कुकड़ी प्रथा क्या है | कौमार्य परीक्षण कैसे करते है

कुकड़ी प्रथा क्या है | Virginity Test Of Bride | सांसी समाज | वर्जिनिटी टेस्ट कैसे किया जाता है | What Is Kukdi Pratha In Hindi

आज हम भले ही एक सभ्य समाज में रह रहे है या यूं कहे 21वी सदी में जी रहे है। महिलाओं को लेकर न जाने कितने दावे किए जाते है उनकी शिक्षा, मान सम्मान, बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के सलोगन इत्यादि दिए जाते है। लेकिन आज भी भारत के कुछ राज्यों में कुकड़ी प्रथा जैसे परम्पराओं को लोग मानते है। बस कहने को हम 21वी सदी में जी रहे है। हम किस समाज में रह रहे है? जहां महिलाओं को अपने पवित्र होने का प्रमाण दिया जाता है? क्या वर्जिन होना महिलाओं के पवित्र होने का प्रमाण होता है?

अब आपके मन में एक सवाल आता होगा की आखिर ये कुकड़ी प्रथा क्या है इस पर कोई कानूनी कारवाई क्यों नहीं होती? आज इन सब सवालों के जवाब इस लेख के माध्यम से हम विस्तार से जानेंगे। कुकड़ी प्रथा क्या है इसकी पूरी जानकारी के लिए आपको इस लेख को अंतिम तक पढ़ना होगा इसलिए कृपया इस लेख को अंतिम तक पूरा अवश्य पढ़े।

कुकड़ी प्रथा क्या है (Kukdi Pratha Kya Hai)

कुकड़ी प्रथा क्या है | कौमार्य परीक्षण कैसे करते है

भारत में प्राचीन परम्पराओं और संस्कृति में महिलाओं का सम्मान किया जाता है। ऐसे में महिलाओं के सम्मान हेतु महिला दिवस भी मनाया जाता है। लेकिन आज भी कुछ प्रथाएं और परंपराएं ऐसी है जिससे समाज आज भी शर्मसार होता है। जी हां कुछ राज्य आज भी ऐसे है जो एक ऐसे प्रथा को मानते है जो एक घटिया सोच को प्रदर्शित करती है। इस प्रथा को कुकड़ी प्रथा कहते है। इस प्रथा में नवविवाहित वधु का कौमार्य परीक्षण किया जाता है और अगर नवविवाहित वधु इस कौमार्य परीक्षण में फेल होती है तो उसके साथ बहुत से अत्याचार किए जाते है। इसी प्रथा को कुकड़ी प्रथा के नाम से जाना जाता है।

कुकडी प्रथा में नवविवाहित का कौमार्य परीक्षण कैसे करते है (Virginity Test Of Bride)

आज भी भारत के कुछ राज्यों में कुकड़ी प्रथा जैसे परम्पराओं को लोग मानते है। राजस्थान में सांसी समाज, महाराष्ट्र में कंजारभाट समाज इत्यादि राज्यों में आज भी कुकुड़ी की प्रथा को मनाई जाती है। इस प्रथा (Kukdi Pratha In Hindi) में नवविवाहित वधु का कौमार्य परीक्षण किया जाता है। सुहागरात में शादीशुदा जोड़े के बिस्तर पर एक सफेद चादर बिछाई जाती है। इसके साथ साथ बिस्तर पर एक साफ सुथरे धागे की बनी कुकड़ी रखी जाती है। इस प्रथा के दौरान जब सुहागरात के दिन दोनो में शारारिक संबंध स्थापित हो जाता है तो अगली सुबह परिवार वालो के द्वारा कुकड़ी और चादर पर खून के निशान ढूंढे जाते है।

यदि चादर पर खून के निशान नहीं मिलते है तो ऐसे में लड़की को चरित्रहीन या अपवित्र माना जाता है। यहां उस लड़की पर अत्याचार होना शुरू हो जाता है। वर्जिन न होने पर ससुराल वाले मारते और पीटते है और दबाव बनाते है की वो पंचायत के सामने कबूल करे की उसका किसी और के साथ पहले संबंध था। संबंध ना होने पर भी लड़की के साथ लगातार अत्याचार और मारपीट के कारण लड़की को मानना पड़ता है कि उसका संबंध किसी और के साथ था। गांव के पंचायत में भी उसके साथ बहुत से अत्याचार होते है। इतना अत्याचार होता है कि उसका जीना दुश्वार हो जाता है।

कुकड़ी प्रथा का भारत में इतिहास

इस प्रथा की शुरुआत अग्रेजों के दौर से यानी जब कुछ विदेशी भारत पर आए थे तो वो भारत के महिलाओं के साथ जबरन शरारिक संबंध बनाते थे और उन्हें कही भी फेक दिया करते थे। तो ऐसे में यहां के राजपूत महिलाओं को हमेशा शक की दृष्टि से देखते थे और नही चाहते थे की उनकी बनने वाली बहुओं का शरारिक संबंध किसी और से पहले से ही स्थापित हो। ऐसे में उन्होंने महिलाओं के कौमार्य परीक्षण के लिए एक धागा जिसे कुकड़ी कहा जाता है, उसका इस्तेमाल किया जाता था।

इसी घटिया प्रथा को बाद में सांसी समाज और अन्य राज्यो के समाज ने कुकड़ी प्रथा का नाम दिया और यही से इस प्रथा को आज भी लोग मानते है। इस तरह के समाज के लोग कुकड़ी प्रथा को धंधा या बिजनेस के रूप में देखते है। इस समाज के पुरुष खुश होते है की उनकी पत्नी वर्जिन नही है। ताकि लड़की के ससुराल वालो से ज्यादा पैसा वसूला जा सके।

कुकड़ी प्रथा को रोकने के लिए भारत में क्या कानून है

इस प्रथा को रोकने के लिए अभी तक कोई कानून नहीं बना है। इसमें पीड़ित महिला के साथ बहुत अत्याचार किए जाते है उन्हे डरा धमका कर किसी और से संबंध स्थापित करने की बात को मनवा लेते है। अगर पीड़ित महिला खुद जाकर अपने आप पर हुए अत्याचार का काबुल नामा पुलिस को बताए तो ही कोई कानूनी कारवाई की जा सकती है। लेकिन बहुत ही कम ही महिलाएं ऐसा कर पाती है। अधिकतर महिलाएं कुकड़ी प्रथा को स्वीकार करती है और जीवन भर यातनाएं सहती है। इसलिए भी अब तक इस पर कोई कानून नहीं बना है।

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निष्कर्ष

आज हमने इस लेख में कुकड़ी प्रथा क्या है, इस पर कोई कानूनी कारवाई क्यों नहीं होती के बारे में बहुत ही सरल और आसान शब्दों में समझाया और इससे जुड़ी समस्त जानकारियां आप तक पहुंचाई। यदि आपको यह लेख अच्छी लगी है तो इस लेख को अपने दोस्तो और परिवार के साथ सोशल मीडिया में जरुर साझा करे। इससे जुड़ी और भी जानकारी और इसमें आने वाले अपडेट की जानकारी के लिए इस लेख से अवश्य जुड़े।

FAQs

प्रश्न: कुकडी रस्म क्या है?

उत्तर: इस प्रथा में नवविवाहित वधु का कौमार्य परीक्षण किया जाता है और अगर नवविवाहित वधु इस कौमार्य परीक्षण में फेल होती है तो उसके साथ बहुत से अत्याचार किए जाते है।

प्रश्न: कुकड़ी क्या होता है?

उत्तर: यह एक साफ सुथरे धागे की बनी होती है। जिसे कुकड़ी कहा जाता है।

प्रश्न: कुकडी प्रथा में वर्जिनिटी टेस्ट कैसे किया जाता है?

उत्तर: इस प्रथा के दौरान जब सुहागरात के दिन दोनो में शारारिक संबंध स्थापित हो जाता है तो अगली सुबह परिवार वालो के द्वारा कुकड़ी और चादर पर खून के निशान ढूंढे जाते है। यदि चादर पर खून के निशान नहीं मिलते है तो ऐसे में लड़की को चरित्रहीन या अपवित्र माना जाता है।

3 thoughts on “कुकड़ी प्रथा क्या है | कौमार्य परीक्षण कैसे करते है”

  1. वहां पर आदमी के साथ भी ऐसा ही होना चाहिए पता चले कि उसने किसी और से तो संबंध नहीं बनाए शादी से पहले और अगर ऐसा हो तो उसके साथ भी वैसा ही किया जाए जैसा औरतों के साथ किया जाता है तब पता चलेगा क्या होता है दर्द लोग चांद पर पहुंच गई हैं और अभी कुकड़ी कुकड़ी खेल रही है

  2. लड़के का भी टेस्ट होना चाहिए कि उसने शादी से पहले हाथ का इस्तेमाल किया है या नहीं या किसी दूसरी महिला से सम्बन्ध बनाये है या नहीं.. इंसान अपने गिरवान मे नहीं देखता दुसरो मे कमी निकलता
    फिरता रहता है… वहा री दुनिया

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