने के लिए शालिग्राम नामक पत्थर का चयन किया गया है। यह पत्थर नेपाल की एक नदी में पाया जाता है। जो 6 हजार करोड़ साल पुराना माना गया है।

हाल ही में शालिग्राम पत्थर को नेपाल से लाते हुए बिहार के गया जिला से गुजरते हुए अयोध्या पहुंचाया गया। इन दो शालिग्राम शिलाओं से एक माता सीता जी की भव्य मूर्ति बनकर तैयार होगी और दूसरी शालिग्राम शिला से प्रभु श्री राम जी की रामशिला बनकर तैयार होगी।

Ramshila Kya Hai निष्कर्ष:

दोस्तों, आज हमने इस आर्टिकल में Ramshila Kya Hai, Ramshila कहां पर है, Ramshila का इतिहास, रामशिला से जुड़े हुए कुछ तथ्य इत्यादि के बारे में समस्त जानकारी आपके समक्ष रखी। हम आशा करते है कि आपको यह आर्टिकल बहुत पसंद आई होगी। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी तो कृपया इसे जरूर शेयर करे और अगर आपके मन में इस आर्टिकल से संबंधित कोई सवाल या विचार है तो हमे नीचे comment करके आसानी से बता सकते है।

FAQs:

प्रश्न: Ramshila क्या होता है?

उत्तर: रामशिला एक ऐसी संस्कृति धरोहर है जिसे हम सब रामशिला पहाड़ी के नाम से जानते हैं।

प्रश्न: Ramshila कहां पर स्थित है?

उत्तर: रामशिला की पहाड़ी भारत वर्ष के बिहार राज्य के गया जिले में स्थित है।

प्रश्न: Ramshila से कौन सा शिला बन रहा है?

उत्तर: अयोध्या राम मंदिर के लिए प्रभु श्री राम और माता सीता जी की दो शिलाएं बनेंगी। इन शिलाओं को बनाने के लिए शालिग्राम नामक पत्थर का चयन किया गया है।